उड़द की खेती एवं सभी उन्नत किस्म

बुआई का समय

खरीफ में

बुआई का समय – फसल अवधि 1 जून से 31 जुलाई के बीच

फसल अवधि – 70 से 160 दिन

जायद में

बुआई का समय –1 फ़रवरी से 31 मार्च के बीच

फसल अवधि – 70 से 160 दिन


तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई

उड़द की फसल के लिए भूमि हल्की रेतीली दोमट या मध्यम प्रकार की मिट्टी जिसमें पानी का निकास अच्छा हो अधिक उपयुक्त होती है।

उड़द की फसल बुवाई से 10 दिन पहले 1 एकड़ खेत में 8 टन गोबर की खाद, और 10 किलोग्राम carbofuran को खेत में डालकर जुताई कर दे। जुताई के बाद 1 सिंचाई करे सिंचाई के 5 से 6 दिन बाद खेत की 3 बार अच्छे से जुताई करके पट्टा फेर दे।


उन्नत किस्में ( Varieties )

  • Pusa Ageti – अवधि गुण 150 से 160 दिन यह छोटे और मोटे बीजों वाली किस्म है । यह 150-160 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है । इसकी औसतन पैदावार 5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है ।
  • IPU 94-1- अवधि गुण 80 से 85 दिन यह किस्म पीले चितकबरे रोग की प्रतिरोधक है । इसकी औसतन पैदावार 4.5-5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है । यह किस्म 85 दिनों में परिपक्व हो जाती है ।
  • Pant Urad 40 – अवधि गुण 70 से 75 दिन यह कम समय की किस्म है । इसकी औसतन पैदावार 6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है । यह किस्म 70-75 दिनों में परिपक्व हो जाती है ।

बीज की मात्रा

उड़द की 1 एकर फसल तैयार करने के लिए 6 से 7 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।


बीज उपचार

उड़द की बुवाई से पूर्व बीज को ट्राइकोडर्मा विरडी 1.0 % डब्ल्यूपी 4 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें । तत्पश्चात इस उपचारित बीज को विशेष राईजोबियम कल्चर की 5 ग्राम मात्रा एवं पी एस बी कल्चर की 5 ग्राम मात्रा प्रति किलो बीज की दर से परिशोधित कर बोनी करें ।


बुआई का तरीका

उड़द की फसल बुवाई के समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20-25 सेमी एवं पौधा से पौधा की दूरी 6-8 सेमी रखे । बीज को 4 से 6 सेमी की गहराई पर बोए ।


उर्वरक व खाद प्रबंधन

उड़द में खाद एवं उर्वरको का उपयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करना चाहिए । सामान्यतया उड़द में 50 किलोग्राम डीएपी , 15 किलोग्राम मयूरेट ऑफ पोटाश प्रति एकर बुआई के समय 5-10 सेमी . गहरी कूड़ में आधार खाद के रूप में दें ।


सिंचाई

उड़द की फसल में मौसम के अनुसार सिंचाई करें ।


फसल की कटाई

उड़द की फसल में कटाई पत्तों के गिरने और फलियों का रंग सलेटी काला होने पर करे । इसके बाद फलियों को सूखाकर अच्छे से थ्रेसिंग कर ले ।



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