आज हम इस पोस्ट मे धान की खेती कैसे करे इस बारे मे पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे, धान की उन्नत किस्म कोन-कोन सी है, खेती के लिए उपयुक्त तापमान एवं धन की खेती हेतु खेत को कैसे तैयार करना है, नर्सरी प्रबंधन कैसे करे, तो आइए जानते है सम्पूर्ण जानकारी –
धान बुआई का समय क्या है ?
जायद के समय में धान की बुआई का समय 10 फ़रवरी से 30 मार्च के बीच का है, और फसल अवधि 90 से 150 दिन की है। वही खरीफ में बुआई का समय – 20 मई से 15 जुलाई के बीच का है, व फसल अवधि – 90 से 150 दिनो की है।
तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई
फसल रोपाई के 20 दिन पहले खेत की 1 जुताई करके खेत में 1 एकर खेत में 10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद , और 2.5 किलोग्राम ट्रिकोडेर्मा को डालकर दे इसके बाद खेत की 3 बार अच्छे से जुताई करे । जुताई के बाद खेत को समतल करके ऊपर तक पानी भर ले।
नर्सरी प्रबंधन कैसे करे ?
1 एकर खेत की नर्सरी बनाने के लिए 10 मीटर लम्बी व् 2 मीटर चौड़ी कियारी बनालें उसने 500 ग्राम कार्बोफुरान और 5 किलोग्राम डी ऐ पी ( DAP ) डालकर खेत की गहरी जुताई करके पानी भर दे।
अगर 10 दिन बाद नसरी पीली पड़ती दिखाई देने लगे तो इसके लिए 166 ग्राम ferrus sulphate को 20 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करे।
धान की उन्नत किस्में ( varieties of rice )
श्रीराम रेशमा :- अवधि 100 से 115 दिन यह 100 से 115 दिन की किस्म है । पौधे की लम्बाई 90 से 110 सेमी होती है इस किस्म को अन्य किस्मो के आधार पर कम पानी की आवश्कता होती है । इस किस्म की बुवाई का समय 15 मई से 15 जून तक है ।
श्रीराम सोनाली :- अवधि 120 से 125 दिन की है, यह 120 से 125 दिन की किस्म है । यह किस्म थोड़ी सुगंध के साथ लंबे पतले दाने वाली है । यह ब्लास्ट के लिए क्षेत्र सहिष्णुता जल तनाव और लवणता के प्रति सहिष्णुता है ।
श्रीराम खुसबू : – अवधि 100 से 110 दिन की है, यह 100 से 110 दिन की किस्म है । पौधे की लम्बाई 105 से 115 सेमी होती है । इस किस्म की बुवाई का समय 15 मई से 15 जून तक है
Pusa Basmati 1121 :- अवधि 130 से 137 दिन की है, इसका पौधा लंबा होता है। यह किस्म 137 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह एक सुगन्धित किस्म है, जिसकी पकाने की गुणवत्ता बहुत अच्छी है, इसकी औसतन पैदावर 13.7 क्विंटल प्रति एकड़ है।
प्रो एग्रो -6444 :- अवधि 135 से 140 दिन की है, इस किस्म की खेती बिहार , उत्तर प्रदेश , त्रिपुरा , उड़ीसा , आंध्र प्रदेश , कर्नाटक में की जाती है। यह 135 से 140 दिन में पककर तैयार हो जाती है, इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 6 टन तक होती है।
पी एच बी -71 :- अवधि 130 से 135 दिन की है, इस किस्म की खेती हरियाणा , उत्तर प्रदेश , तमिलनाडु अधिक की जाती है। यह 130 से 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 7-8 टन तक होती है।
के आर एच -2 :- अवधि 130 से 135 दिन की है, इस किस्म की खेती आंध्र प्रदेश , कर्नाटक , तमिलनाडु , त्रिपुरा , उत्तर प्रदेश , महाराष्ट्र , हरियाणा , उत्तरांचल में अधिक की जाती है। यह 130 से 135 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
नरेन्द्र संकर धान -2 :- अवधि 125 से 130 दिन की है, इस किस्म की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश में की जाती है, यह 125-130 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 6-7 टन तक होती है।
पी आर एच -10 :- अवधि गुण 125 से 130 दिन यह किरम 125 से 130 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 5-6 रन तक होती है।
पूसा बासमती 1692 :- अवधि गुण 110 से 115 दिन यह किस्म 115 दिनों में तैयार हो जाती है इसकी उत्पादन क्षमता प्रति एकड़ 27 विवेंटल तक है । इसकी पुआल लंबी व दाना खुशबूदार होता है । इसके चावल ज्यादा नहीं टूटते । यह किस्म दिल्ली , हरियाणा , उत्तराखंड , हिमाचल प्रदेश , कश्मीर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए ज्यादा उपयुक्त है ।
पायनियर 27P31 :- अवधि गुण 128 से 132 दिन इस किस्म के दाने मध्यम लंबे , चमकदार और खाने में स्वादिष्ट होते है । इसके पौधों की ऊंचाई 110 सेमी तक होती है यह 128 से 132 दिर्ना में पककर तैयार हो जाती है इसके प्रति एकड़ खेत से 28 से 30 क्विंटल पैदावार मिल जाती है
एराईज 6444 :- अवधि गुण 135 से 140 दिन इस किस्म का दाना लम्बा मोटा होता है । यह मध्यम सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है । इसकी बुवाई के 135 से 140 दिन में पककर तैयार हो जाती हैं । इसके प्रति हेक्टेयर खेत से 80 से 90 क्विंटल पैदावार मिल जाती है
धान की खेती मे बीज की मात्रा
धान की खेती मे बीज की मात्रा बुवाई की पद्धति के अनुसार अलग – अलग होती है। जेरो छिरकवां विधि से बोने के लिये 40 किलोग्राम प्रत्ति एकर सीधी बुआई कतार में बीज बोने के लिये 30 किलोग्राम प्रति एकर, रोपाई पद्धति में 12-16 किलोग्राम प्रति एकड़ उपयोग में लाया जाता है।
संकर किस्मों की रोपा पद्धति में 5 से 6 किलोग्राम प्रति एकर एवं SRI पद्धति में 2 किलोग्राम प्रति एकर बीज की आवश्यकता होती हैं।
धान की खेती मे बीज उपचार
बीज को बोने से पहले पानी में 8 से 10 घंटे तक भिगोएं, पानी के अंदर 1 ग्राम Streptocyclin प्रति 10 किलो बीज के हिसाब से डालें। या 2 ग्राम कार्बोनडाज़िम को 1 किलोग्राम बीज में मिलाये।
ऊपर आये थोते बीजों को निकाल दें बचे हुए स्वस्त बीजों को एक बोरी पर एक सामान ढंग से फैला दें व् उसको एक दूसरी गीली बोरी से ढक दें, इस बोरी पर नियमित रूप से पानी का छिड़काव करते रहें, और उसे नम रखें बीज को 24 घंटे तक रखने के बाद जब वह उपजने लग जाये तब उसकी बुवाई कर दें।
बुआई का तरीका
धान की नर्सरी की बुवाई छिटका विधि से की जा सकती है, रोपाई के समय पौधे से पौधे की दूरी 15 सेमी और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेमी रखे।
उर्वरक व खाद प्रबंधन किस प्रकार करे ?
बुवाई के समय
धान की फसल रोपाई के समय 1 एकर खेत में 100 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट ( ssp ) , 50 किलोग्राम पोटाश ( Potash ) , 50 किलोग्राम डी ऐ पी ( DAP ) , 25 किलोग्राम यूरिया ( Urea ) , 10 किलोग्राम कार्बोफुरान ( Carbofuran ) का इस्तेमाल करे ।
बुवाई के 10 से 15 दिन बाद
फसल रोपाई के 10 से 15 दिन बाद 1 एकर खेत में 25 किलोग्राम यूरिया ( Urea ) , 3 किलोग्राम सल्फर ( sulphur ) , 8 किलोग्राम बायो जायम ( Bio -Zayam ) का इस्तेमाल करे
बुवाई के 35 से 40 दिन बाद
फसल रोपाई के 35 दिन बाद 1 एकड़ खेत में 1 से 2 किलोग्राम NPK 20:20:20 का फसल पर स्प्रे करे ।
बुवाई के 45 से 50 दिन बाद
फसल रोपाई के 45 से 50 दिन बाद 1 एकर खेत में 25 किलोग्राम यूरिया ( Urea ) , 5 किलोग्राम जायम ( Zayam ) , 8 किलोग्राम जिंक ( Zinc ) का इस्तेमाल करे ।
सिंचाई कब करे ?
धान की खेती मे रोपाई करने के बाद खेत में दो सप्ताह तक अच्छी तरह पानी खड़ा रहने दे, जब खेत का सारा पानी सूख जाए तो उसके दो दिन बाद फिर से पानी को भर दे। खड़े पानी की गहराई 8 से 10 सेमी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
धान की फसल में मुख्य सिचाई अवस्था निम्न है –
बुवाई के समय
धान की खेती में पहली सिचाई फसल रोपाई के समय करे इसके 2 सप्ताह तक खेत में पानी भरकर रखे ।
- बुवाई के 40 से 45 दिन बाद – धान की फसल रोपाई के 40 से 45 दिन पर फुटाव की अवस्था में सिचाई करना आवश्यक है।
- बुवाई के 70 से 75 दिन बाद – धान की फसल रोपाई के 70 से 75 दिन की अवस्था में सिचाई करना आवश्यक है।
- बुवाई के 90 से 95 दिन बाद – धान की फसल रोपाई के 90 से 95 दिन पर फ्लॉवरिंग की अवस्था में सिचाई करना आवश्यक है।
- बुवाई के 100 से 120 दिन बाद – धान की फसल रोपाई के 110 से 115 दिन पर मिल्किंग अवस्था में सिचाई करना आवश्यक है।
फसल की कटाई
धान की फसल किस्मो के अनुसार 100 से 150 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
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