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खरबूज की खेती एवं उन्नत किस्म की जानकारी

खरबूज की खेती (muskmelon cultivation) जायद में बुआई का समय 1 फ़रवरी से 20 मार्च के बीच होता है, खरबूज की फसल को पकने मे 75 से 95 दिन का समय लगता है।

खरबूज की खेती के लिए खेत की तैयारी

खरबूज की फसल बुवाई से 15 दिन पहले 1 एकड़ खेत में 10 टन गोबर की खाद डालकर खेत की 1 जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा 2 से 3 जुताईयां हैरों या कल्टीवेटर से करनी चाहिए प्रत्येक जुताई के बाद पाटा चलाकर मिट्टी को भुरभुरा कर लेना चाहिये।

खरबूज की उन्नत किस्में कौन सी है ?

पूसा मधुरस – अवधि 90 से 95 दिन इस की किस्म के फल गोल , चपटे , गहरे हरे रंग के धारी युक्त होते हैं । फल का गूदा नारंगी रंग का तथा रसीला होता है। इस किस्म की बेलों में फैलाव अधिक होता है। फसल 90 से 95 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है।

पूसा रसराज – अवधि 75 से 80 दिन इस किस्म के फल चिकने , लम्बे व धारी रहित होते हैं। गूदा हरा तथा बहुत मीठा होता है। फसल 75 से 80 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है।

हिसार मधुर – अवधि गुण 75 से 80 दिन इस किस्म के फल गहरे लाल रंग के होते हैं, जिस पर 10 धारियां होती है। गूदा नारंगी रंग का एवं सुगंधित होता है। यह एक अगेती किस्म है और 75 से 80 दिन में फल तोड़ने योग्य हो जाते हैं।

Hara Madhu – अवधि 90 से 95 दिन यह देरी से पकने वाली किस्म है। इसके फल का आकार गोल और बड़ा होता है। फल का औसतन भार 1 किलोग्राम होता है। छिल्का हल्के पीले रंग का होता है।

टी एस एस की मात्रा 13 प्रतिशत होती है और स्वाद में बहुत मीठा होता है । बीज आकार में छोटे होते हैं। यह सफेद रोग को सहने योग्य होता है। इसकी औसतन पैदावार 50 क्विंटल प्रति एकड़ होता है।

पूसा शरबती – अवधि गुण यह खरबूज की अगेती किस्म है। यह बहुत कम समय तैयार होने वाली किस्म है। इसका फल गोल होता है,और इसके छिलके पर एक जाल जैसा होता है, जिस पर हरि धारियां पाई जाती हैं। इसके फल का औसतन भार 800 ग्राम होता है और फल की मिठास मध्यम होती है।

दुर्गापुरा मधु – अवधि गुण खरबूज की इस किस्म को कृषि अनुसंधान केंद्र दुर्गापुरा , जयपुर द्वारा विकसित किया गया है। यह अगेती किसम है। इसके फल का वजन 500 से 700 ग्राम होता। इसकी उपज प्रति एकड़ 70 से 75 क्विंटल होती है।

muskmelon farming

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Muskmelon Farming मे बीज की मात्रा

खरबूज की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए 400 से 500 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

खरबूज बूबाई मे बीज उपचार

हाइब्रिड बीज पहले से उपचारित आते है, इनकी सीधी बुवाई की जा सकती है। अगर घर पर तैयार किया हुआ या देसी बीज की बुवाई करते है, तो इसे कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम + थिरम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित कर ले।

खरबूज बुआई कैसे करे विधि ?

खरबूज की फसल बुवाई के समय किस्म के आधार पर 3-4 मीटर चौड़े बैड तैयार करें। बैड पर प्रत्येक क्यारी में दो बीज बोयें और क्यारियों में 60 सें.मी. का फासला रखें।

खरबूज रोपाई की उथला गढ्डा विधि

उथला गढ्डा विधि में सबसे पहले 60 सेमी . व्यास के 45 सेमी. गहरे एक दूसरे से 1.5-2.5 मीटर की दूरी पर गड्ढे खोदकर 6 से 7 दिनों तक खुला छोड़ देने के बाद खाद व उर्वरक मिलाकर भर देते हैं।

इसके बाद वृहताकार थाला बनाकर 2-2.4 सेमी . गहराई में 3-4 बीज प्रति थाला बोकर महीन मृदा या गोबर की खाद से ढक देते हैं। अंकुरण के बाद प्रति थाल 2 पौधे छोड़कर शेष को उखाड़ देते हैं।

क्यारियों में लगाना

किसान भाइयों इस विधि में बीज को क्यारी के एक ओर लगाएं, इसमें पौधो से पौधो की दूरी 60 से 90 सेमी रखे और एक जगह पर 3 से 4 बीज बोयें। जमाव के बाद एक सेहतमंद बूटा चुनकर रखें।

गहरा गड्डा विधि

किसान भाइयों यह यह विधि नदी के किनारो पर अपनाई जाती हैं, इसमें 60.75 सेमी व्यास के 1.15 मीटर की दूरी पर गड्ढे बनाये जाते हैं। इसके बाद गड्ढे की सतह से 30-40 सेमी की गहराई तक मृदा, खाद व उर्वरक का मिश्रण भर दिया जाता हैं।

इसमें 2 मीटर चौड़ी जमीन से उठी हुई पट्टियां बनाकर उसके किनारों पर 1.15 मीटर की दूरी से बीज बोते हैं।

उर्वरक व खाद प्रबंधन कैसे करे ?

बुवाई के समय खरबूज की फसल बुवाई के समय 1 एकड़ खेत में 50 किलोग्राम DAP , 50 किलोग्राम Potash ( Potash ) , 25 किलोग्राम यूरिया ( Urea ) , 10 किलोग्राम कार्बोफुरान , 5 किलोग्राम जायम का इस्तेमाल करे।

बुवाई के 10 से 15 दिन बाद – फसल बुवाई के 10-15 दिन बाद अच्छे विकास और पैदावार के लिए 19:19:19 + सूक्ष्म तत्व 2-3 ग्राम प्रति लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें।

बुवाई के 50 से 55 दिन बाद – फसल बुवाई के 55 दिनों के बाद 13:00:45 , 100 ग्राम + हैक्साकोनाज़ोल 25 मि.ली. प्रति 15 लीटर पानी के हिसाब से फल के पहले विकास के पड़ाव और सफेद धब्बा रोग से बचाने के लिए स्प्रे करें।

बुवाई के 60 से 70 दिन बाद – फूलों को झड़ने से रोकने और फसल का 10 प्रतिशत पैदावार बढ़ाने के लिए शुरूआती फूलों के दिनों में हयूमिक एसिड 3 मि.ली. + NPK ( 12:61:00 ) 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

खरबूज की खेती मे सिंचाई कब करे ?

  • खरबूज की फसल में पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें।
  • दूसरी सिंचाई रोपाई के 4 से 5 दिन बाद करे जिससे अंकुरण अच्छा हो सके।
  • पौधो की वनस्पति वृद्धि और मिट्टी में नमी के आधार पर 7-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहे।
  • भूमि की ऊपरी सतह से 50 से.मी. तक नमी बनाये रखना चाहिये। क्योंकि इस क्षेत्र में जडे अधिक संख्या में होती है।
  • फसल में फूल आने के पहले , फूल आने के समय और फल की वृद्धि के समय भूमि में नमी कम नही होना चाहिये। इससे फल के विकास में विपरीत प्रभाव पड़ता है।
  • फल पकने के समय सिंचाई ना करें। ऐसा करने से फल की गुणवत्ता बढ़ती है और फल फटने की समस्या भी नहीं आती है।

फसल की तुड़ाई कब करे ?

खरबूज की तुड़ाई किस्मो के अनुसार 70 से 80 दिन पर शुरू हो जाती है।

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