तरबूज की खेती एवं उन्नत किस्म – Watermelon farming

तरबूज की खेती बुआई का समय जायद के समय मे 1 जनवरी से 31 मार्च के बीच का होता है, और तरबूज का फल पकने (watermelon crop duration) मे 85 से 125 दिन का समय लेता है। भारत तरबूज की खेती (watermelon farming in india) ज्यादातर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, और राजस्थान राज्य में की जाती है।

तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई

तरबूज की फसल उगाने के लिए बलुई दोमट मिट्टी जिसका PH 6 से 7 के बीच हो अच्छी मानी जाती है। तरबूज की बुवाई से 20 दिन पूर्व खेत की 1 जुताई करने के बाद अच्छी तरह से खरपतवार से मुक्त कर लेना चाहिए। उसके बाद खेत की 1-2 गहरी जुताई करके खेत को खुला छोड़ दे।

खेत की अंतिम जुताई के समय मिट्टी में पैदा होने वाले कवक को नियंत्रित करने के लिए 1 एकड़ खेत में 2.5 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा के साथ 100 क्विंटल अच्छी तरह से गली हुए गोबर की खाद का इस्तेमाल करे।

तरबूज की उन्नत किस्में – Varieties of Watermelon

पूसा वेदना

तरबूज की पूसा वेदना किस्म किस्म 85 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है, इस किस्म का विकास भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली द्वारा किया गया है। इस किस्म के फलों में बीज नहीं होते हैं, फल में गुदा गुलाबी, रसदार व अधिक मीठा होता है।

श्रीराम नवाव

श्रीराम नवाव किस्म की अवधि (watermelon farming time) 90 से 100 दिन की होती है, इसके फल का वजन 8 से 10 किलोग्राम तक होता है। यह धारीदार हलके हरे रंग की किस्म है, यह लम्बे परिवहन के लिए उपयुक्त है।

दुर्गापुर मीठा

दुर्गापुर मीठा किस्म को तैयार होने में लगभग 120 से 125 दिन लगते है, इस तरबूज की किस्म के फल गोल हल्के एवं हरे रंग के होते हैं। फल का औसत वजन 7 से 8 किलोग्राम होता है, तथा मिठास 11 प्रतिशत होती है। इसकी औसत पैदावार 400 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।

ड्रैगन किंग

ड्रैगन किंग किस्म की अवधि (watermelon to grow) 90 से 95 दिन की होती है। इसके फल का वजन 8 से 12 किलोग्राम तक होता है। यह धारीदार हलके हरे रंग की किस्म है, यह लम्बे परिवहन के लिए उपयुक्त है। तरबूज की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए 600 से 700 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

शुगर बेबी

शुगर बेबी किस्म का फल बीज बोने के 95 से 100 दिन के अंदर तैयार हो जाता है, जिनका औसत बजन 4-6 किलोग्राम तक होता है। इस किस्म की खासियत है की इसके फल में बीज बहुत कम होते है। इस किस्म से प्रति हैक्टेयर 200 से 250 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। 

अर्का ज्योति

तरबूज की अर्का ज्योति किस्म के फल का वजन 6-8 किलोग्राम तक होता है, भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बंगलौर द्वारा इस किस्म को विकसित किया गया था। इस किस्म के फलों की भंडारण क्षमता अधिक होती है। इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 350 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है।

आशायी यामातो

तरबूज की यह किस्म जापान से लाई गई है, इसका छिलका हरा और मामूली धारीदार व बीज छोटे होते है। इस किस्म के फल का वजन लगभग 7 से 8 किलोग्राम तक होता है। इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 225 क्विंटल तक उत्पादन मिलता है।

तरबूज की खेती मे बीज उपचार – (watermelon farming)

तरबूज के हाइब्रिड बीज पहले से उपचारित आते है, इनकी सीधी बुवाई की जा सकती है। यदि आप घर पर तैयार किया हुआ या देसी बीज की बुवाई करते है, तो इसे कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम + थिरम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित कर ले।

तरबूज की बुआई कैसे करे ?

किसान तरबूज (watermelon farmers) की फसल बुवाई के समय पौधे से पौधे की दूरी कम से कम 60 सेमी और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 150 से 180 सेमी रखे।

तरबूज का उर्वरक व खाद प्रबंधन

बुवाई के समय तरबूज की खेती (watermelon farming) में अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए 1 एकड़ खेत में 20 किलोग्राम यूरिया , 100 किलोग्राम SSP और 25 किलोग्राम पोटाश 10 किलोग्राम जायम, 8 किलोग्राम कार्बोफुरोन का इस्तेमाल करे।

बुआई से 10 से 15 दिन बाद – फसल उगने के 10-15 दिन बाद 5 ग्राम npk ( 19:19:19 ) और 2 मिली टाटा बहार प्रति लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करे।

बुवाई के 35 से 40 दिन बाद – फसल में अच्छी बढ़वार ग्रोथ के लिए 20 किलोग्राम यूरिया के साथ 5 किलोग्राम जायम का इस्तेमाल 1 एकड़ खेत में करे।

बुवाई के 50 से 55 दिन बाद – फसल बुवाई के 50 से 55 दिन बाद 10 ग्राम npk 13:00:45 और 2 मिली हैकसाकोनाज़ोल 1 लीटर पानी के हिसाब से फलों के अच्छे विकास और सफेद रोग से बचाने के लिए स्प्रे करें।

बुवाई के 60 से 70 दिन बाद – तरबूज की फसल में फल के अच्छे आकार के लिए और मिठास और रंग के लिए 1.5 किलोग्राम npk 0:0:50 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करे।

तरबूज की फसल मे सिंचाई कैसे करे ?

बीज बुवाई से 7-8 दिन पहले खेत का पलेवा कर दें फिर तरबूज की बुवाई (Sowing of watermelon) के तुरंत बाद सिंचाई करें। बीज रोपण के 4 से 5 दिन बाद सिंचाई करें जिससे अंकुरण अच्छा हो सके।

पौधो की वनस्पति वृद्धि और मिट्टी में नमी के आधार पर 6-8 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहें। फसल में फूल आने के पहले, फूल आने के समय और फल की वृद्धि के समय भूमि में नमी कम नहीं होनी चाहिए।

फल पकने के समय सिंचाई ना करें, इससे फल की गुणवत्ता के साथ फल फटने की समस्या भी नहीं आती हैं।

तरबूज फसल की तुड़ाई कैसे करे ?

तरबूज में जब तने के साथ वाले रेशे सूख जाएं और ज़मीन में लगा फल पीला हो जाए तो समझो फसल तैयार है, और जब फल को थप – थपाने से भद्दी सी आवाज़ आने लगे तो समझो फल पक़ गया है। फल को पूरा पकने के बाद ही फल की तुड़ाई करे।


हमारे देश में तरबूज की खेती कहां-कहां होती है ?

तरबूज की खेती ज्यादातर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, और राजस्थान राज्य में की जाती है।

तरबूज की खेती का सही समय कब होता है ?

जनवरी प्रारंभ से मार्च अंत का समय तरबूज की खेती के लिए उत्तम होता है।

तरबूज की हाइब्रिड किस्में कौन सी है?

मधु, मिलन और मोहनी तरबूज की अच्छी हाईब्रिड किस्म है।

तरबूज की खेती के लिए कौन सी मिट्टी अच्छी होती है ?

बलुई दोमट मिट्टी जिसका PH 6 से 7 के बीच हो तरबूज की खेती के लिए अच्छी मानी जाती है।

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