लहसुन की उन्नत खेती एवं अधिक पैदावार वाली किस्म

इस पोस्ट मे हम लहसुन की उन्नत खेती एवं अधिक पैदावार वाली किस्म के बारे मे विस्तार से जानेंगे

बुआई का समय

रबी में

बुआई का समय – 1 अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच

फसल अवधि – 150 से 200 दिन

खरीफ में

बुआई का समय – 1 मार्च से 30 अप्रैल के बीच

फसल अवधि – 150 से 200 दिन


तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई

लहसुन की फसल के लिए बलुई दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी वाली भूमि का चयन करना चाहिए। जिस खेत का चयन करे उसमें जल निकास की उचित व्यवस्था हो। फसल के लिए चयन की गई भूमि का पी.एच मान 6.5 से 7 के बीच का होना चाहिए।

सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से 1 बार जुताई कर दे जिससे खेत में मौजूद खरपतवार और कीट नष्ट हो जाए। अब देशी हल या कल्टीवेटर से 1 या 2 बार गहरी जुताई कर दे।

इसके बाद खेत में प्रति एकड़ 5 से 6 टन सड़ी हुई गोबर की खाद और 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा डाले । खाद डालने के बाद खेत की 1 बार मिटटी पलटने वाले हल से जुताई करके पाटा लगा दे।

इसके बाद खेत में कल्टीवेटर द्वारा 2 बार आडी – तिरछी गहरी जुताई करके खेत पर पाटा लगा दे जिससे खेत समतल हो जाए । – अब खेत लहसुन की बुवाई के लिए तैयार है।


उन्नत किस्में ( Varieties )

Yamuna Safed 5 – अवधि 150 से 160 दिन यह फसल पककर कटाई के लिए 150-160 दिनों में तैयार हो जाती है । इसकी औसतन पैदावार 68-72 क्विंटल प्रति एकड़ है।

G.H.C – 1 – अवधि 150 से 160 दिन यह अन्य किस्मों से अधिक उपज वाली और सुगंधित किस्म है । इसकी कलियां बड़े आकार की होती हैं जिनका छिल्का आसानी से उतारा जा सकता है । इसकी औसतन पैदावार 84-105 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।

Yamuna Safed ( G – 1 ) – अवधि 150 से 160 दिन इसकी गांठे सख्त और सफेद होती हैं और कलियां द्राती के आकार की होती हैं और प्रत्येक गांठ में 25-30 कलियां होती हैं।

एग्रीफाउण्ड पार्वती ( जी -313 ) – अवधि इस किस्म की खेती पहाड़ी क्षेत्र में अधिक होती है । इसके शल्क कंद 5 से 7 सेमी व्यास में हल्के सफेद और बैंगनी मिश्रित रंग के होते है। इसके शल्ककंद में 10 से 15 कलियां जिनका वजन 4 से 4.5 ग्राम तक होता है । ये 250 से 270 दिनों में तैयार हो जाती है प्रति हेक्टयर 175 से 225 क्विंटल पैदावार मिल जाती है।

टी – 56-4 – अवधि लहसुन की इस किस्म को काफी उपयुक्त माना जाता है । इसके शल्क कंद छोटे आकार के होते हैं और इसका रंग सफेद होता है। इसके हर शल्क कंद में 25 से 35 कलियां होती हैं। इससे प्रति हेक्टेयर 80 से 100 क्विंटल की पैदावार प्राप्त होती है।

गोदावरी अवधि – गुण इस किस्म के शल्क कंद मध्यम आकार के होते हैं। यह हल्की गुलाबी और सफेद रंग की होती है । हर शल्क कंद में 20 से 25 कलियां होती हैं। इससे प्रति हेक्टेयर 100 से 105 क्विंटल पैदावार प्राप्त होती है।

भीमा पर्पल – अवधि गुण इसके नंद बैंगनी रंग के दिखाई देते हैं । इससे प्रति हेबटेयर 60 से 6 विटल तक पेदनार मिल सकती है । इस किस को दिल्ली , यूपी पंजाब , बिहार , हरियाणा , कर्नाटक और आंध प्रदेश ने लिए उपयुक्त माना जाता है।

यमुना सफेद -3 ( G – 282 ) – अवधि 1400 150 दिन इस किस्म के कद सफेद और साइज़ 4.76 ( व्यास ) तक होता है । यह 140 से 150 दिनों में पककर तैयार हो जाती हैं। इससे प्रति हेक्टेयर 175 से 200 विंटल उपज मिल जाती हैं।


बीज की मात्रा

लहसुन की 1 एकर फसल तैयार करने के लिए 200 – 250 किलोग्राम गांठों की आवश्यकता होती है।

बीज उपचार

जुबई से पहले गांठों को कान्जानि 2 ग्राम + थिरन 2 ग्राम प्रति किलोग्नाम गांठो के हिसाब से उपचारित कर ले।

बुआई का तरीका

लहसुन की फसल बुटाई के समय पीधे से पौधे की दूरी 7.5 सेमी और पंक्ति रो पक्ति की दूरी 15 सेमी रखें


उर्वरक व खाद प्रबंधन

बुवाई के समय लहसुन की पसल बनाई के समय । एवाड़ खेत में 5 से 6 टन गोबर की खद , 10 किलोग्राम का पुरन 2.5 किलोग्राम दिकोडेर्मा 25 किलोग्नाम ही एपी , 20 किलोग्राम बारेया , 50 किलोग्राम पोटाश का इस्तेमाल करें।

  • बुवाई के 10 से 15 दिन बाद सल बुपाई के 10 से 15 दिन बाद 10 ग्राम NPK 19:19 19 को 1 लीटर पानी के हिसाब से घोलकर स्में करें।
  • बुवाई के 35 से 40 दिन बाद जसल बुवाई के 35 से 40 दिन पर 1 एकड़ खेत में 3.5 किलोग्राम यूरिया का इसोमाल करे।
  • बुवाई के 50 से 55 दिन बाद जसल 50 से 15 दिन को होने पर प्रति एकड़ खेत में 1 किलो एन.पी.के. 00.52 : 34 और 300 मिली इपको सागरिका को 150 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें।
  • बुवाई के 60 से 70 दिन बाद सल बुनाई के 60 से 70 दिन पर 1 एकड़ खेत में 35 किलोग्राम यूरिया का इस्तेमाल करे।
  • बुवाई के 70 से 75 दिन बाद प्सल 70 से 75 दिन की होने के बाद प्रति एकड़ खेत में 60 से 90 मिली लिहासन और 1 किलो N.PK. 00.00.50 21 150 लीटर में मिल कर शिडकाव करें।

सिंचाई

लहसुन बुवाई के समय खेत में नाम की कमी रहने पर 1 सप्ताह के अंदर सिनाई करे । गांठे बनने के समय सिंचाई करना बहुत जरूरी होता है । लहसुन में 8 से 10 दिन पर नमी के अनुसार सिंचाई करे।

फसल की खुदाई

लहसुन की फसल मे बुआई से 140-150 दिनों के बाद या जब पत्ते पीले पढ़ के सूखने लगे तब खुदाई चालू कर ले।


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