बाजरे की लाभकारी खेती एवं अच्छी किस्म

बाजरे की खेती मे बुआई का समय खरीफ में 20 जून से 31 जुलाई के बीच होता है, इसकी फसल अवधि 80 से 85 दिन की होती है, जायद के समय मे इसकी बुआई का समय 1 मार्च से 30 अप्रैल के बीच होता है और फसल अवधि 80 से 90 दिन की होती है।


तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई

बाजरा की फसल सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, बाजरे की अच्छी फसल लेने के लिए एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए एवं इसके बाद 2 से 3 बार जुताई करके पाटा लगा देना चाहिए।


उन्नत किस्में ( Varieties )

  • पूसा 322 – अवधि 75 से 80 दिन यह बाजरा की संकर किस्म , जिसकी पकने की अवधि 75 से 80 दिन , पौधे की ऊचाई 150 से 210 सेंटीमीटर तथा उसके दाने की औसतन पैदावार 25 से 30 क्विंटल और चारे की पैदावार 40 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है ।
  • Raj 171 – अवधि 83 से 85 दिन यह हाइब्रिड किस्म 85 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है । यह किस्म सामान्य वर्षा वाले हालातों में बिजाई के लिए उपयुक्त है इसकी औसतन पैदावार 8-10 क्विंटल प्रति एकड़ होती है ।
  • Pioneer 86 M 11 – अवधि गुण 75 से 80 दिन यह ग्रीष्मकालीन बाजरा के लिए एक मध्यम परिपक्वता संकर है यह समान , लंबे और कॉम्पैक्ट इयरहेड्स के कारण उच्च उपज देने वाला हाइब्रिड है इसमें पतले डंठल के साथ चौड़े लंबे पत्ते होते हैं लेकिन वर्दी टिलर के कारण अच्छे चारा पैदावार के साथ उत्कृष्ट स्टैंडबिलिटी होती है ।
  • गंगा कावेरी – अवधि GK – 1111 ( मध्यम लेट अवधि की किस्म और लम्बी किस्म है ) , GK – 1116 ( मध्यम अवधि )
  • Rasi – 1818 – अवधि 80 से 84 दिन Rasi – 1818 ( 80 से 84 दिन , टिलर ज्यादा होते है ) 1827 ( 84 से 87 दिन , कटाई तक हरी रहती है।
  • पायोनियर 86M88 – अवधि 80 से 85 दिन यह 80 से 85 दिन में पककर तैयार हो जाती है।यह किस्म लीफ ब्लास्ट और रस्ट रोग की प्रतिरोधी किस्म है । इस किस्म को सिचाई की ज्यादा जरुरत होती है सूखा या कम पानी में पैदावार कम देती है इस किस्म की प्रति एकड़ पैदावार 15 से 16 क्विंटल तक होती है
  • Pioneer -86M86 – अवधि गुण 80 से 85 दिन यह किस्म 80 से 85 दिन में पककर तैयार हो जाती है । इस किस्म की प्रति एकड़ पैदावार 14 से 16 क्विंटल तक होती है यह किस्म माध्यम अवधि में तैयार होकर अच्छा उत्पादन देती है ।
  • कावेरी सुपर बॉस – अवधि 80 से 85 दिन यह किस्म 80 से 85 दिन में पककर तैयार हो जाती है । इस किस्म में सिंचाई की ज्यादा जरूरत होती है इसकी प्रति एकड़ पैदावार 12 से 15 क्विंटल तक होता है ।
  • बायर 9444 – अवधि 80 से 85 दिन यह किस्म 80 से 85 दिन में पककर तैयार हो जाती है । यह किस्म अच्छी पैदावार देती है । इस किस्म को खरीफ और जायद दोनों मौसम में ऊगा सकते है इस किस्म की प्रति एकड़ पैदावार 12 से 15 क्विंटल तक होती है ।
  • बायर 9450 – अवधि गुण 85 से 90 दिन यह 85 से 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है डाउनी मिल्ड्यू और रस्ट रोग के प्रतिरोधी किस्म है । खरीफ में इसकी बुवाई जून से जुलाई तक कर सकते है । इस किस्म को उत्तर प्रदेश , राजस्थान मध्य प्रदेश , हरियाणा महाराष्ट्र में आसानी से उगाया जा सकता है इस किस्म की प्रति एकड़ पैदावार 12 से 14 क्विंटल तक होती है ।
  • श्रीराम 8494 – अवधि 78 से 80 दिन यह किस्म 78 से 80 दिन में पककर तैयार हो जाती है । यह किस्म रस्ट और ब्लास्ट के प्रतिरोधी किस्म है । इस किस्म को सभी राज्यों में लगाया जा सकता है । खरीफ में इसकी खेती जून से जुलाई तक कर सकते है ।
  • श्रीराम बी 70 – अवधि 68 से 70 दिन यह किस्म 68 से 70 दिन में पककर तैयार हो जाती है । इस किस्म को राजस्थान और हरियाणा में लगाया जा सकता है यह किस्म सूखा या कम पानी में आसानी से ग्रो कर जाती है । खरीफ में इसकी खेती जून से जुलाई तक कर सकते है ।
  • पायोनियर 86M84 – अवधि85 से 90 दिन यह किस्म 85 से 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है । डाउनी मिल्ड्यू और रस्ट रोग के प्रतिरोधी किस्म है । इस किस्म के पौधे लंबे होते है । इसकी प्रति एकड़ पैदावार 12 से 15 क्विंटल तक हो जाती है
  • पायोनियर 86M90 – अवधि 80 से 85 दिन यह किस्म 80 से 85 दिन पककर तैयार हो जाती है । यह किस्म खरीफ और जायद दोनों मौसम में लगा सकते है यह किस्म लंबे सिट्टे वाली है । इसकी प्रति एकड़ पैदावार 15 से 18 क्विंटल तक हो जाती है ।
  • बलवान 4903 – अवधि 80 से 90 दिन यह किस्म 80 से 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है । यह अच्छी किस्म है इसकी प्रति एकड़ पैदावार 18 से 20 क्विंटल प्रति एकड़ है इस किस्म को ज्यादा सिचाई की जरुरत होती है । खरीफ में इसको जून से जुलाई तक लगा सकते है ।
  • नंदी 70 ओर नंदी 72 – अवधि गुण 65 से 70 दिन यह किस्म 65 से 70 दिन में पककर तैयार हो जाती है यह किस्म हल्की जमीन के लिए अच्छी मानी जाती है । इसकी पैदावार प्रति एकड़ 10 से 12 क्विंटल तक हो जाती है । यह किस्म खाने के लिए अच्छी होती है
  • धान्या MP7779 – अवधि 75 से 85 दिन यह किस्म 75 से 85 दिन में पककर तैयार हो जाती है । इस किस्म को खरीफ और जायद दोनों मौसम में उगाया जा सकता है यह बड़े दाने की जल्दी तैयार होने वाली किस्म है । इसकी प्रति एकड़ पैदावार 14 से 15 क्विंटल तक होती है।
  • धान्या MP7366 – अवधि 90 से 95 दिन यह किस्म 90 से 95 दिन में पककर तैयार हो जाती है । इस किस्म की पैदावार 18 से 20 क्विंटल प्रति एकड़ तक होती है इस किस्म के सिट्टे लम्बे होते है । यह किस्म 5 से 6 फिट तक बढ़ती है ।
  • पायोनियर 86M38 – अवधि 75 से 80 दिन इस किस्म को रबी खरीफ जायद तीनो सीजन में लगा सकते हैं यह 75 से 80 दिन में पककर तैयार हो जाती है । इस किस्म की पौधा की लम्बाई 6 से 7 फिट तक होती है इस किस्म की प्रति एकड़ पैदावार 14 से 15 क्विंटल तक होती है
  • धान्या MP 7171 – अवधि 75 से 80 दिन यह किस्म 75 से 80 दिन में पककर तैयार हो जाती है । इस किस्म की प्रति एकड़ पैदावार 14 से 16 क्विंटल तक होती है इस किस्म की लम्बाई 5 से 6 फिट तक होती है यह किस्म रस्ट रोग के प्रतिरोधी है
  • राशी 1827 – अवधि 80 से 85 दिन यह किस्म 80 से 85 दिन में पककर तैयार हो जाती है । यह किस्म भारी जमीन के लिए अच्छी मानी जाती है । इस किस्म की प्रति एकड़ पैदावार 12 से 14 क्विंटल तक होती है
  • पूसा 23 ( MH 169 ) – अवधि 75 से 80 दिन यह किस्म 75 से 80 दिन में पककर तैयार हो जाती है । यह किस्म हल्की जमीन के लिए अच्छी मानी जाती है इसकी पैदावार प्रति एकड़ 10 से 12 क्विंटल तक हो जाती है । यह किस्म खाने के लिए अच्छी होती है ।
  • बायर – प्रोएग्रो 9001 अवधि गुण 85 से 87 दिन यह क़िस्म खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त है .राजस्थान , हरियाणा , गुजरात , उत्तरप्रदेश , मध्यप्रदेश में लगाया जाता है इसकी बाली लंबी और चारा हरा होता है पौधों का तना मजबूत और जड़ तंत्र गहरा होने के कारण नीचे नहीं गिरते यह झुलसा व हरित बाली रोग के प्रतिरोधी है फसल 85 से 87 दिन में तैयार हो जाती है ।

बीज की मात्रा

बाजरा की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए 1.5 से 2 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है बीज उपचार हाइब्रिड बीज पहले से उपचारित आते है इनकी सीधी बुवाई की जा सकती है । अगर घर पर तैयार किया हुआ या देसी बीज की बुवाई करते है तो इसे कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम + थिरम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित कर ले ।

बुआई का तरीका

बाजरा की बुवाई छिटका विधि से की जाती है । अगर कतारों में बुवाई करते है तो बुवाई के समय पौधे से पौधे की दूरी 12 से 15 सेमी और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेमी रखे ।


उर्वरक व खाद प्रबंधन

बुवाई के समय 10 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ की दर से बुवाई के 20-25 दिन पूर्व प्रयोग करना चाहिए । डी ए पी , 40 किलोग्राम और पोटाश 25 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करना चाहिए ।

  • बुवाई के 21 से 25 दिन बाद 20 से 30 दिन की फसल होने पर 1 एकड़ खेत में 35 किलोग्राम यूरिया 8 किलोग्राम जायम का इस्तेमाल करे।
  • बुवाई के 50 से 55 दिन बाद 50 से 55 दिन की फसल होने पर 1 एकड़ खेत में 30 किलोग्राम यूरिया का इस्तेमाल करे।

सिंचाई

बाजरा की फसल में 2 से 3 सिचाई की जरुरत होती है । फूल चढ़ते समय और दाना बनते समय नमी कम होने पर सिचाई करे ।

फसल की कटाई

किस्म के अनुसार जब दाने सख्त और इनमें आवश्यक नमी हो तो फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है । इसकी कटाई दरांती की सहायता से कर ले ।



1 thought on “बाजरे की लाभकारी खेती एवं अच्छी किस्म”

  1. बाजरा सबसे ज्यादा कौन से राज्य में होता है?

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