सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक रोग लक्षण एवं समाधान

पीला मोजेक : बारिश के मौसम में फसलों पर कई रोग व कीटों का प्रकोप होता है, नमी में कीटों के पनपने से ये फसलों पर लग जाते हैं, और फसल को नुकसान पहुंचाते है, इससे उत्पादन प्रभावित होता है और उसमें कमी आ जाती है।

कभी-कभी तो इन रोग व कीटों की वजह से किसान की पूरी फसल खराब हो जाती है, जिससे उसे हानि उठानी पड़ती है । इन दिनों मध्यप्रदेश में सोयाबीन की फसल में यलो मोजेक कीट का प्रकोप देखा गया है, और इससे वहां पर किसानों का काफी नुकसान भी हो रहा है।

सोयाबीन की फसल

भारत में होने वाली फसलों की खेती में सोयाबीन का नाम काफी ऊपर आता है, जिसे गोल्डन बीन्स भी कहा जाता है। सोयाबीन का संबंध लेग्यूम परिवार यानी फलियों वाली फसल से माना जाता है, यह फसल भारत में लगभग 18 प्रतिशत तेल की पूर्ति करती है।

किसान भाई खरीफ सीजन में सोयाबीन की खेती करते हैं, यह काफी लाभदायक फसल है, जिसकी खेती से अच्छा रिटर्न मिलता है, सोयाबीन का उपयोग तेल के अलावा, खाद्य पदार्थ सोया मिल्क, सोया आटा, जैव ईंधन, पशु आहार आदि में किया जाता है।

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पीला मोजेक रोग क्या है ?

यह एक वायरस जनित रोग है, जो मुख्यतः सफेद मक्खी (White Fly) के चपेट में आने से लगता है, दरअसल, यह मक्खी पौधे के तने पर अंडे देती है। इस कारण तने में एक इल्ली उत्पन्न होती है, वह तने के अंदर के जाइलम (xylem) को नष्ट कर देती है, इससे पौधा पीला पड़ जाता है, और धीरे-धीरे पौधों का विकास रूक जाता है।

Yellow-mosaic-baneer

पीला मोजेक रोग के लक्षण

  • यह रोग शुरुआत में कुछ ही पौधे पर दिखाई देता है, लेकिन धीरे-धीरे भयंकर रूप धारण कर लेता है।
  • जब सोयाबीन की फसल पीला मोजेक रोग (Yellow Mosaic Disease) लगता है, तब कुछ पौधों में चितकबरे गहरे हरे पीले धब्बे दिखाई देते हैं।
  • संपूर्ण पौधे ऊपर से बिल्कुल पीले हो जाते हैं, और फिर पूरे खेत में फैल जाते हैं।
  • इसके बाद इस रोग की वजह से पौधों में नरमपन आ जाता है।
  • सोयाबीन के पौधे ऐंठ जाते हैं, और सिकुड़ भी जाते हैं।
  • सोयाबीन के पौधे की पत्तियां भी खुरदरी हो जाती हैं, इसके अलावा सलवटे भी पड़ जाती हैं।

पीला मोजेक रोग का समाधान

  • किसान भाई खेत में जगह-जगह पर पीला चिपचिपा ट्रैप लगाएं, इस रोग फैलता नहीं है।
  • संक्रमित पौधों को उखाड़कर दूर गड्ढा खोदकर दबा दें या दूर फेक देवे ।
  • किसान कीटनाशकों का छिड़काव कर सकते हैं।
  • इसके अलावा, किसानों को सोयाबीन की नई विकसित किस्मों की बुवाई करना चाहिए ।
  • खेत में जल निकास की उचित सुविधा होनी चाहिए ।
  • सोयाबीन फसल रोगरोधी किस्मों को लगाएं जो सफेद मक्खियों को रोकती हों।
  • खेत में जल निकास की सुविधा होनी चाहिए।
  • अपने पड़ोसियों से परामर्श करें और एक ही समय पर
  • बुवाई करें, न ज्यादा जल्दी और न ही ज्यादा देरी से।
  • फसल की घनी बुवाई करें।
  • पीले चिपचिपे जालों ( 20 / एकड़) की मदद से खेत की निगरानी करें।
  • पौधों में संतुलित उर्वरीकरण करने पर ध्यान दें।
  • व्यापक प्रभाव वाले कीटनाशकों का इस्तेमाल न करें अंडे या लार्वा वाली पत्तियों को हटा दें।
  • खेतों में तथा उसके आसपास खरपतवार और वैकल्पिक मेज़बानों को नियंत्रित रखें।
  • फसल कटने के बाद खेत से पौधों के अवशेषों को हटा दें।
  • उष्ण तापमान पर खेत को थोड़े समय के लिए परती छोड़ें।
  • गैर-संवेदनशील पौधों के साथ फसल लगाएं।
  • अपने पड़ोसियों से परामर्श करें और एक ही समय पर बूबई करे।
  • बुवाई सही समय पर करे, न ज्यादा जल्दी और न ही ज्यादा देरी से।
  • फसल की घनी बुवाई करें ।
  • पीले चिपचिपे जालों ( 20 / एकड़) की मदद से खेत की निगरानी करें।
  • पौधों में संतुलित उर्वरीकरण करने पर ध्यान दें।

कृषि वैज्ञानिक की सलाह

सोयाबीन की फसल में लगने वाले पीला मोजेक (Yellow mosaic) रोग की रोकथाम की अधिक जानकारी कृषि विज्ञान केंद्र धार मध्य प्रदेश के वैज्ञानिक डॉ. जी.एस गाठिये ने बताया कि सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक रोग सफेद मक्खी (White Fly) की वजह से फैलता है, इस रोग की वजह से पत्तियों की नसों में उभार आ जाता है, इसके साथ ही पौधों पर पीलापन आ जाता है।

किसान क्या करे ?

इस स्थिति में किसान भाईयों को खेत में जगह-जगह पर पीला चिपचिपा ट्रैप लगा देना चाहिए, इससे रोग फैलता नहीं है। इसके साथ ही संक्रमित पौधो को उखाड़कर गड्डा खोदकर दबा देना चाहिए।

अगर फसल में रोग का प्रकोप ज्यादा है, तो कीटनाशकों का छिड़काव कर सकते हैं।

उन्होंने सलाह दी कि – किसान भाई इमिडाक्लोप्रिड, थायमिथोक्सम या लेम्बडा सायहेलोथ्रिन को 125 मिली/हेक्टेयर के हिसाब से छिडक़ सकते हैं, इसके अलावा, सोयाबीन की नई विकसित किस्मों की बुवाई कर सकते हैं।

पीला मोजेक किट नियंत्रण – Yellow Mosaic

वर्तमान समय में सोयाबीन फसल में कहीं-कहीं पीला मोजेक रोग एवं तना मक्खी का प्रकोप देखा गया है, पीला मोजेक रोग में पौधों की पतियों पर हरे-पीले अनियमित चमकीले धब्बे तथा मुख्य शिराये पीली पड़ जाती है ।

पत्तियां मोटी, खुरदरी एवं सिकुड़ी हुई नजर आती है, तना मक्खी के प्रकोप के समय सर्वप्रथम तना मक्खी पत्ती के निचली सतह पर अंडे देती है। अंडे से इल्ली पत्तियों के डंठल से होती हुई तने मे घुसकर उपर से नीचे की ओर सुरंग बनाकर नुकसान पहुंचाती है ।

Symptoms-of Yellow-Mosaic-Disease-Infographic

ऐसे करे कीटनाशक नियंत्रण

प्रभावित पौधों के तने को चीरकर देखने पर लाल से भूरे रंग की सुरंग दिखाई देती है, पत्तियां धीरे-धीरे पीली पड़ने लगती है। पीला मोजेक रोग वाहक सफेद मक्खी एवं तना मक्खी के नियंत्रण लिए –

अनुशंसित पूर्व मिश्रित कीटनाशी रसायन बीटासायफ्लूथ्रिन प्लस इमिडाक्लोप्रिड 140 मिली प्रति एकड़ अथवा पूर्व मिश्रित थायोमेथाकजाम प्लस लेम्बडासायहेलोथ्रिन 50 मिलीमीटर प्रति एकड का छिड़काव पावर पंप द्वारा 100 से 125 लीटर एवं हाथ पंप द्वारा 200 से 250 लीटर पानी मे घोल बनाकर करें ।

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