बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें केंद्र सरकार ने किसानों के हित में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। इस बैठक में केंद्रीय कैबिनेट ने सल्फर कोटेड यूरिया (Sulfur Coated Urea) की शुरुआत को अब गोल्ड यूरिया (gold urea) के नाम से पहचान दी है। इससे पहले सरकार ने नीम कोटेड यूरिया (neem coated urea) का भी उपयोग किया है। इसके अलावा, सरकार ने राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना का निर्णय भी लिया है।
नवीन योजनाओं को दी गई मंजूरी
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने किसानों के लिए नवीन योजनाओं के एक विशेष पैकेज को 3,70,128.7 करोड़ रुपये के कुल खर्च के साथ मंजूरी दी है।
इन योजनाओं का उद्देश्य किसानों के समग्र कल्याण और आर्थिक सुधार पर ध्यान केंद्रित करके टिकाऊ कृषि को प्रोत्साहित करना है।
ये पहल किसानों की आय को बढ़ाएगी, प्राकृतिक और जैविक खेती को मजबूत करेगी, मिट्टी की उत्पादकता को पुनर्जीवित करेगी और साथ ही खाद्य सुरक्षा को भी सुनिश्चित करेगी।
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यूरिया सब्सिडी योजना को मंजूरी
यूरिया सीसीईए ने किसानों के लिए यूरिया सब्सिडी योजना (Urea Subsidy Yojana) को मंजूरी दे दी है, जिससे किसानों को करों और नीम कोटिंग शुल्कों को छोड़कर 242 रुपये प्रति 45 किलोग्राम की बोरी की समान कीमत पर यूरिया मिलेगी।
यह उपाय करके यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। पैकेज में तीन वर्षों के लिए (2022-23 से 2024-25) 3,68,676.7 करोड़ रुपये की यूरिया सब्सिडी (Urea Subsidy) आवंटित की गई है।
इसके अतिरिक्त, यह पैकेज हाल ही में अनुमोदित 2023-24 के खरीफ मौसम के लिए 38,000 करोड़ रुपये की पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) को भी शामिल करता है।
यूरिया खरीदने के लिए अतिरिक्त खर्च करने की जरूरत नहीं – (Urea Price)
किसानों को अब यूरिया खरीदने के लिए अतिरिक्त खर्च करने की जरूरत नहीं होगी और इससे उनकी इनपुट लागत कम होगी। वर्तमान में, यूरिया की MRP 242 रुपये प्रति 45 किलोग्राम बोरी है (नीम कोटिंग शुल्क और करों को छोड़कर), जबकि वास्तविक बैग कीमत लगभग 2200 रुपये है।
यह योजना पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा बजट सहायता के माध्यम से वित्तपोषित है। यूरिया सब्सिडी योजना के जारी रहने से यूरिया का स्वदेशी उत्पादन भी अधिक होगा।
सल्फर कोटेड यूरिया (यूरिया गोल्ड) की शुरुआत – Sulfur Coated Urea
देश में सल्फर कोटेड यूरिया (यूरिया गोल्ड) की शुरुआत पैकेज के तहत एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है, जिसके तहत पहली बार सल्फर कोटेड यूरिया (यूरिया गोल्ड) का इस्तेमाल देश में शुरू हो रहा है।
यह वर्तमान में उपयोग होने वाले नीम कोटेड यूरिया (neem coated urea) से अधिक किफायती और बेहतर है।
मिट्टी में सल्फर की कमी होगी दूर
इससे देश में मिट्टी में सल्फर की कमी को दूर किया जा सकेगा। इसके साथ ही, इससे किसानों की इनपुट लागत भी कम होगी और उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि होने से किसानों की आय भी बढ़ेगी।
आठ नैनो यूरिया संयंत्रों की स्थापना की जाएगी
2025-26 तक, आठ नैनो यूरिया (nano urea) संयंत्रों की स्थापना की जाएगी, जिनकी उत्पादन क्षमता 44 करोड़ बोतलों के बराबर होगी। ये संयंत्र नैनो यूरिया उत्पादित करेंगे, जो 195 एलएमटी पारंपरिक यूरिया के बराबर है।
नैनो यूरिया संयंत्रों के द्वारा पोषक तत्वों को नियंत्रित ढंग से रिलीज किया जाता है, जो पोषक तत्वों के उपयोग की क्षमता को बढ़ाता है और किसानों की लागत को भी कम करता है। नैनो यूरिया के उपयोग से फसलों की उत्पादन में वृद्धि देखी जा रही है।
यूरिया के उत्पादन और उपलब्धता के मामले में आत्मनिर्भरता
वर्ष 2018 से लेकर 2025-26 तक, देश में यूरिया क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की प्राप्ति होगी। इसके लिए, चंबल फर्टिलाइजर लिमिटेड (कोटा, राजस्थान), मैटिक्स लिमिटेड (पानागढ़, पश्चिम बंगाल), रामागुंडम (तेलंगाना), गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), सिंदरी (झारखंड), और बरौनी (बिहार) जैसी यूरिया उत्पादन यूनिट्स की स्थापना और पुनर्विमर्श कर रही हैं।
यूरिया की स्वदेशी उत्पादन क्षमता बढ़ी
इससे देश को यूरिया के उत्पादन और उपलब्धता के मामले में आत्मनिर्भरता की प्राप्ति मिल रही है। यूरिया का स्वदेशी उत्पादन 2014-15 में 225 एलएमटी के स्तर से बढ़कर 2021-22 में 250 एलएमटी तक पहुंच गया है।
2022-23 में उत्पादन क्षमता 284 एलएमटी तक बढ़ गई है। नैनो यूरिया संयंत्र के साथ मिलकर, इन यूनिट्स के द्वारा यूरिया आयात की निर्भरता कम होगी और 2025-26 तक हम आत्मनिर्भर बन जाएंगे।
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