तिल की ज्यादा पैदावार वाली खेती कैसे करें ?

बुआई का समय

खरीफ में

बुआई का समय – 10 जून से 31 जुलाई के बीच

फसल अवधि – 80 से 110 दिन


तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई

तिल की फसल के लिए मटियार रेतीली मिटटी अच्छी मानी जाती है । खेत की एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से व 2-3 जुताईयां कल्टीवेटर अथवा देशी हल से करके पाटा लगा दे । जुताई के समय 5 टन गोबर की सड़ी हुई खाद प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में मिला दे।


उन्नत किस्में ( Varieties )

TC25 – अवधि 80 से 85 दिन यह किस्म राजस्थान में हल्की मिट्टी के लिए उपयुक्त है । यह 80-85 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है । इसके बीज सफेद रंग के जिनमें तेल की मात्रा 48.4 प्रतिशत होती है । इसकी औसतन पैदावार 200 किलोग्राम प्रति एकड़ होती है ।

Pratap C50 – अवधि100 से 105 दिन यह लंबी किस्म 100-105 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है । इसके बीज सफेद रंग के होते हैं , जिनमें तेल की मात्रा 50 प्रतिशत होती है । इसकी औसतन पैदावार 200 किलोग्राम प्रति एकड़ होती है ।

Pragati – अवधि 80 से 85 दिन यह किस्म 80-85 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है । यह किस्म उत्तर प्रदेश के सभी क्षेत्रों में उगाने के लिए उपयुक्त है । इसकी औसतन पैदावार 2.8-3.6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है । इसमें तेल की मात्रा 45-48 प्रतिशत होती है ।

Tarun – अवधि गुण 80 से 85 दिन यह किस्म 80-85 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है । यह किस्म उत्तर प्रदेश के सभी क्षेत्रों में उगाने के लिए उपयुक्त है । इसकी औसतन पैदावार 3.2-3.6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है । इसमें तेल की मात्रा 50-52 प्रतिशत होती है ।


बीज की मात्रा

1 एकड़ तिल की फसल तैयार करने के लिए 2 से 2.5 किलोग्राम बीज की जरुरत होती है।

बीज उपचार

तिल की फसल को बीज जनित रोगों से बचाव करने के लिए 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलोग्राम बीज की दर से मिलाकर बीज उपचारित करे।

बुआई का तरीका

तिल की फसल की बुवाई पक्तियों में करे बुवाई के समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 से 45 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेमी रखे । बीज को कम गहराई पर ही बोए।


उर्वरक व खाद प्रबंधन

तिल की फसल में उर्वरक का इस्तेमाल मिटटी की जाँच के अनुसार करे । इस फसल के लिए 10 किलोग्राम नाइट्रोजन 10 किलोग्राम फास्फोरस तथा 10 किलोग्राम गन्धक प्रति एकड़ दर से प्रयोग करें ।

30 से 35 दिन की फसल होने पर निराई , गुड़ाई के समय 1 एकड़ खेत में 20 किलोग्राम नाइट्रोजन का प्रयोग करें । फसल की फूल तथा फली बनते समय 2 प्रतिशत यूरिया का घोल बनाकर छिड़काव करने से फसल में अच्छी वृद्धि होती है।


सिंचाई

तिल की फसल में ज्यादा सिचाई की जरुरत नहीं होती है । फसल में जब 50-60 प्रतिशत फली आ जाए अगर खेत में नमी कम हो तो एक सिंचाई करना आवश्यक है ।

फसल की कटाई

तिल की फसल में जब पत्ते और फल रंग बदल कर पीले रंग के जाए और पत्ते गिरना शुरू हो जाए तब फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है । समय से फसल की कटाई करे ।



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