जई की खेती Oats farming जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार

आज हम इस पोस्ट मे जानेंगे की जई की खेती (Oats farming) कैसे की जाती है, साथ ही जई की खेती में रखें इन बातों का विशेष ध्यान जिससे होगा आपको और ज्यादा मुनाफा :-

बुआई का समय

रबी में

बुआई का समय – 15 अक्टूबर से 20 नवंबर के बीच

फसल अवधि – 100 से 180 दिन


तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई

जई की फसल उगाने के लिए दोमट या भारी दोमट मिट्टी सही रहती है । खरीफ की फसल कटाई के बाद जई की बुआई की जा सकती है । खेत की 2 से 3 बार जुताई करके खेत को समतल बना ले । फसल की बुवाई से पहले पलेवा जरूर करे ।


उन्नत किस्में ( Varieties ) – जई की खेती

Bundel Jai 851 – अवधि यह भारत के सभी इलाकों में उगाई जा सकती है। इसकी हरे चारे के तौर पर औसतन पैदावार 188 क्विंटल प्रति एकड़ है।

Kent – अवधि गुण यह भारत के सभी इलाकों में उगाने योग्य किस्म है। इसके पौधे का औसतन कद 75-80 सैं.मी. होता है। यह किस्म कुंगी , गर्दन तोड़ और झुलस रोग की प्रतिरोधक है। इसकी चारे की औसतन पैदावार 150 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 180 दिनों में तैयार हो जाती है।

OL – 10 – अवधि यह पंजाब के सारे सिंचित इलाकों में उगाने योग्य किस्म है । इसके बीज दरमियाने आकार के होते हैं । इसकी चारे के तौर पर औसतन पैदावार 270 क्विंटल प्रति एकड़ है।

Haryana Javi – 114 अवधि यह अगेती बिजाई वाली किस्म है। यह किस्म 1974 में ccs HAU , हिसार द्वारा जारी की गई है। यह किस्म पूरे भारत में उगाने के लिए उपयुक्त है।

यह किस्म गर्दन तोड़ के प्रतिरोधी है। यह ज्यादा कटाई के लिए उपयुक्त है। इसके हरे चारे की औसतन उपज 50-230 क्विंटल और बीजों की उपज 54-83 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।


बीज की मात्रा

एक एकड़ में बिजाई के लिए 24-28 किलो बीज की आवश्यकता होती है। बीज उपचार बीज को उपचारित करने के लिए 2 ग्राम Carbondazim को 1 किलोग्राम बीज में मिलाएं और बीज को 5 से 6 घंटे के लिए छाए के जगह रख दे।

बुआई का तरीका

जई की बुवाई कतारों में या छिटका विधि से कर सकते है ।


उर्वरक व खाद प्रबंधन – जई की खेती

जई की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए 30 किलोग्राम यूरिया और 40 किलोग्राम डी ए पी अन्तिम जुताई के समय भूमि मे मिला दे।

20 किलोग्राम यूरिया दो बार बराबर मात्रा में पहली बुवाई के 20-25 दिन बाद सिचाई के उपरान्त छिड़काव कर देना चाहिये तथा दूसरी मात्रा इसी तरह पहली कटाई के बाद देनी चाहिये।

जिस भूमि मे सल्फर कम हो उसमें 20 किलोग्राम सल्फर का प्रयोग अच्छी उपज देता है।


सिंचाई – जई की खेती

फसल की बुवाई पलेवा करके करे । फसल में एक माह के अन्तर पर सिंचाई करना चाहिये । कल्ले निकलने तथा फूल आने के समय नमी के अनुसार सिचाई करे ।

फसल की कटाई – जई की खेती

कटाई 8-10 सेमी ० की जमीन के ऊपर करने से कल्ले निकलते है। बीज लेने के लिए पहली कटाई के बाद फसल छोड दे।



"हम एक टीम हैं, जो आपके लिए अलग-अलग स्रोतों से मंडी भाव और कृषि समाचार एकत्रित कर आप सभी किसान भाइयों तक पहुँचाती है...."

Leave a Comment

Enter Your Mobile Number

We'll send you a 6-digit code to verify

+91

Verify Your Phone

Enter code sent to . Change

One Last Step!

Please tell us your name

Welcome, !

Let's set up your profile.

Tell us about yourself