Barley farming – जौ की खेती जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार

आज हम इस पोस्ट मे जानेंगे की जौ की खेती कैसे की जाती है साथ ही जौ की खेती में रखें इन बातों का विशेष ध्यान जिससे होगा आपको और ज्यादा मुनाफा :-

बुआई का समय

रबी में

बुआई का समय – 1 अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच

सल अवधि – 110 से 125 दिन


तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई

जौ की फसल बुवाई के समय तापमान 18 से 22 डिग्री सेल्सियस और फसल कटाई के समय तापमान 20 से 26 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए।

जौ की फसल के लिए बलुई दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी वाली मिट्टी का चयन करे। जिस खेत का चयन करे उसमें जल निकास की उचित व्यवस्था हो । फसल के लिए चयन की गई मिट्टी का पी.एच मान 6 से 8 के बीच का होना चाहिए।

जौ की फसल बुवाई से 15 दिन पहले 1 एकड़ खेत 8 टन सड़ी हुए गोबर की खाद डालकर खेत की 1 जुताई करके सिचाई कर दे। इसके बाद खेत की 3 से 4 जुताई के बाद बीज बुआई करके पट्टा फेर दे।


उन्नत किस्में ( Varieties ) – जौ की खेती

आर डी -2035 – अवधि 120 से 125 दिन यह किस्म 120 से 125 दिन मे पकने वाली है । इस किस्म के 1,000 दानों का वजन 43 से 45 ग्राम होता है । इस किस्म की उपज 60 से 65 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है ।

हरितमा ( के -560 ) – अवधि 110 से 115 दिन यह जौ की असिंचित दशा के लिये उपयुक्त किस्म है । समस्त रोगो के लिये अवरोधी मैदानी क्षत्रों हेतु अनुमोदित। फसल पकने की अवधि 110 से 115 दिन और उपज क्षमता 35 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

के .603 – अवधि 120 से 125 दिन यह जौ की असिंचित दशा के लिए उपयुक्त किस्म , समस्त रोग हेतु अवरोधी । यह किस्म 120 से 125 दिन में पककर तैयार हो जाती है और उपज 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है ।


बीज की मात्रा – जौ की खेती

जौ की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए 35 से 40 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है । बीज उपचार हाइब्रिड बीज पहले से उपचारित आते है इनकी सीधी बुवाई की जा सकती है । अगर घर पर तैयार किया हुआ या देसी बीज की बुवाई करते है तो इसे कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम + थिरम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित कर ले ।

बुआई का तरीका

जौ की फसल बुवाई छिटका विधि से की जाती है। सिंचाई वाले क्षेत्रों में गहराई 3-5 सें.मी. रखें और बारिश वाले क्षेत्रों में 5-8 सैं.मी. रखें ।


उर्वरक व खाद प्रबंधन – जौ की खेती

फसल बुवाई के समय 1 एकर खेत में 10 किलोग्राम कार्बोफुरान , 50 किलोग्राम डी ए पी , 50 किलोग्राम पोटाश , 25 किलोग्राम यूरिया , 8 किलोग्राम जायम , का इस्तेमाल करे।

फसल बुवाई के 20 से 25 दिन बाद 1 एकर खेत में 25 किलोग्राम यूरिया , 8 किलोग्राम जायम 3 किलोग्राम सल्फर का प्रयोग करे।

फसल बुवाई के 45 से 50 दिन बाद 1 एकर खेत में 25 किलोग्राम यूरिया , 8 किलोग्राम जायम प्रयोग करे।


सिंचाई – जौ की खेती

जौ की खेती से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए 4 से 5 सिंचाई पर्याप्त होती है। प्रथम सिंचाई बुवाई के 25 से 30 दिन बाद , दूसरी सिंचाई 40 से 45 दिन, तीसरी सिंचाई फूल आने पर एवं चौथी सिंचाई दाना दूधिया अवस्था में आने पर करनी चाहिये।


फसल की कटाई

जौ की फसल की कटाई किस्म के अनुसार मार्च के आखिर और अप्रैल में पक जाती है। फसल को ज्यादा पकने से बचाने के लिए समय से कटाई करें। फसल में 25-30 प्रतिशत नमी होने पर फसल की कटाई करें।



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