कटहल का फल आकार में बहुत बड़ा होता है, इसीलिए इसे विश्व का सबसे बड़ा फल भी कहते हैं। कटहल का पूरी तरीके से तैयार पौधा कहीं सालों तक फल देता है, कटहल के फल (Jackfruit) को विशेषकर सब्जी के रूप में प्रयोग किया जाता है, परंतु इसे ऐसे भी खाया जा सकता है, इसीलिए हम इसे सब्जी और फल दोनों की श्रेणी में रखते हैं।
कटहल की फल की बाहरी परत पर छोटे-छोटे कांटे उभरे हुए होते हैं, यह बहुत ही पोषक तत्वों (Jackfruit Nutrients) से भरा होता है, जैसे कि कैल्शियम, आयरन, विटामिन ए, एवं सी और पोटेशियम भी काफी मात्रा में होता है।
यह सभी तत्व मानव शरीर के लिए बहुत लाभदायक हैं, 1 साल में कटहल के पेड़ से लगभग 2 बार फल प्राप्त किए जा सकते हैं, इसीलिए कटहल की खेती (jackfruit cultivation) किसानों के लिए आय की दृष्टि से बहुत ही अच्छा साधन बन सकती है, और किसान को बड़ी मात्रा में लाभ प्रदान करती है।
कच्चा या पका हुआ दोनों रूप में उपयोगी
कटहल का फल कच्चा हो या पका हुआ वह दोनों रूप में उपयोगी होता है, कच्चा फल तो सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता है, वही पके हुए फल को और बीजों को सुखाकर या ऐसे ही उपयोग में लाया जा सकता है।
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किन राज्यों मे कटहल की खेती की जाती है ?
कटहल के बाजार में बहुत ही ज्यादा मांग होती है, इसकी बागवानी मुख्य रूप से बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल, झारखंड और दक्षिण भारत के कई राज्यों में होती है।
वही देखा जाए तो दक्षिण भारत में ज्यादातर महाराष्ट्र, कर्नाटक, और केरल में इसकी खेती (jackfruit origins) काफी प्राचीन समय से लगभग 3000 से 6000 साल पहले से की जा रही है, इन्हीं राज्यों में कटहल को बहुत बड़े पैमाने पर उगाया जाता है।
विदेशों तक भी निर्यात किया जा रहा
भारत में पैदा हो रहे कटहल को अब विदेशों तक भी निर्यात किया जा रहा है, जिससे कटहल की बागवानी करने वाले किसानों को अच्छी मात्रा में फायदा मिल रहा है, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कटहल श्रीलंका और बांग्लादेश का राष्ट्रीय फल है।
राज्य फल का दर्जा प्राप्त
भारत में कटहल को केरल और तमिलनाडु में राज्य फल का दर्जा प्राप्त हुआ है, यदि आप भी कटहल की खेती (jackfruit farming) कर अच्छा मुनाफा प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस पोस्ट को आगे पढ़ते रहिए इस पोस्ट में कटहल की खेती के बारे में आपको संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाएगी और आप इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
कटहल की खेती के बारे मे – jackfruit farming
कटहल का पौधा (jackfruit tree) लगभग 8 से 15 मीटर ऊंचाई वाला होता है, जो कि ऊपर की तरफ बढ़ता है, जिसमें कई शाखाएं निकली होती है, पत्तों का आकार बड़ा और घना होता है।
कटहल को फनस भी कहते हैं, और इसका वानस्पतिक नाम औनतिआरिस टोक्सिकारीआ (Antiaris Toxicaria) है। इसके पत्तों का आकार 10 सेंटीमीटर से लेकर 20 सेंटीमीटर तक चोंडा होता हैं, और अंडाकार तरीके के थोड़े काले एवं हरे रंग के होते हैं।
कटहल में पुष्प स्तंभ और मोटे शाखाओं पर लगते हैं, पुष्पा का कार 5 सेंटीमीटर से 15 सेंटीमीटर तक लंबे और 2 से 5 सेंटीमीटर अंडाकार किंचित पीले रंग के होते हैं।
कटहल के साथ अन्य फसलों की खेती
इसके फल आकार में बड़े बड़े और मोटे लंबे होते हैं, इस के बाहरी परत पर छोटे-छोटे कांटे होते हैं, जो कि ज्यादा चुभते नहीं हैं, वही फल के आकार की बात करें तो इसका फल लगभग 20 किलो वजन वाला होता है, कटहल के वृक्ष की छाया में कई प्रकार की खेती जैसे कि हल्दी अदरक इलायची काली मिर्ची आदि की खेती की जा सकती हैं।
कटहल के पौधे के लिए मिट्टी कैसी हो ?
कटहल की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती हैं, लेकिन फिर भी बालू या दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त मानी गई है इसके अलावा एक और बात विशेष कर ध्यान रखने योग्य है कि जिस भूमि में इसकी खेती की जाए वहां पर जल का भराव ना हो और भूमि का पीएच 7 के आसपास होना चाहिए।
कटहल के लिए उपयुक्त जलवायु
जलवायु की बात की जाए तो इसकी खेती शुष्क एवं शीतोष्ण दोनों जलवायु में कर सकते हैं, क्योंकि यह उष्णकटिबंधीय फसल का पेड़ है, इसलिए यह सोच और नाम दोनों प्रकार के जलवायु में जीवित रहता है।
कटहल के पौधो के लिए उत्तम तापमान
कटहल के पौधे अधिक गर्म और बरसात के मौसम में भी आसानी से वृद्धि कर लेते हैं, किंतु ठंडी के मौसम में गिरने वाले पाले से इसकी फसल को नुकसान पहुंचता है, और यदि 10 डिग्री से नीचे का तापमान फसल को मिलता है, तो यह फसल के लिए हानिकारक होता है। इसीलिए यदि आप कटहल की खेती करना चाहते हैं, तो मिट्टी एवं जलवायु का विशेष ध्यान रखें।
कटहल का पौधा कैसे तैयार करें (how to grow jackfruit)
कटहल के पौधे लगाने की शुरुआत इसके बीज से की जाती है, बीज से पौधा तैयार होने में लगभग 5 से 6 वर्ष का समय लग जाता है, यदि आप कटहल के बीज से पौधा तैयार करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको
- सबसे पहले कटहल के पके हुए फल से बीज को अलग कर लेना है।
- उन्हें ज्यादा समय के लिए बाहर नहीं रखना है, निकालने के बाद तुरंत ही मिट्टी में लगा देना चाहिए।
- पौधा तैयार करने के लिए आप गमला या फिर पॉलिथीन देख का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- बीज की बुवाई के समय आपको पॉलिथीन या गमले में 80 प्रतिशत मिट्टी और 20% गोबर की खाद को अच्छे से मिला देना है।
- बीज की बुवाई मिट्टी में 2 इंच की गहराई पर कर देनी है।
- कटहल की बुवाई (jackfruit planting seeds) कर देने के बाद आपको मिट्टी में पर्याप्त नमी बनाए रखना होगा समय-समय पर पानी डालते रहे हैं।
- मिट्टी को नम बनाए रखें 1 हफ्ते के बाद बीज से अंकुरण हो जाता है।
- कुछ समय के बाद जब पौधों में आपको तीन से चार पत्तियां दिखने लगे तब आप इसकी खेत में बुवाई है, कर सकते हैं।
- कटहल के पौधे बनाने के लिए दो विधियों का उपयोग किया जाता है, जिनके बारे में हम आगे पढ़ेंगे।
ग्राफ्टिंग विधि से कटहल का पौधा तैयार करना
ग्राफ्टिंग या कटिंग के बारे में तो आपको थोड़ी जानकारी होगी ही फिर भी हम आपको बता दें की 1 पौधों में दूसरों पौधों में कटिंग करके शाखा को साथ में लगा दिया जाता ग्राफ्टिंग के द्वारा तैयार किए पौधे से तीन या चार वर्ष में ही फल प्राप्त होने लग जाते हैं।
यदि आप कटहल के व्यापारिक खेती करना चाहते हैं, तो ग्राफ्टिंग विधि से तैयार किए गए पौधे का उपयोग ही करें क्योंकि इस विधि से पौधे को तैयार करना बहुत ही आसान हो जाता है, ग्राफ्टिंग विधि से पौधों को तैयार करने के लिए
- सबसे पहले आपको बीज से तैयार किए गए पौधों को लेना है
- इसके बाद कटहल के अन्य दूसरे बड़े पेड़ की एक छोटी कटिंग लेने हैं जो कि लगभग 3 इंच की होनी चाहिए और
- उसकी मोटाई पेंसिल के बराबर होनी चाहिए
- उस कटिंग को लेने के बाद बीज से तैयार किए गए पौधे के तने मैं लगभग 3 इंच का चीरा लगाना है।
- इसके बाद जो हमने दूसरे पेड़ से कटिंग ली है, उसे नीचे की तरफ से पैना करके तने के कटे हुए भाग के अंदर फंसा देना है।
- इसके बाद आपको इसके ऊपर अच्छे तरीके से टेप या फिर पॉलिथीन से कसकर बांध देना है।
- इसके बाद इसमें से जब भी जड़ निकल आए हैं, उन्हें काट कर खेत में गड्ढा करके लगा दिया जाता है।
तैयार पौधों में रोपाई किस समय व किस तरीके से की जाए
कटहल के तैयार पौधे एवं बीज की रोपाई का सही समय जून से लेकर सितंबर का महीना होता है। कटहल के खेत में रोपाई करने से पहले खेत को अच्छी तरीके से तैयार कर लेना चाहिए जिसमें खेत की अच्छी गहरी जुताई करने के बाद पाटा चलाकर जमीन को पूर्ण समतल बना लेना चाहिए।
पौधों को कितनी दूरी पर लगाए
इस समतल भूमि पर 10 से 12 मीटर की दूरी पर 1 मीटर व्यास एवं 1 मीटर गहराई के गड्ढे तैयार कर लेना अब इन गड्ढों में 20 से 25 किलो गोबर के सड़ी हुई खाद 250 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट 500 म्यूरेट आफ पोटाश, 1 किलोग्राम नीम की खली और 10 ग्राम थाई मेट को मिट्टी में अच्छी तरीके से मिलाने के बाद गड्ढे में भर देना है।
इसके बाद इन गड्ढों में तैयार किए हुए पौधे की रोपाई करके ऊपर से मिट्टी को डालकर अच्छी तरीके से इसे दबा देना है।
कटहल के पौधों की देखभाल
सिंचाई कटहल के पौधों में ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है, इसके पौधे की रोपाई के तुरंत बाद ही इस की सिंचाई कर देनी चाहिए।
इसके बाद गर्मियों के मौसम में मैं लगभग 15 से 20 दिन के अंतराल में पौधे के आसपास जब जमीन सूख जाए तब आपको हल्की सिंचाई कर देने हैं, इसके बाद पौधों में 2 से तीन सिंचाई की और जरूरत होती है।
यदि बारिश का मौसम है या मिट्टी में नमी बनी हुई है तब हमें देख लेना है, और जरूरत के हिसाब से पानी देना है। एक बात का विशेष ध्यान रखें यदि बहुत है मैं फूल आना शुरू हो जाए तब आपको सिंचाई नहीं करनी है।
कटहल की खेती मे खरपतवार नियंत्रण
कटहल की बागवानी में खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई गुड़ाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए और खेत को खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए।
वैसे तो इसके पौधों को ज्यादा खारपतवार नियंत्रण की आवश्यकता नहीं होती परंतु फिर भी पौधों के अच्छे पोषण के लिए समय-समय पर खेत में निंदाई गुराई प्राकृतिक विधि के द्वारा करवानी चाहिए।
कटहल की खेती मे कीटों का प्रकोप
कटहल के पेड़ में वैसे तक कीटों का प्रकोप बहुत कम होता है, क्योंकि इसका पौधा उष्णकटिबंधीय जलवायु वाला पौधा है, कटहल के पौधे के अंदर कई प्रकार के औषधि गुण पाए जाते हैं।
जिस वजह से इसमें रोग एवं कीट का प्रकोप ना के बराबर होता है, इसमें लगने वाले कुछ रोग और उनके रोकथाम के बारे में नीचे हैं बताया गया है….
कीटनाशक – fertilizer for jackfruit tree
फली सड़न गलन रोग के पौधे मैं पाली करने का रोग लग सकता है, इस रोग से बचाव के लिए नेम 45 के 2 ग्राम प्रति लीटर मैं खुलकर 15 दिनों के अंतराल पर 23 छिड़काव कर देना चाहिए।
बग रोग एक इस रोग से बचाव के लिए मेलाथियान की 0.5% की मात्रा का छिड़काव करना चाहिए।
गुलाबी धब्बा इस रोग से बचाव हेतु कटहल के पौधे पर कॉपर ऑक्सिक्लोराइड या ब्लू कॉपर का घोल बनाकर उचित मात्रा में छिड़काव करना चाहिए।
कटहल की खेती में प्रमुख कीट
मिली बैग :- इस रोग से बचाव के लिए पहले ही खेत की जुताई कर देनी चाहिए तथा 3 मिलीलीटर एंडोसल्फान प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर देना चाहिए।
तना छेदक :- इस रोग से बचाव हेतु पौधे के तने एवं डाली पर जहां पर भी आपको छेद नजर आए उसे केरोसिन तेल में रुई भीगा कर भर दे और क्षेत्र के मुंह पर थोड़ी मिट्टी लगा दें।
कटहल की पैदावार एवं होने वाला मुनाफा
कटहल की खेती में पौधे की रोपाई करने के बाद 3 से 4 साल में फल प्राप्त हो जाते हैं, वही बीज से तैयार किए गए पौधों को फल देने में 7 से 8 साल का समय लगता है, एक तैयार पौधों में लगभग 12 साल तक अच्छी मात्रा में फल आते हैं, इसके बाद फलों की मात्रा कम हो जाती है, जैसे जैसे ही पेड़ पुराना होने लगता है फलों की संख्या कम होने लगते हैं ।
कटहल की बागवानी (Jackfruit Gardening) में एक हेक्टेयर जमीन में डेढ़ सौ पौधे तक लगाए जा सकते हैं, जिनसे हमें लगभग साल भर में 500 से 1000 किलोग्राम की पैदावार प्राप्त होती है, इस हिसाब से किसान भाई कटहल की 1 वर्ष की पैदावार से तकरीबन 3 से ₹4 लाख की कमाई आसानी से कर सकते हैं।
कटहल की बागवानी से अन्य लाभ
कटहल का पेड़ 12 महीने फल देने वाला होता है और सदैव हरा भरा रहता है, इसकी शाखाएं चारों तरफ फैली हुई होती है, और इसके पेड़ की ऊंचाई 12 से 15 मीटर तक हो जाती है।
कटहल के साथ अन्य फसलों की खेती
कटहल का वृक्ष बहुत घना और विशाल होता है, जिस भी खेत में कटहल की बागवानी की जाती है, वहां पर इसके साथ अन्य फसलों की खेती भी की जा सकती है, जिनमें की काली मिर्च इलायची आदि शामिल हैं।
कटहल के पत्ते बहुत ही दुख घने होते हैं, जिनके कारण जमीन पर सीधी धूप नहीं पड़ती है, और इसी के कारण से इसकी छाया में इन फसलों की खेती की जा सकती है, जिन्हें ज्यादा धूप की जरूरत नहीं होती है।
कटहल की लकड़ियों का घरेलू उपयोग
जब कटहल के पेड़ की आयु पूरी हो जाती है, तब यह धीरे-धीरे सूखने लग जाते हैं, तब इनकी लकड़ियों का इस्तेमाल घरेलू फर्नीचर दरवाजे खिड़कियां बनाने में किया जा सकता है।
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कटहल की खेती के बारे मे सामान्य प्रश्न (FAQ)
कितने दिन में कटहल का पेड़ फल देता है?
कटहल के पौधा 4 से 5 साल के बाद फल देना शुरू करता है।
कटहल के पेड़ की कितनी उम्र होती है?
कटहल के पेड़ की आयु 25 से 30 वर्ष की होती है।
कटहल का भाव क्या है?
कटहल का भाव बाजार मे लगभग 40 से 100 रुपये किलो तक रहता है।
कटहल का वानस्पतिक नाम नाम क्या है?
कटहल का वानस्पतिक नाम औनतिआरिस टोक्सिकारीआ है, इसे फनस भी कहते है।
क्या कटहल शाकाहारी है?
जी हाँ, कटहल शुद्ध शाकाहारी फल है, यह पेड़ पर लगते है ।