गवार की खेती से होगी लाखों की कमाई

गवार की खेती (Cluster Bean Cultivation) को मध्य प्रदेश (भारत) में चतरफली के नाम से भी जाना जाता हे, गवार का अधिकतर उपयोग जानवरों को खिलाने के लिए के चारे के रूप में भी होता है। पशुओं को ग्वार खिलाने से उनमें शारीरिक ताकत आती है, तथा दूध देने वाले पशुओं कि दूध देने की क्षमता में बढोतरी होती है।

ग्वार से ही गोंद का निर्माण भी किया जाता है, इस ‘ग्वार गम’ का उपयोग अनेक उत्पादों में होता है, ग्वार फली से स्वादिष्ट तरकारी बनाई जाती है, दलहनी फसलों में ग्वार फली का विशेष योगदान है।

यह फसल हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, आदि प्रदेशों में ली जाती हैं। भारत में ग्वार के क्षेत्रफल और उत्पादन Gawar ki kheti की दृष्टि से राजस्थान राज्य अग्रणी है।

गवार की खेती मे बुआई का समय

खरीफ में

  • बुआई का समय – 1 जून से 31 जुलाई के बीच
  • फसल अवधि – 50 से 120 दिन

जायद में

  • बुआई का समय – 1 फ़रवरी से 31 मार्च के बीच
  • फसल अवधि – 45 से 115 दिन

रबी में

  • बुआई का समय – 10 सितंबर से 30 अक्टूबर के बीच
  • फसल अवधि – 50 से 120 दिन
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तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई

इसकी खेती के लिए दोमट और बलुई दोमट मिट्टी अच्छी रहती है। फसल के लिए चयन की गई भूमि का पी.एच मान 6.5 से 8 के बीच का होना चाहिए।

फसल बुवाई के 15 दिन पहले मिट्टी पलटने वाले हल से 1 बार जुताई कर दे जिससे खेत में मौजूद खरपतवार और कीट नष्ट हो जाए। इसके बाद प्रति एकड़ खेत में 10 से 12 टन सड़ी हुई गोबर की खाद और 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा डाले।

खाद डालने के बाद खेत की 1 बार जुताई करके पाटा लगाकर पलेवा कर दें। पलेवा के 6 से 8 दिन बाद 1 बार गहरी जुताई कर दें।

इसके बाद खेत में कल्टीवेटर द्वारा 2 बार आडी – तिरछी गहरी जुताई करके खेत पर पाटा लगा दें जिससे खेत समतल हो जाएं। अब खेत बुवाई के लिए तैयार है।


गवार की उन्नत किस्में ( Varieties )

  • दुर्गापुरा सफेद – अवधि गुण 100 से 115 दिन यह एक अगेती किस्म है जो 100 से 115 दिन में पकती है। औसतन 10 से 12 क्विंटल दाना प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त किया जा सकता है। यह किस्म जीवाणु अंगमारी एवं आल्टरनेरिया पर्ण अंगमारी जैसी बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी है।
  • दुर्गाजय – अवधि 110 से 120 दिन यह एक शाखा वाली , उभरी हुई एवं बीमारी से प्रतिरोधक किस्म है। पौधा 110 से 120 दिन में पककर तैयार हो जाता है। औसतन 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है एवं इसमें 30 % गोंद 43 से 75 % बीजों में प्रोटीन होता है।
  • दुर्गाबाहर – अवधि 50 से 55 दिन यह किस्म बुवाई के 50 से 55 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी फलियां लंबी , गुदे दार और गहरे हरे रंग की होती हैं । इस किस्म की औसतन उपज 80 से 8 5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
  • पूसा सदाबहार – अवधि यह किस्म बिना शाखा वाली होती ह। इसकी खेती गर्मी और वर्षा दोनों ऋतु में की जा सकती है। इसकी फली हरी और 10 से 13 सेंटीमीटर लंबी होती है । यह बुवाई के लगभग 55 दिनों बाद तैयार हो जाती है।
  • शरद बहार – अवधि यह देर से तैयार होने वाली किस्म है। यह किस्म 80 से 85 दिन में तैयार हो जाती है। इसकी औसतन उपज प्रति हेक्टेयर 140 से 150 क्विंटल होती है।
  • गोमा मंजरी – अवधि गुण इसके पौधे काफी लंबे होते हैं। यह किस्म बुवाई के 70 से 80 दिनों बाद तैयार हो जाती है । इसकी औसतन उपज 100 से 105 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
  • पूसा नवबहार – अवधि इस किस्म की शाखाएं नहीं होती। यह किस्म वर्षा और गर्मी दोनों ऋतुओं के लिए उपयुक्त है । इसकी फली की लंबाई 12 से 15 सेंटीमीटर होती है। यह अच्छी गुणवत्ता वाली किस्म है । यह बुवाई के 50 दिनों बाद तैयार हो जाती है । इस किस्म की औसतन उपज 80 से 85 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।

गवार की खेती मे बीज की मात्रा – Gawar ki kheti

ग्वार की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए दाने एवं सब्जियों के लिए 6 से 8 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। हरी खाद वाली फसल के लिए 12 से 15 किलोग्राम , चारे वाली फसल के लिए 15 से 18 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

बीज उपचार

हाइब्रिड बीज से बुवाई कर रहे हैं, तो बीज को उपचारित करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हाइब्रिड बीज कंपनी द्वारा उपचारित किये हुए आते हैं।

घर पर तैयार देशी बीज का उपचार : बीज का रासायनिक विधि से उपचार के लिए 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम + 2 ग्राम थिरम से 1 किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें।

जैविक तरीके से उपचार के लिए 5 ग्राम ट्रायकोडर्मा विरिडी + 5 ग्राम PSB की मात्रा से 1 किलो बीज़ को उपचारित करें। बीज को उपचारित करके छाया में सुखाकर बुवाई करें।

बुआई का तरीका

ग्वार की फसल (gawar ki kheti) बुवाई के समय पौधे से पौधे की दूरी 30 सेमी और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 से 60 सेमी रखे । बीजों को खालियों पर 2-3 सेमी की गहराई में बोयें ।


उर्वरक व खाद प्रबंधन – Gawar ki kheti

फसल बुवाई के समय प्रति एकड़ खेत में 25 किलो पोटाश , 25 किलो यूरिया , 40 किलो डीएपी , 10 किलो कार्बोफुरान , 5 किलो जायम का इस्तेमाल करें ।

30 से 35 दिन की फसल में 1 एकड़ खेत में 20 किलोग्राम यूरिया खाद का इस्तेमाल करे।


गवार की खेती मे सिंचाई

गर्मियों की फसल में नमी के अनुसार 6 से 8 दिन पर सिंचाई करे।

फसल की कटाई

ग्वार की फसल में किस्म के अनुसार 40-50 दिनों के बाद हरी फलियों की कटाई शुरू की जाती है।


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