मछली पालन की बायोफ्लॉक तकनीक से कमाए मुनाफा

बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन कैसे होता है

भारत में मत्स्य पालन मछली पालन व्यवसाय अब एक बड़े स्तर तक पहुंच चुका है । पहले मछली पालन सिर्फ मछुआरों द्वारा ही किया जाता था, परंतु अब इसके बढ़ते व्यवसाय को देखते हुये कई किसानों ने भी मछली पालन की शुरुआत कर दी है, ओर अब यह भारत मे तेजी से बढ़ रहा है, फिर चाहे वह कोई पारंपरिक तरीका हो या आज की आधुनिक तकनीक, आज के समय मे छोटे बड़े सभी किसान मछली पालन व्यवसाय से मुनाफा कमा रहे है।

यही कारण है कि आज के समय में मछली पालन लगभग डेढ़ करोड़ लोगों के जीने का साधन बन चुका है । जिसके चलते मछली पालन के क्षेत्र में रिसर्च करने वाले हमारे वैज्ञानिक एक ऐसी तकनीक का आविष्कार किया है, जिससे मछली पालन में कम से कम लागत मे अधिक से अधिक मुनाफा कमाया जा सके।

भारत में नीली क्रांति – Blue Revolution in india

भारत में नीली क्रांति (Blue Revolution) के तहत आज मछली पालन की नई-नई तकनीकों का चलन बढ़ा है। इसी प्रकार मछ्ली पालन (Fish farming) की एक नई तकनीक बायोफ्लॉक तकनीक है। इस तकनीक के द्वारा किसान अधिक मछली का उत्पादन प्राप्त करके मोटी कमाई कर सकते हैं । आज हम इस पोस्ट मे नीली क्रांति योजना (Blue Revolution) अंतर्गत बायोफ्लॉक तकनीक के बारे मे जानेंगे। 

बायोफ्लॉक तकनीक (Biofloc Technology) क्या है ?

  • बायोफ्लॉक तकनीक में एक अलग प्रकार के विशेष बैक्टीरिया का प्रयोग किया जाता है ।
  • इस बैक्टीरिया का नाम ही बायोफ्लॉक है ।
  • इस तकनीक के अंतर्गत करीब 10 से 15 हजार लीटर के बड़े-बड़े टैंकों में मछलियों को डाला जाता है।
  • इन टैंकों में पानी डालने, पानी निकालने के साथ ही ऑक्सीजन की उचित व्यवस्था होती है ।
  • बता दें कि मछलियां जितना खाती हैं उसका करीब 75 प्रतिशत मल के रूप में शरीर से बाहर निकालती है।
  • यह मल पानी में फैल जाता है।
  • बायोफ्लॉक बैक्टीरिया इस मल को प्रोटीन में बदल देता है,
  • जिसे मछलियां खा जाती है।
  • इससे एक तिहाई फीड की बचत होती है।
  • इसके अलावा पानी भी साफ रहता है। 
biofloc-technology

बायोफ्लॉक तकनीक के लिए जरूरी सामाग्री

  • बायोफ्लॉक तकनीक के लिए एक सीमेंट या तारपोलिन के टैंक की आवश्यकता होती है।
  • हवादार सिस्टम, और उत्तम मछली बीज का प्रबंधन बायोफ्लॉक तकनीक के लिए बेहद जरूरी है। 
  • इस तकनीक में सहायक ऐरोबिक बैक्टीरिया को 24 घंटे की लगातार हवा में जीवित रहता है, जो बायोफ्लॉक तकनीक को सफल बनाने में मददगार है, इसलिए 24 घंटे बिजली की उपस्थिति होना जरूरी है ।
  • आप सोलर पैनल का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे अतिरिक्त खर्चों में भी बचत होगी।

इस तकनीक के क्या लाभ है

बायोफ्लॉक तकनीक से मछलियों की खेती से किसानों को कई प्रकार के फायदें होते हैं, जिससे लागत में कमी आती है, और उनका मुनाफा बढ़ सकता है। 

कम लागत पर बेहतर उत्पादन : – इस तकनीक के इस्तेमाल कर मछली पालन करने पर कम लागत पर अधिक मछलियों का अधिक और बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसमें मछलियों के फीड का खर्च कम आता है और पानी साफ करने का खर्च भी कम होता है। 

जल का पूरा उपयोग :- बायोफ्लॉक बैक्टीरियां के कारण टैंक का पानी निरंतर साफ होता रहता है, इससे रोजाना पानी नहीं बदलना पड़ता जिससे इससे जल की बचत होती है। इस तरह तकनीक में टैंक में भरे जल का पूरा उपयोग होता है।

टैंक से मछलियों को निकालना आसान – इस तकनीक में टैंकों में मछली पालन होने से टैंकों के पानी को बदलना आसान होता है । इसके लिए तालाब में मछलियों को निकलना काफी मुश्किल भरा काम होता है, जबकि टैंक से मछलियों को निकालना आसान होता है ।

इसके लिए पहले  टैंक से पानी बाहर निकलें और बाद में मछलियां को बाहर निकाल लें, वहीं यदि मछलियों में कोई रोग हो जाता है, तो जिस टैंक में दिक्कत होती है, बस सिर्फ उसे ट्रीट करने की आवश्यकता होती है, जबकि तालाब में पूरे तालाब में दवा डालनी पड़ती है। 

इस तकनीक मे कितना खर्च आता है

  • नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड (National Fisheries Development Board) के अनुसार यदि हम 7 टैंक से मछली पालन शुरू करें तो इसके शुरुआत में करीब 7.5 लाख रुपए का खर्च आता है ।
  • इसमें मछलियों के बीज से लेकर उनके फीड और कई प्रकार की टेस्टिंग किट की लागत भी जोड़ी गई है ।
  • यह खर्चा 15-15 हजार लीटर के टैंक में मछली पालन करने पर आता है।
  • यह सरकारी आंकड़े हैं, जो अलग-अलग जगह के हिसाब से कुछ अलग-अलग हो सकते हैं।

पांच लाख रुपए तक का होगा मुनाफा

यदि मछली पालक किसान एक साल में दो बार मछलियां पालन करके बेचते हैं, तो उनको लगभग 8 लाख रुपए तक का मुनाफा हो सकता है।

NFDB ने इसमें से भी डेप्रिसिएशन कॉस्ट, ब्याज, लागत की पहली किस्त का भुगतान आदि घटाया है। ये सब मिलाकर करीब 3 लाख होता है। यानी सारे खर्चे घटाकर और अगली फसल के लिए पैसे रखकर भी मछली पालक पहले ही साल करीब – करीब 5 लाख रुपए का मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। 

आसानी से समझे कितना हे मुनाफा

यदि कोई मछली पालक 7 टैंक में मछली पालन करता हैं, तो आपको पहली फसल के अंत तक करीब 5.5 लाख की कमाई होगी। यानी की 7.5 लाख लगाकर आपने लगभग 5.5 लाख रुपए कमाए हैं। अब अगर अगली खेती के लिए ऑपरेशन कॉस्ट 1.5 हटा दें तो आपका मुनाफा 4 लाख होता है। 

पहली फसल के बाद आपको मुनाफा कम लग सकता हैं, क्योंकि आपने कैपिटल कॉस्ट के लिए 6 लाख रुपए खर्च किए हैं, जिनसे आपने पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है।

दूसरी फसल के बाद भी आपको 5.5 लाख रुपए के लगभग मुनाफा होगा। इसमें से अगली फसल के लिए 1.5 लाख हटा दें तो 4 लाख बचता है। इस तरह आप साल में दो बार मछलीपालन करके कुल 8 लाख रुपए पाते हैं, जिसमें से 3 लाख का खर्चा हटाने के बाद आपको नेट लाभ 5 लाख रुपए हो सकता है। 

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