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अब पटवारी नहीं, गांव के लोग ही करेंगे फसलों की गिरदावरी

मध्य प्रदेश वर्तमान में एक चर्चा का विषय है, इस वर्ष के चुनाव और पटवारी परीक्षा के घोटाले ने मध्य प्रदेश को सुर्खियों में लाया है। किसान लोगों के अनुसार, पटवारियों ने बिना सर्वे के गिरदावरी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह किसानों के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि इससे उन्हें नुकसान हो सकता है।

किसानों का मानना है, कि सरकार को एक प्लान बनाना चाहिए जिसमें उनके खेतों में होने वाली फसल के वास्तविक रिकॉर्ड को ऐप (SARA App) में दर्ज किया जाए। इससे गिरदावरी की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की आशंका नहीं रहेगी और भीषण प्राकृतिक आपदा या फसल बीमा का लाभ पाने में किसानों को भी सहायता मिलेगी। इससे किसी भी किसान को फर्जी फसल बताकर प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ नहीं मिलेगा।

इस नई पहल के अनुसार, गांव के लोग ही अपने क्षेत्र की फसल नुकसान की गिरदावरी का काम करेंगे, पटवारी नहीं। उन्हें मोबाइल ऐप की मदद से गिरदावरी का काम करने में सहायता मिलेगी। यह एक नया और सुविधाजनक प्रयास है जो किसानों को सरकारी योजनाओं और लाभों से अधिक लाभ पहुंचाने की संभावना बनाता है।

इस प्रकार, नई योजना द्वारा मध्य प्रदेश के किसानों को उनके खेतों की गिरदावरी के लिए अधिक नियंत्रण और लाभ मिलेगा, जिससे उन्हें फसल नुकसान का सामना करने में अधिक सक्षम बनाया जा सकता है।

सरकार की योजना क्या है ?

वास्तव में, केंद्र सरकार का एक नया प्लान है, कि फसलों की गिरदावरी के लिए गांव के लोगों को अस्थायी रूप से सर्वेयर बनाया जाए। सर्वेयर एक ऐसा व्यक्ति होता है जो खेतों में सर्वे करता है। उन्हें एक खेत का सर्वे करने पर आठ से 10 रुपये का दिया जा सकता है।

दो जिलों मे पायलट प्रोजेक्ट का काम शुरू

पायलट प्रोजेक्ट का काम शुरू हो चुका है, वर्तमान में यह काम नीमच और सिवनी जिलों में चल रहा है और इसे एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शामिल किया गया है। जब पायलट प्रोजेक्ट सफल हो जाएगा, तो इसे प्रदेश के अन्य जिलों में भी लागू किया जाएगा।

इस प्रोजेक्ट के तहत सभी 52 जिलों के लगभग 53 हजार गांवों के करीब 80 लाख किसानों के खेतों में होने वाली फसलों का रिकॉर्ड ऑनलाइन होगा। इस विषय में आयुक्त भू-अभिलेख (bhu abhilekh ) ने सभी जिलों के कलेक्टरों के साथ बातचीत भी की है।

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फसल गिरदावरी क्या है ?

गिरदावरी (Fasal Girdawri) एक महत्वपूर्ण तकनीक है, जो किसानों को सरकार की योजनाओं से जोड़ने में मदद करती है। इसके जरिए किसानों के खेत का रकबा और होने वाली फसल को आधार बनाया जाता है। हर खेत की गिरदावरी की जाती है जिससे यह देखा जा सकता है कि किस खेत में कौन सी फसल लगाई गई है।

गिरावदारी से क्या जानकारी मिलती है ?

गिरावदारी के माध्यम से रबी, खरीफ और अन्य सीजन में खेतों में लगी गई फसलों का विवरण देखा जा सकता है। यह गिरावदारी विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण आधार प्रदान करती है जो किसानों को सही समय पर सही सहायता प्रदान करने में मदद करती है।

साल में तीन बार होगी फसल की गिरदावरी

सरकार द्वारा संचालित इस कार्य से अब फसल की गिरदावरी साल में तीन बार होगी, और इसके लिए सारा ऐप का उपयोग किया जाएगा। यह ऐप फसल के पैदावार, फसल बीमा और अन्य योजनाओं में मदद करेगा।

अब सर्वेयर खेत के बीचों बीच खड़े होकर फसल की फोटो लेकर पटवारी को बताएगा। इससे किसानों को सटीक और निष्पक्ष गिरदावरी की सुविधा मिलेगी जिससे उन्हें सरकारी योजनाओं के लाभ का भी सही उपयोग करने में मदद मिलेगी।

जांच के लिए जांचकर्ता की नियुक्ति

अब जांचकर्ता को गांवों की जानकारी की जांच के लिए नियुक्ति की जाएगी। हर साल मौसम के अनुसार, सर्वे करने वाले लोग द्वारा अपलोड की गई जानकारी से 20 प्रतिशत गांवों का चयन सिस्टम के माध्यम से किया जाएगा।

इस प्रकार, प्रत्येक वर्ष मौसम के अनुसार गांवों का चयन करते हुए आगामी पांच वर्षों में सभी गांवों की जांच कार्य पूरा किया जाएगा। इस नए नियम के अनुसार, एक विशेष जांचकर्ता को भी नियुक्ति किया जाएगा जो इन गांवों की जांच करेगा।

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गांव के लोगों को मिलेगा रोजगार का अवसर

गांव के लोगों को रोजगार का अवसर मिलेगा क्योंकि सरकार द्वारा हर गांव में सर्वे करने वाले लोगों को नियुक्त करने के लिए योजना बनाई गई है। अनुमान के अनुसार, प्रदेश के 53 हजार गांवों में स्थानीय लोगों को एक निश्चित अवधि के लिए रोजगार मिलेगा। इससे गांव के लोगों को रोजी-रोटी का सुनहरा अवसर मिलेगा।

पटवारी करेंगे कामकाज की मॉनिटरिंग

इसके साथ ही, प्रदेश में 19 हजार से अधिक पटवारी हैं, जो सर्वे करने वाले लोगों के कामकाज की मॉनिटरिंग करेंगे। इससे सर्वे कार्य की निगरानी होगी और काम की गुणवत्ता बढ़ाएगी। यह प्रक्रिया गांव के लोगों के साथ-साथ पटवारियों के लिए भी फायदेमंद सिद्ध होगी।

पारदर्शिता बनी रहेगी गड़बड़ी की संभावना नहीं

गिरदावरी के ऑनलाइन होने से पारदर्शिता बनी रहेगी, भू-अभिलेख (landrecord) के आयुक्त, संजय गोयल ने बताया है, कि केंद्र सरकार के इस प्लान के तहत सिवनी और नीमच जिले को गिरदावरी के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुना गया है, इसके बाद और जिले शामिल किए जाएंगे।

गांव के ही व्यक्ति सर्वे करेंगे

इससे गांव के स्थानीय लोगों को रोजगार का एक नया अवसर मिलेगा क्योंकि गांव के ही व्यक्ति सर्वे करने वाला होगा। यह सारी जानकारी सारा ऐप में अपलोड होने से किसी भी गड़बड़ी की संभावना नहीं रहेगी। इससे सिस्टम पारदर्शिता और सुरक्षित होगा जो उपभोक्ताओं को विश्वास दिलाएगा।

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