जीरो बजट खेती क्या है, जाने इसके फायदे – Zero Budget Farming

जीरो बजट खेती क्या है ?

Zero Budget Farming : किसान भाइयो इस पोस्ट मे हम जीरो बजट खेती के बारे मे जानेंगे, इसके तहत फसलों के उत्पादन में केमिकल (रासायनिक खादों) के स्थान पर प्राकृतिक खाद का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग से भी दूरी बनाई जाती है।

इसमें देशी गाय के गोबर, मूत्र और पत्तियों से खाद और कीटनाशक का उपयोग किया जाता है, किसान के ऐसा करने में किसानों को लागत बहुत ही कम या ना के बराबर आती है।

जीरो बजट खेती को लेकर लोगों में आम धारणा है, कि – ये काफी महंगा काम है, ऐसे में अगर ये कहा जाए की जीरो बजट में भी खेती करना संभव है, तो ज्यादातर लोग इसपर यकीन ही नहीं करेंगे, लेकिन काफी हद तक ऐसा किया जा सकता है। आइये जानते है, इसके बारे मे विस्तार से –

कैसे करते है जीरो बजट खेती

किसान भाइयो आपको बता दें कि जीरो बजट खेती मे फसलों के उत्पादन में केमिकल (रासायनिक खादों) की जगह पर प्राकृतिक खाद का उपयोग किया जाता है।

इसके अलावा रासायनिक कीटनाशकों से दूरी बनाई जाती है उनका प्रयोग नहीं किया जाता है, पूर्व कृषि वैज्ञानिक सुभाष पालेकर को जीरो बजट फार्मिंग तकनीक का जनक कहा जाता है।

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जीवअमृत है जीरो बजट प्राकतिक खेती का आधार

जीरो बजट प्राकतिक खेती का आधार जीव-अमृत है, इसमें देशी गाय के गोबर, मूत्र और पत्तियों से खाद और कीटनाशक का उपयोग किया जाता है।

ऐसा करने में किसानों को लागत ना के बराबर आती है, बता दें इस तरह की खेकी में जीवामृत, बीजामृत, अच्चादान-मल्चिंग, व्हापासा(भाप) का इस्तेमाल खाद और कीटनाशक के तौर पर किया जाता है। इन चारों को ही खेती की इस तकनीक का मुख्य स्तंभ माना जाता है।

जीरो बजट खेती के 4 स्तंभ

  1. जीवामृत,
  2. बीजामृत,
  3. अच्चादान-मल्चिंग,
  4. व्हापासा(भाप)

जीरो बजट फार्मिंग के अंतर्गत खेती के दौरान 4 तकनीकों का प्रयोग किया जाता है, जो इस प्रकार है- 

जीवामृत (Jeevamrit)

जीवामृत जीरो बजट खेती का पहला और महत्वपूर्ण स्तंभ है

  • जीवामृत की सहायता से भूमि को पोषक तत्वों को प्राप्ति होती है।
  • यह उत्प्रेरक एजेंट की भांति कार्य करता है, जिससे भूमि में सूक्ष्मजीवों की गतिविधियां बढ़ जाती है।
  • फसलों का उत्पादन बढ़ जाता है |
  • जीवामृत की सहायता से पेड़-पौधों को कवक और अन्य प्रकार के रोगों से बचाया जा सकता है |

जीवामृत कैसे बनाया जाता है ?

जीवामृत बनानें के लिए सबसे पहले एक बड़े बर्तन में 200 लीटर पानी लें, इसके बाद पानी में लगभग 10 किलो गाय का ताजा गोबर और वृद्ध गाय का मूत्र 8 से 10 लीटर तक, 2 किलो पल्स का आटा, 2 किलो ब्राउन शुगर और मट्टी को मिला दें।

यह सभी चीजे मिलाने के बाद इस मिश्रण को 45 से 48 घंटों के लिए छाया में रख दें, इसके बाद आप इस मिश्रण का इस्तेमाल कर सकते है।

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बीजामृत (Bijamrit)

बीजामृत जीरो बजट खेती का दूसरा स्तंभ है –

  • यह तंबाकू, हरी मिर्च और नीम के पत्तों के गूदे का मिश्रण है।
  • इसका उपयोग कीड़ों और कीट नियंत्रण के लिए किया जाता है।
  • इसका उपयोग बीजों के उपचार के लिए किया जाता है।
  • यह बीजों को प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करता है।

बीजमृत का इस्तेमाल कैसे किया जाता है ?

फसलों के बीजो को खेत में बोनें से पहले सभी बीजों में बीजामृत को अच्छी तरह से लगा दें और उन्हें सूखनें के लिए छोड़ दें।जब बीजों पर लगा बीजामृत का मिक्चर पूरी तरह से सूख जाएँ, तब आप इन बीजों को खेतों में बो सकते है।

अच्चादान-मल्चिंग (Achadan Mulching)

अच्छादाना (मल्चिंग) जीरो बजट खेती का तीसरा स्तंभ है।

  • यह मिट्टी में नमी की मात्रा को बनाए रखने में मदद करता है।
  • यह स्तंभ मिट्टी की खेती के आवरण की रक्षा करने में मदद करता है और
  • इसे जुताई करके बर्बाद नहीं करता है।

व्हापासा (Whapasa)(भाप)

  • पौधों की ग्रोथ के लिए अधिक जल की आवश्यकता नही होती है।
  • पौधे व्हापासा अर्थात भाप की सहायता से ग्रोथ कर सकते है।
  • व्हापासा एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें हवा अणु है और जल के अणु मिट्टी में मौजूद होते है।
  • इन दोनों अणुओं की सहायता से पौधे का विकास हो जाता है|

जमीन का उपजाऊपन बना रहेगा

प्राकृतिक कीटनाशक और खाद का उपयोग करने से शून्य बजट प्राकृतिक खेती के दौरान जमीन का उपजाऊपन बना रहेगा, ऐसे में फसलों की पैदावार भी पहले के मुकाबले बढ़ेगी और लागत भी कम आती है। जिसका परिणाम ये होगा की किसानों का मुनाफा भी बढ़ेगा।

शून्य बजट खेती स्वास्थ के लिए लाभदायक

शून्य बजट प्राकृतिक खेती में रासायनिक उर्वरको और कीटनाशकों के उपयोग की मनाही है। इस तकनीक में किसान प्राकृतिक चीजो का ही प्रयोग कर सकता है।

इसका सबसे ज्यादा सकारात्मक असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ेगा, दरअसल, रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से किसानों के स्वास्थ्य पर बुरा असर तो पड़ता ही है, साथ में इन खेतों से आने वाले आनाज और सब्जियों को खाने से आम लोग भी प्रभावित होते हैं।

लेकिन प्राकृतिक तरीके से की गई खेती में इन प्रकार के खतरे नहीं है।

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1 thought on “जीरो बजट खेती क्या है, जाने इसके फायदे – Zero Budget Farming”

  1. इस जीरो बजट खेती में सरकार किसानों का सहयोग करें और पेस्टिसाइड पर नियंत्रण करें जिससे गंभीर बीमारियों से बचा जा सके हर जिला स्तर पर इसका एक ऑफिस बनाया जाए जिससे किसानों को सारी जानकारी प्राप्त हो सके और प्राकृतिक अनाज गुड बेचने के लिए कोई विकल्प तैयार करें
    जय किसान जय जवान

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