नरेंद्र शिवानी द्वारा उगाई गई इस अनूठी लौकी का विशेषत: इस लौकी (Bottle Gourd) की लम्बाई लगभग 4 फीट 8 इंच है और मोटाई 9 इंच है. इस अद्वितीय लौकी की उनकी खेती उत्तर प्रदेश के मंगलायतन यूनिवर्सिटी के कृषि संकाय में बड़े ही उत्सुकता और आकर्षण का कारण बन चुकी है।
इस लौकी (Bottle Gourd) की इस अद्वितीय विशेषता के कारण, यह उद्यमिता किसानों के लिए नई आशा का स्रोत बन सकती है। यह लौकी विश्वविद्यालय के मुताबिक किसानों को जागरूक करने और शुद्ध बीज तैयार करने के लिए एक महत्वपूर्ण संचेतक भी हो सकती है। अगर वैज्ञानिकों के प्रयास सफल रहे तो इस प्रजाति की खेती किसानों के लिए नई दिशा में मुनाफा कमाने का एक नया तरीका हो सकता है।
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लौकी – किसानों के मुनाफे को बढ़ाएगी एक नयी उम्मीद
“यह लौकी किसानों के लिए एक नया मौका है, जो उनके मुनाफे को बढ़ा सकता है। नरेंद्र शिवानी प्रजाति की इस विशेष लौकी की अद्वितीय विशेषता है कि इसकी लंबाई 4 फीट 8 इंच है और मोटाई 9 इंच है, और इसका विकास अभी भी जारी है।
इस अद्वितीय विकास को देखते हुए, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने बताया कि इस लौकी की खेती किसानों के लिए नए अवसर प्रदान कर सकती है। विश्वविद्यालय किसानों को इस नई प्रजाति की लौकी की खेती के लिए प्रशिक्षित करके उन्हें अधिक लाभ कमाने में मदद करेगा, और इससे किसानों के मुनाफे में वृद्धि हो सकती है।
चरणवान लौकी की खास बातें – प्रमुख जानकारी
कृषि विभाग के माननीय प्रमुख प्रोफेसर प्रमोद कुमार ने खुलासा किया कि इस अद्वितीय लौकी (Bottle Gourd) की बुआई जुलाई में की गई थी, जिसमें उपयोग की गई बुआई प्रक्रिया आम लौकी के साथ समान है। इस लौकी को बुआई के लिए बीज और पौधे दोनों का उपयोग किया जा सकता है। इस प्रजाति की सामान्य उत्पादन दर है 700-800 कुंतल प्रति हेक्टेयर, लेकिन यह उत्पादन एक हजार कुंतल प्रति हेक्टेयर तक भी पहुंच सकता है।
इस विशेष लौकी का स्वाद और पोषण तत्व दूसरी लौकी के समान होते हैं, जैसे कि इसमें प्रोटीन 0.2 प्रतिशत, वसा 0.1 प्रतिशत, फाइबर 0.8 प्रतिशत, शर्करा 2.5 प्रतिशत, ऊर्जा 12 किलो कैलोरी, और नमी 96.1 प्रतिशत होती है। इसके साथ ही, दिसंबर तक बीज तैयार हो जाने की आशंका है इसके गोल फलों वाले प्रजाति ‘नरेंद्र शिशिर’ के साथ, जो एक और महत्वपूर्ण विकसन को दर्शाता है।”
लौकी: खाने के साथ औषधियों का खजाना
लौकी को सिर्फ सब्जी नहीं, बल्कि इससे बनाई जाने वाली मिठाई, रायता, आचार, कोफ्ता, और खीर जैसे स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए भी प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही, इस अमूल्य लौकी में विभिन्न औषधीय गुण होते हैं, जिनसे विभिन्न रोगों के इलाज में मदद मिलती है। यही कारण है कि चिकित्सक भी अक्सर रोग
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