देश के कई राज्यों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ है। इस नुकसान से गेहूं की उत्पादन भी प्रभावित हुआ है। कई राज्यों के किसान सरकार से मुआवजा मांग रहे हैं। हालांकि, भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र के अनुसार, गेहूं की कुछ विशेष वैरायटी मौसम की विपरीत परिस्थितियों के खिलाफ मजबूत हैं, जिससे उनमें नुकसान का कोई असर नहीं पड़ता है।
गेहूं की इन वैरायटीज पर मौसम का कोई प्रभाव नहीं
हालांकि, कुछ राज्यों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण किसानों को नुकसान हुआ है। इस परिस्थिति में तमाम किसान सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं। लेकिन भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, और यूपी में गेहूं की नई प्रजातियों की बुवाई के चलते उत्पादन में गिरावट नहीं आएगी। इन प्रजातियों में DW 327, 332, 372, 371 और 370 शामिल हैं।
मौसम के प्रति सहनशील गेहू की किस्म
इन विभिन्न प्रजातियों का विकास वातावरण के प्रति सहनशील है, जो इसे मौसम की विपरीत परिस्थितियों से बचाता है। इसलिए, भारतीय गेहूं के उत्पादन में इन प्रजातियों के उपयोग से गिरावट नहीं आएगी और उत्पादन रिकार्ड स्तर तक जारी रहेगा।
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प्रति एकड़ 30 से 35 क्विंटल की पैदावार
भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि बदलते मौसम के कारण हम सभी आशंकित थे कि पैदावार में गिरावट देखि जा सकती है, परंतु प्रति एकड़ 30 से 35 क्विंटल की पैदावार से किसानों को बहुत संतुष्टि हो रही है।
इस बात से साफ है कि बदलते मौसम के बावजूद गेहूं की पैदावार पर कोई असर नहीं हुआ है, इस तरह से, गेहूं के इन विभिन्न वैरायटीज में बड़ी उत्पादकता की संभावना है।
गेहूं उत्पादन का रिकॉर्ड टूटने की संभावना
गेहूं की इस साल की पैदावार ने भारत सरकार के निर्धारित उत्पादन लक्ष्य को पार कर दिया है, जो की 112 मिलियन टन निर्धारित किया था। डॉक्टर ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया है कि इस वर्ष गेहूं का उत्पादन विस्तृत होने की संभावना है।
यह उत्पादन 2020-2021 के गेहू उत्पादन 109 मिलियन टन की तुलना में अधिक होगा जबकि 2021-2022 में गेहूं का उत्पादन 107 मिलियन टन ही हुआ था। इस वर्ष गेहूं की इस अद्भुत पैदावार से गेहूं उत्पादन का रिकॉर्ड टूटने की संभावना है!
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