तोरिया की खेती मे बुआई का समय रबी में 1 सितंबर से 30 सितंबर के बीच होता है, और इसकी फसल अवधि – 75 से 95 दिन की होती है।
तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई
तोरिया की फसल (Toriya ki kheti) सभी प्रकार की मिटटी में की जा सकती है, लेकिन बलु व दोमट मिटटी अच्छी मानी जाती है, इस फसल के लिए मिटटी का पी एच मान 6 से 7.5 होना चाहिए।
खेत की पहली गहरी जुताई करने के बाद 1 एकड़ खेत में 5 से 6 टन गोबर की खाद डालकर खेत की पलेवा कर दे। इसके बाद खेत की दो से तीन जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करके खेत में पाटा लगा कर खेत को समतल कर दे।
बीज की मात्रा तोरिया की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए 1.5 से 2 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
इन्हें भी पढ़े – लहसुन की उन्नत खेती एवं अधिक पैदावार वाली किस्म
तोरिया की उन्नत किस्में ( Varieties )
- तपेश्वरी – अवधि 90 से 92 दिन तोरिया / लाही की ये किस्म 90 से 92 दिन में पक कर तैयार हो जाती है । इस किस्म की प्रति एकड़ पैदावार 6 से 7 क्विंटल तक होती है ।
- पी.टी 30 – अवधि गुण 90 से 95 दिन तोरिया / लाही की ये किस्म 90 से 95 दिन में पक कर तैयार हो जाती है । इस किस्म की प्रति एकड़ पैदावार 7 से 8 क्विंटल तक होती है ।
- टी .9 – अवधि गुण 90 से 95 दिन तोरिया / लाही की इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग 90 से 95 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं . जिनका प्रति एकड़ पैदावार 5 से 6 क्विंटल तक पाया जाता है . इस किस्म के बीजों में तेल की मात्रा 40 से 43 प्रतिशत तक पाई जाती है
- भवानी – अवधि गुण 75 से 80 दिन तोरिया / लाही की ये किस्म 75 से 80 दिन में पक कर तैयार हो जाती है । इस किस्म की प्रति एकड़ पैदावार 5 से 6 क्विंटल तक होती है ।
तोरिया की खेती मे बीज उपचार
हाइब्रिड बीज पहले से उपचारित आते है, इनकी सीधी बुवाई की जा सकती है, अगर घर पर तैयार किया हुआ या देसी बीज की बुवाई करते है, तो इसे कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम + थिरम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित कर ले।
बुआई का तरीका
तोरिया (Toriya) की बुआई देशी हल से करना ज्यादा अच्छा रहता है, आई 30 सेमी की दूरी पर व 3 से 4 सेमी की गहराई । कतारों में करे एवं पाटा लगाकर बीज को दवा दे।
उर्वरक व खाद प्रबंधन
बुवाई के समय फसल बुवाई के समय 1 एकड़ खेत में 50 किलोग्राम डीएपी , 25 किलोग्राम मयूरेट ऑफ पोटाश , 10 किलोग्राम बेंटोनाइट सल्फर , 60 किलोग्राम जिप्सम का इस्तेमाल करे ।
बुवाई के 25 से 30 दिन बाद तोरिया की फसल (Toriya ki kheti) बुवाई के पहली सिंचाई के 1 दिन बाद 1 एकड़ खेत में 40 किलोग्राम यूरिया 10 किलोग्राम जायम का इस्तेमाल करे ।
लाही की खेती मे सिंचाई
तोरिया की बुवाई पलेवा के बाद करे इसके बाद फसल में फूल निकलने से पहले 1 बार हलकी सिचाई करे ।
फसल की कटाई – Toriya ki kheti
तोरिया की फलियां सुनहरे रंग की होने पर फसल को काटकर सुखा ले उसके कुछ दिन बाद मड़ाई करके बीज को अलग करके अच्छे से सुखाकर भंडारण करे ।
- इन्हे भी पढे – अदरक की खेती एवं उन्नत किस्म की जानकारी
- लौकी की वैज्ञानिक खेती एवं उन्नत किस्म की जानकारी
- मशरूम उत्पादन की पूरी जानकारी, पढ़िए कब और कैसे कर सकते हैं खेती