₹200 से ₹2 किलो के टमाटर किसान अपने खेतों में फेंकने को मजबूर हैं

महीनेभर पहले टमाटर की आसमान छू रही कीमतों ने लोगों को हिला डाला था। वह समय टमाटर 200 रुपए प्रति किलो बिक रहे थे, लेकिन अब यही टमाटर थोक में 2 रुपए प्रति किलो के भाव पर बिक रहे हैं। इस सुदामा प्रतिशतन की गिरावट ने टमाटर के उत्पादक किसानों को बहुत ही दुखी बना दिया है। वे अब अपनी उपज को खुद ही अपने खेत में फेंकने के लिए मजबूर हैं।

हालांकि मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में, हमने टमाटर की कीमतों (Tomato Price) के साथ ग्राउंड पर जांच की है। वहां के बावड़ी गांव के किसान रविन्द्र पाटीदार ने हमसे साझा किया कि उन्होंने अपने ढाई बीघा जमीन पर 2 लाख रुपए खर्च करके टमाटर की खेती (Tomato Farming) की थी। उनकी आशा थी कि इस बार उन्हें अच्छा मुनाफा होगा, लेकिन मौसम और बारिश के कारण उनके लिए समस्याएँ बढ़ गईं।

रविन्द्र पाटीदार बताते हैं कि उनकी खेती की लागत हुई लगभग 80,000 रुपए प्रति बीघा तक, जबकि अब टमाटर सिर्फ 2 रुपए प्रति किलो में बिक रहे हैं। इसलिए, वे अपने खेतों में ही टमाटर फेंक रहे हैं, ताकि वे अपनी मिट्टी को अगली फसल के लिए उपयोगी बना सकें।

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टमाटर की पैदावार से पछता रहते हैं किसान

रविन्द्र ऐसे किसान नहीं हैं जो टमाटर की पैदावार से पछता रहते हैं। उनके ही गांव के किसान जगदीश पाटीदार ने 3 बीघा जमीन में टमाटर की उम्मीद के साथ बोने थे। लेकिन अब उन्हें अपने ही हाथों से अपनी टमाटर की फसल को तोड़कर और फिर खेत में फेंकने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। जगदीश पाटीदार ने अपने 3 बीघा जमीन में ३ लाख रुपए खर्च करके टमाटर की उगाई की थी।

लेकिन नीचे गिरी हुई कीमतों ने उनके सपनों को तोड़ दिया है। साथ ही, सरकार की उदासीनता ने किसानों की मायूसी को और भी बढ़ा दिया है।

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टमाटर 2 रुपए प्रति किलो

फसल खराब हो गई है और इसके साथ ही टमाटर की कीमतें (Tomato Price) भी थोक में 2 रुपए प्रति किलो हो गई हैं। यह समस्या बावड़ी इलाके के गांव के ही नहीं, बल्कि पुरी पेटलावद तहसील के किसानों को भी प्रभावित कर रही है। वहीं, इलाके के बरवेट गांव के किसान महावीर पाटीदार ने 6 एकड़ ज़मीन में 7 लाख रुपए की लागत से टमाटर की फसल उगाई थी। लेकिन अब मौसम के क्रूर प्रभाव से उनके टमाटर खराब हो रहे हैं।

वे सोच रहे थे कि वे जल्दी बाजार में बेच देंगे और फिर उन्हें 2.5 रुपए से 3 रुपए प्रति किलो के दर पर खरीदेगें, लेकिन अब उन्हें सिर्फ 2 रुपए प्रति किलो के भाव मिल रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, वे अब टमाटरों को तोड़कर अपने खेत में ही फेंक रहे हैं।

भारतीय किसान यूनियन

इस स्थिति से परेशान होने वाले टमाटर उत्पादक किसानों के संगठन के प्रति भी निराशा है। भारतीय किसान यूनियन के जिला सचिव जितेंद्र पाटीदार का कहना है कि सरकार को केरल सरकार के तर्ज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करना चाहिए।

इसके साथ ही, फसल बीमा और निर्यात के लिए भी सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि हमारे टमाटर उत्पादक किसानों का कम से कम नुकसान हो।

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