जाने मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के खास टिप्स – Soil Fertility

आज के समय में फसलों की दुगनी उपज के लिए एक अच्छी मिट्टी का होना बहुत ही आवश्यक है, परंतु मिट्टी का बार-बार दोहन होने के कारण मिट्टी की उर्वरता क्षमता में कमी आती जा रही है, जिससे कि आपकी फसल की पैदावार पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।

मिट्टी की उर्वरता क्षमता बढ़ाने और बनाए रखने के लिए आपको ऐसा क्या करना चाहिए जिससे कि मिट्टी की उर्वरता क्षमता में वृद्धि हो।

तो आइए आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से वह सारी चीजें बताइए जिससे कि आप भी अपने खेत की मिट्टी की उर्वरता क्षमता में वृद्धि कर सकते हैं।

इसके लिए सबसे पहले एक उत्तम खाद का होना बहुत ही आवश्यक होता है। जैसे

दलहनी पौधों से मृदा को लाभ

दलहनी पौधे इस प्रकार के पौधे होते हैं, जोकि मिट्टी की उर्वरा क्षमता में वृद्धि करते हैं, इन पौधों में ऐसे कई गुण पाए जाते हैं, जिनकी सहायता से मिट्टी में होने वाले जल की कमी, तपन, जैव विविधता, नाइट्रोजन की कमी आदि समस्याओं से निपटने में सहायता मिलती हैं।

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दलहनी पौधों कैसे पहुचते लाभ

दलहनी पौधों की जड़ों में एक प्रकार का बैक्टीरिया पाया जाता है, जिसे हम राइजोबियम कहते हैं, यह क्या करता है, की जब इन फसलों की कटाई की जाती है, तब उनके अवशेष (पौधों के नीचे का बचा हुआ भाग) मृदा में मिल जाते हैं और मिट्टी में नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करते हैं। जिससे कि मिट्टी में होने वाली नाइट्रोजन की कमी दूर हो जाती है, और पौधों को बढ़ने में सहायता मिलती है।

फसलों एवं सब्जियों के अवशेषों का उपयोग

जब हमारे घर पर कोई सब्जियां, फल सड जाते हैं, तब हम उन्हें कूड़ेदान में फेंक देते हैं, ऐसा करने की बजाय यदि हम उन्हें खाद के रूप में अपने खेतों में डाले तो इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि हो सकती है।

इसके लिए आप ना सिर्फ सब्जियों बल्कि इसके साथ – साथ जो हम दलहनी पौधे लगाते हैं, जैसे गेंदा के पौधे, मक्का के पौधे, उर्द, मूंग, टमाटर, लौकी, खीरा, नेनुआ, गोभी आदि पौधों की जब काटाई की जाती है, तो इनके नीचे के जो अवशेष बच जाते हैं ,उन्हें खेतों में रोटावेटर की सहायता से मिट्टी में अच्छी तरह से मिला देना चाहिए।

इससे मिट्टी को इनमें पाए जाने वाले बहुत से गुणों का लाभ प्राप्त होगा और मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होगी।

गोबर की खाद का उपयोग करे

गोबर की खाद पौधों तथा मिट्टी के लिए एक बहुत ही उत्तम खाद मानी जाती है। इसमें कई जानवरों के गोबर से जो खाद बनाई जाती है, उसमें पौष्टिक तत्वों का मिश्रण पाया जाता है, जो कि पौधों तथा मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि करते हैं।

पहले के समय में भी गोबर की खाद का उपयोग खेतों में खाद के रूप में किया जाता था और आज के समय में भी इस प्रकार की जैविक खाद के उपयोग पर बहुत ही जोर दिया जा रहा है, जिससे कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहे।

इस प्रकार गोबर से बनी खाद का उपयोग किसी भी प्रकार के पेड़ पौधों में खाद के रूप में किया जा सकता है। बस यह बात ध्यान रहे कि जब भी आप अपने खेतों में पौधों की रोपाई करें उससे एक हफ्ते पहले ही इस खाद को अपने खेतों की मिट्टी में अच्छी तरीके से मिला दे, ताकि यह मिट्टी में मिल कर उसकी उर्वरा क्षमता में वृद्धि करें और पौधों को भरपूर पोषण प्रदान करें जिससे कि आपकी फसल की उपज काफी अच्छी होगी।

मिट्टी की उर्वरता को कैसे बनायें रखें

  • ज्यादा समय अवधि लेने वाली फसलों के बाद, कम समय लेने वाली फसलों को लगाएं, उदाहरण के लिए गेहूं के बाद दालों वाली फसलें लगाना चाहिए।
  • गहरी जड़ों वाली फसलें लेने के बाद उथली जड़ों वाली फसलों को खेतों मे लगाए।
  • अधिक पानी की खपत वाली फसलों को लेने के बाद कम पानी की आवश्यकता वाली फसलों को लगाना चाहिए जैसे की धान की फसल के बाद मटर, मसूर, सरसों और चना आदि।
  • फसलों के लगाने के क्रम में दालों की फसलों को अवश्य शामिल करना चाहिए।
  • लंबी और जल्दी से बढ़ने वाली फसलों को लेने के बाद, बौनी फसलों को लगाएं जैसे गन्ने के बाद चारा फसलों को लेने से उर्वरता घटती है। जबकि गन्ने के बाद दालों वाली फसलें लेने से उर्वरता बढ़ती है।

इस प्रकार आप मिट्टी की उर्वरा क्षमता में वृद्धि करके अपनी फसलों की पैदावार में भी वृद्धि कर सकते हो।

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