सेम की उन्नत किस्म जो अधिक मुनाफा दे कमाए अधिक लाभ

इस पोस्ट मे हम सेम की खेती एवं उसकी सभी उन्नत किस्म एवं उनकी क्या पैदावार है इसके बारे मे जानंगे –

बुआई का समय

खरीफ में

बुआई का समय- 1 जून से 31 जुलाई के बीच

फसल अवधि- 85 से 120 दिन

रबी में

बुआई का समय- 1 सितंबर से 31 अक्टूबर बीच

फसल अवधि- 85 से 120 दिन


तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई

  • इसकी खेती के लिए रेतीली दोमट से चिकनी मिट्टी अच्छी मानी जाती है।
  • फसल के लिए चयन की गई भूमि का पी.एच मान 5.5 से 7 के बीच का होना चाहिए।
  • फसल की बुवाई 20 दिन पहले मिट्टी पलटने वाले हल से 1 बार जुताई कर दे जिससे खेत में मौजूद खरपतवार और कीट नष्ट हो जाए।
  • इसके बाद प्रति एकड़ खेत में 10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद और 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा डाले।
  • खाद डालने के बाद खेत की 1 बार जुताई करके पाटा लगाकर पलेवा कर दे।
  • पलेवा के 6 से 8 दिन बाद खेत में कल्टीवेटर द्वारा 2 बार आडी – तिरछी गहरी जुताई करके खेत पर पाटा लगा दे जिससे खेत समतल हो जाए।
  • अब खेत बुवाई के लिए तैयार है।

सेम उन्नत किस्म

काशी खुशहाल ( वी.आर.सेम -3 ) – अवधि 95 से 100 दिन इस किस्म के पौधे असीमित बढ़वार वाले होते हैं। यह एक अगेती किस्म है जो बीजों की बुवाई के 95-100 दिनों बाद फलियों की तुड़ाई की जाती है। इसकी फलियां गहरी हरी चपटी जिनकी लम्बाई 15 सेमी तथा चौड़ाई 2.5 सेमी रहती है। इस किस्म की औसत उपज 320-360 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है।

पूसा सेम 2- अवधि 85 से 110 दिन इस किस्म के पौधे लता के रूप में बढ़ते हैं। इसकी फलियां चौड़ी , गहरे हरे रंग की रे रहित तथा 15-17 सेमी लम्बी होती हैं। हरी फलियों की औसत उपज 145 क्विंटल है। 85-110 दिन में फलियां तोड़ने योग्य हो जाती हैं।

काशी हरितमा- अवधि इस किस्म के पौधे हरे अच्छी बढ़वार में फलियाँ हरी , चपटी , मुलायम व रेशा रहित और बीज का रंग लाल भूरा होता है। इसके प्रति पौधा से 250 से 300 फली मिल जाती है। इससे हरी फलियों की पैदावार 350 क्विंटल प्रति हेक्टेय मिल जाती है।

जवाहर सेम 79- अवधि इस किस्म की खेती मध्य प्रदेश , महाराष्ट्र , उत्तर प्रदेश के सभी क्षेत्रों में उगाने के लिए उपयुक्त है। इसका तना गहरे हरे रंग में और पुष्प का रंग बैगनी होता है। फलिया आकर्षक सफेद रंग की , 8 से 10 सेंटीमीटर लम्बी व 3 से 7 सेंटीमीटर चौड़ी होती है । प्रत्येक फली में 3 से 4 बीज पाये जाते हैं। इससे प्रति हेक्टेयर 170 से 175 क्विंटल पैदावार मिल जाती है।

पूसा सेम 3- अवधि इस किस्म के पौधे लता के रूप में बढ़ते हैं। फलियाँ चौड़ी , मुलायम , गूदेदार तथा बिना रेशे की होती है। फलियों की 15 से 16 सेंटीमीटर होती है। इससे हरी फलियां 170 से 175 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त हो जाती है।

एचडी 1- अवधि इस किस्म की फलियाँ मध्यम आकार की और हरे रंग की होती है।फलियाँ गुछो में लगती है , जो 7 से 15 तक हो सकती है। इससे 120 से 130 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार प्राप्त की जा सकती है।


बीज की मात्रा – सेम की खेती

सेम की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए 3 से 4 किलोग्राम बीज की जरुरत होती है।

बीज उपचार

हाइब्रिड बीज को उपचारित नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह पहले से ही उपचारित आता है। देसी बीज को 2 ग्राम काबेंडाजिम +2 ग्राम थीरम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करके ही बुआई करनी चाहिए।

बुआई का तरीका

सेम की बुवाई लाइन और मेड़ो पर करते है । लाइन से लाइन की दूरी 90 से 120 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 60 से 75 सेमी रखे।


सेम की खेती मे उर्वरक व खाद प्रबंधन

सेम की फसल बुवाई से 1 हफ्ते पहले 1 एकड़ खेत में 10 टन गोबर की खाद और 2.5 किलोग्राम ट्रिकोडेर्मा का इस्तेमाल करे। फसल बुवाई के समय 1 एकड़ खेत में 40 किलोग्राम डी ए पी और 30 किलोग्राम पोटाश का इस्तेमाल करे।

25 से 30 दिन की फसल में 20 किलोग्राम यूरिया 5 किलोग्राम जायम का इस्तेमाल करे।


सेम की खेती मे सिंचाई का समय

सेम की फसल में गर्मियों में नमी के अनुसार 7 दिन पर सिंचाई करे। सर्दियों में 10 से 12 दिन पर सिंचाई करे। फसल में फल फूल बनते समय नमी बनाए रखे।

सेम की तुड़ाई

सेम की तुड़ाई किस्मो के अनुसार 80 दिन पर शुरु हो जाती है। फलियों के आकार के अनुसार तुड़ाई करते रहे।



इन्हे भी पढे : – पत्तागोभी की खेती कर कमाए दुगना मुनाफा

प्याज की खेती करने का आधुनिक तरीका ओर किस्म

खिरा ककड़ी की खेती से हो सकते हैं, मालामाल

टिंडा की खेती केसे करे,जानिए किस्मे और पेदावार


"हम एक टीम हैं, जो आपके लिए अलग-अलग स्रोतों से मंडी भाव और कृषि समाचार एकत्रित कर आप सभी किसान भाइयों तक पहुँचाती है...."

Leave a Comment

Home Google News Mandi Bhav Join Group Web Stories