प्राकृतिक खेती के लिए प्रशिक्षण, किसान 31 मई तक करें अपना पंजीयन

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर सरकार के द्वारा बहुत अधिक प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि देश की मिट्टी रसायनों से मुक्त हो सके और मिट्टी की सेहत में सुधार आए। प्राकृतिक खेती करने से किसानों को अन्य भी दूसरे कई फायदे हैं, प्राकृतिक खेती से बिना रसायन के उत्पाद प्राप्त कर सकेंगे और साथ ही किसानों को लगने वाली लागत में कमी भी आएगी, इससे किसान की सालाना आय में वृद्धि होगी,

प्राकृतिक खेती के लिए किसान पंजीयन एवं प्रशिक्षण

प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड की स्थापना की है, इस हेतु राज्य के अलग-अलग जिलों में किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, इसके लिए किसान अपना पंजीयन करवा सकते हैं।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने कहा है कि – खेती करने की पुरानी पद्धति में भूमि का प्राकृतिक स्वरूप बना रहता है, इससे भूमि को कोई भी हानि नहीं होती, इसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग नहीं होता है, तो यह पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, प्रदेश में गाय के गोबर, और गोमूत्र पर आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।

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प्राकृतिक खेती में गुजरात पैटर्न को अपनाया जाएगा

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने नए गठित किए गए प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड की पहली बैठक मैं 27 मई को कहा कि – प्रदेश में प्राकृतिक खेती से संबंधित सभी कार्यों को गुजरात पैटर्न के अनुसार संचालित करें।

गुजरात के राज्यपाल ने श्री आचार्य देवव्रत 13 अप्रैल 2022 को भोपाल आए थे और उन्होंने प्राकृतिक खेती को लेकर विस्तार पूर्वक जानकारी सार्वजनिक कार्यक्रम और कार्यशाला में दी थी।

उन्होंने प्राकृतिक खेती का सफल प्रयोग भी किया है, उनके द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन के अनुसार की आगे की कार्य योजना को लागू की जाए आगे मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि – प्राकृतिक कृषि विकास योजना के प्रथम चरण के कार्यों की शुरुआत की जाए, अन्य राज्य हरियाणा और गुजरात के बाद मध्य प्रदेश में भी प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड का गठन कर लिया गया है, माननीय मुख्यमंत्री इस बोर्ड के अध्यक्ष हैं।

31 मई तक करा सकते हैं पंजीयन

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि – किसानों का प्राकृतिक कृषि के लिए पूर्व में पंजीयन के लिए आहवान किया गया था । इसके बाद किसानों की उत्साह जनक प्रतिक्रिया देखने को मिली । आगामी 31 मई तक प्राकृतिक कृषि के लिए जो किसान गंभीर हैं, उन्हें पंजीयन करवाने की सुविधा दी जाएगी।

अब तक प्रदेश में करीब 31 हजार से अधिक किसानो ने प्राकृतिक कृषि में रुचि दिखाई है, और इसके लिए पंजीयन भी करवा लिया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि कृषि विश्वविद्यालयों के स्तर पर प्राकृतिक कृषि को अनिवार्य किया जाए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने नर्मदा नदी के दोनों ओर 5 किलोमीटर क्षेत्र में प्राकृतिक कृषि को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए। उन्होंने समयबद्ध कार्यक्रम तैयार करने के निर्देश दिए।

5710 ग्रामों में की जाएगी प्राकृतिक खेती

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए प्राकृतिक कृषि का कार्य प्रदेश के 5710 ग्रामों में प्रारंभ होगा। प्रथम चरण में प्रत्येक जिले में 100 ग्राम चयनित करने का लक्ष्य है। प्रेरक द्वारा 20-20 ग्राम चिन्हित कर दायित्व निभाया जाएगा। सर्वाधिक ग्राम इंदौर जिले में रहेंगे ।

इंदौर जिले के 610 ग्रामों में प्राकृतिक कृषि की तैयारी है, कृषि विभाग से आत्मा (एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी ) के जिला स्तरीय अमले का उपयोग प्राकृतिक कृषि के लिए किया जाएगा।

प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है

भोपाल में शून्य बजट, प्राकृतिक कृषि पद्धति विषय पर राज्य स्तरीय कार्यशाला में गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत के ज्ञान और अनुभव का लाभ उठाने के लिए प्रदेश के कृषि वैज्ञानिक, कृषि अर्थशास्त्री और किसान शामिल हुए थे । यह कार्यशाला 13 अप्रैल को हुई थी । प्रदेश में कुल 10.65 लाख प्रतिभागियों ने इस प्रशिक्षण का लाभ वर्चुअली प्राप्त किया था।

इसके बाद 18 से 20 मई को गुजरात सरकार ने मास्टर ट्रेनर्स की सहायता से मध्यप्रदेश के 52 जिलों में प्रशिक्षण शिविर लगाकर करीब 3 हजार अधिकारियों और कृषि विभाग के मैदानी अमले एवं 6 हजार 247 कृषकों को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित किया । बताया गया कि – वर्तमान में 7.26 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक कृषि के लिए किसान आगे आए हैं ।

प्राकृतिक खेती के लिए पंजीयन यहाँ से करें

मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में प्राकृतिक कृषि के प्रचार प्रसार एवं प्रशिक्षण के उद्देश्य से, मध्यप्रदेश कृषि विभाग द्वारा यह पंजीयन पोर्टल तैयार किया गया है | इस पोर्टल पर पंजीयन कराने वाले कृषकों को, शासन द्वारा प्राकृतिक कृषि का प्रशिक्षण दिया जायेगा, तथा उनके उत्पादों के प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन तथा मार्केटिंग हेतु प्रशिक्षित किया जायेगा |

राज्य के इच्छुक किसान https://mpnf.mpkrishi.org/ पोर्टल पर जाकर अपना पंजीयन कर सकते हैं। 

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2 thoughts on “प्राकृतिक खेती के लिए प्रशिक्षण, किसान 31 मई तक करें अपना पंजीयन”

  1. प्राकृतिक जैविक खेती रासायनिक या जहरीले खेती के बदले ज्यादा सुरक्षित और लाभदायक हैं प्रकृति के नजदीक हैं

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  2. जैविक खेती प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाए छत्तीसगढ़ में 40% जंगल है और यहां जैविक खेती बहुत अच्छे से काम करेगी जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिए छत्तीसगढ़ राज्य में भी हिमाचल हरियाणा सिक्किम और गुजरात राज्यों की तरह जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिए

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