मंडी रिकार्ड से किया जाएगा मिलान
बाजार में ग्रीष्मकालीन मूंग की समर्थन मूल्य से कम कीमत के कारण किसानों को नुकसान से बचाने के लिए मध्य प्रदेश में सरकार मूंग का उपार्जन करेगी। इसमें वास्तविक किसानों को लाभ मिले, इसके लिए पहली बार मंडियों से किसानों द्वारा मूंग बेचने का रिकार्ड एकत्र करके कलेक्टरों को भेजा गया है ।
बोवनी और औसत उत्पादन के हिसाब से मिलान
इससे किसान द्वारा पंजीयन में बताई जाने वाली कुल उपज का बोवनी और औसत उत्पादन के हिसाब से मिलान कराया जाएगा । इसमें अंतर पाए जाने पर मात्रा घटाकर उपार्जन किया जाएगा। अभी तक मंडियों में किसान एक लाख 80 हजार टन मूंग बेच चुके हैं।
रिकार्ड बुलाकर कलेक्टर को भेजा
कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव अजीत केसरी ने बताया कि किसान के नाम पर गड़बड़ी न हो, इसे रोकने के लिए मंडियों से मूंग की बिक्री का रिकार्ड बुलाकर कलेक्टर को भेजा है । इससे यह पता चल जाएगा कि पंजीयन कराने वाला किसान कितनी मूंग बेच चुका है, और बोवनी के क्षेत्र के हिसाब से उसके पास कितनी मूंग और होनी चाहिए ।
अंतर हुआ तो मात्रा घटाकर खरीदी की जाएगी
यदि अंतर सामने आता है तो उतनी मात्रा घटाकर खरीदी की जाएगी। साथ ही किसान को भुगतान आधार से लिंक खाते में ही किया जाएगा । इससे यह तय हो जाएगा कि – जिस किसान ने पंजीयन कराया है, उसे ही भुगतान प्राप्त हो रहा है ।
अभी तक एक लाख 10 हजार टन मूंग समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए किसानों ने पंजीयन कराया है । 28 जुलाई तक पंजीयन का काम होगा, इसके बाद उपार्जन की तारीख घोषित की जाएगी ।
बाजार मे कम मिल रही है कीमत
बाजार में किसानों को मूंग की कीमत समर्थन मूल्य से प्रति क्विंटल डेढ़ से दो हजार रुपये कम मिल रही है। समर्थन मूल्य सात हजार 275 रुपये है । यही कारण है कि – मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समर्थन मूल्य पर उपार्जन करने का निर्णय लिया है ।
केंद्र सरकार ने दो लाख 27 हजार टन मूंग का उपार्जन करने की अनुमति दी है। हालांकि, सरकार की ओर से इस लक्ष्य को बढ़ाकर चार लाख टन करने की मांग की है।