कपास के ऊंचे दाम रिकॉर्ड बुवाई का है अनुमान

महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में किसानों को प्याज और सोयाबीन के मुकाबले कॉटन में ज्यादा मुनाफा मिला है, किसानों ने इसे MSP से डबल दाम पर बेचा है, इसलिए इस बार बुवाई का रकबा बढ़ने का अनुमान है।

कपास का उत्पादन इस वर्ष उम्मीद से काफी कम होने का अनुमान है, कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Cotton Association of India) ने 2021 -22 के लिए 323.63 लाख गांठ की बजाय प्रोडक्शन 315.32 लाख गांठ (1 गांठ = 170 किलोग्राम) रहने का अनुमान लगाया है, हालांकि, इस साल किसान इसकी बुवाई पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं, यानी अगले वर्ष कॉटन उत्पादन बढ़ सकता है।

कॉटन में किसानो को अधिक फायदा मिला

किसान ऐसा इसलिए कर रहे हैं कि – मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में किसानों को प्याज और दूसरी फसलों के मुकाबले कॉटन में अधिक फायदा मिला है, कॉटन का दाम उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य से डबल मिला है, ऐसे में व्हाइट गोल्ड (White Gold Cotton) कहे जाने वाले कॉटन के प्रति किसानों का रुझान बढ़ा है।

देशभर में कपास की बुआई

केंद्रीय कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक चालू खरीफ सीजन (2022) में देश में कॉटन का रकबा 4 से 6 फीसदी बढ़कर 125 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है, 15 जुलाई 2022 तक देशभर में कपास की बुआई 102.8 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो कि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 6.2 फीसदी अधिक है, साल 2021 में 15 जुलाई तक 96.58 लाख हेक्टेयर में कॉटन की बुवाई हुई थी।

चीन दुनिया में कॉटन का सबसे बड़ा आयातक

यूनाइटेड स्टेट डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (United States Department of Agriculture) की रिपोर्ट के मुताबिक 2020-21 के दौरान चीन में 6.42 मिलियन मिट्रिक टन (MMT) कपास का उत्पादन हुआ था, जिसे घटकर 2021-22 में 5.88 एमएमटी रहने का अनुमान है, यानी उत्पादन में रिकॉर्ड 8.5 फीसदी की कमी है।

high cotton prices

आपको बता दें कि चीन दुनिया में कॉटन का सबसे बड़ा आयातक भी है, भारत में कॉटन उत्पादन 7.6 फीसदी कम होने का अनुमान है, यहां 2020-21 में 6.01 एमएमटी उत्पादन हुआ था, जबकि 2021-22 में 5.55 एमएमटी उत्पादन होने का अनुमान है।

कॉटन की मांग में आएगी कमी

उत्पादन कम होने के साथ ही खपत में भी कमी का अनुमान लगाया गया है, ओरिगो ई-मंडी (Origo e-Mandi) के असिस्टेंट जनरल मैनेजर तरुण सत्संगी के मुताबिक ऊंचे भाव और सप्लाई में कमी की वजह से कॉटन की मांग में कमी रहेगी, सप्लाई की कमी की वजह से मई 2022 की शुरुआत में भारत में कॉटन का भाव 50,330 रुपये प्रति गांठ की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था।

भारत में अब कॉटन की मांग में कमी

हालांकि कई अहम कारकों की वजह से भारत में अब कॉटन की मांग में कमी देखने को मिली है, कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने फसल वर्ष 2021-22 के लिए घरेलू खपत के अनुमान को भी संशोधित करते हुए 315 लाख गांठ कर दिया है, जबकि खपत का पिछला अनुमान 320 लाख गांठ का था ।

कितना हुआ एक्सपोर्ट

कमोडिटी विशेषज्ञों के मुताबिक 2021-22 के फसल वर्ष में मई 2022 तक तकरीबन 3.7-3.8 मिलियन गांठ कॉटन का निर्यात किया जा चुका है, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में 5.8 मिलियन गांठ कॉटन का निर्यात किया गया था।

कॉटन की ऊंची कीमतों ने निर्यात को आर्थिक रूप से अव्यवहारिक बना दिया है, इस साल भारत का कॉटन निर्यात 4.0-4.2 मिलियन गांठ तक सीमित रह सकता है, जबकि 2020-21 में 7.5 मिलियन गांठ कॉटन निर्यात हुआ था।

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दुनिया में कॉटन का सबसे बड़ा आयातक देश कोन सा है

चीन दुनिया में कॉटन का सबसे बड़ा आयातक देश है।

भारत मे वर्ष 2020 – 21 में कपास का कितना उत्पादन हुआ था ?

भारत मे साल 2020-21 में कपास का 6.01 MMT उत्पादन हुआ था ।

वर्ष 2021-22 में कपास का कितना उत्पादन अनुमान है ?

2021 -22 में 5.55 एमएमटी कपास उत्पादन होने का अनुमान है।


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