जबलपुर जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर ने चना की दो नई किस्में विकसित की हैं। जो अधिक तापमान होने पर भी तैयार हो सकेगी और उत्पादन भी बढ़ेगा। इन नई किस्मों को जेजे 52 और जेजे 18 नाम दिया गया है। जिसके लिए जल्दी ही नोटिफिकेशन जारी करने की तैयारी है।
जेजे 52 एवं जेजे-18 नई किस्म का होगा नाम
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार चने की इस किस्म में रोग प्रतिरोधी क्षमता भी ज्यादा होगी। जिससे किसानों के सामने कम जोखिम होगा।
कृषि विश्वविद्यालय में लंबे समय से अनुसंधान चल रहा था, नोटिफाइड होने के बाद किसानों को उपलब्ध हो सकेगी।
इसके लिए प्रशासन द्वारा आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। बताया गया है कि उत्पादन अधिक होने से कॉमर्शिलय खेती के रूप में इसे तैयार किया जा सकेगा।
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सेंट्रल इंडिया के लिए यह किस्म उत्तम
कृषि वैज्ञानिक एवं अनुसंधानकर्ता डॉ. अनीता बब्बर के अनुसार चने की नई वैरायटी को तैयार किया गया है।
अधिक प्रतिरोधी क्षमता के साथ, उत्पादन भी अधिक मिलेगा, सेंट्रल इंडिया के लिए यह किस्म बेहतर है। आने वाले समय में किसानों को यह उपलब्ध होगी।
24 क्विंटल तक मिलेगा उत्पादन
चने की जेजे 52 किस्म बेहतर गुणवत्ता के साथ ही तापमान रोधी है। इसे कम तापमान वर्षाकाल में भी बोया जा सकेगा।
यह छोटे दाने की किस्म है, जिसका उपयोग मल्टी ग्रेन आटे के रूप में किया जा सकता है। इसकी खासियत है, कि यह फसल 115 दिनों के अंदर पककर तैयार हो जाएगी।
इसके साथ ही उत्पादन भी अच्छा मिलेगा, एक हेक्टेयर में 24 क्विंटल तक इससे उत्पादन लिया जा सकेगा। जो अभी प्रचलित चने की बीज से दो से तीन क्विंटल अधिक होगी।
इन किस्मों मे क्या बात है खास
- इस किस्म में रोग प्रतिरोधी क्षमता भी ज्यादा होगी।
- चने की जेजे 52 किस्म बेहतर गुणवत्ता के साथ ही तापमान रोधी है।
- कम तापमान वर्षाकाल में भी बोया जा सकेगा।
- किसानो को इन किस्मों का उत्पादन अधिक मिलेगा।
- उत्पादन अधिक होने से कॉमर्शिलय खेती के रूप में इसे तैयार किया जा सकेगा
- किसानों के सामने कम जोखिम उठाना पड़ेगा।
- छोटे दाने होने से मल्टी ग्रेन आटे के रूप में किया जा सकता है।
- एक हेक्टेयर में 24 क्विंटल तक इससे उत्पादन लिया जा सकेगा।
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