ठंडी के इस मौसम में फसलों में पाला पड़ना किसानों के लिए एक बड़ी समस्या है, जैसे-जैसे ठंड बढ़ती जा रही है, और तापमान कम होता जा रहा है, वातावरण में पाले की स्थिति बनने लगती है ।
तापमान कम होते होते इतना कम हो जाता है, कि यह जमाव बिंदु तक आ जाता है, और फसलें खराब होने लगती है।
हर साल अत्यधिक पाला पड़ने से फसल उत्पादक किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। विशेषकर जो किसान सब्जियों की खेती करते हैं, उन्हें अधिक नुकसान होता है।
पाले का फसलों पर प्रभाव
पाले के प्रभाव से फसलों एवं सब्जियों के फूल खराब होने लगते हैं, और फिर वह झड़ जाते हैं, इसके कारण से उसमें सही फल नहीं बन पाते हैं, और चपटे होकर काले पड़ जाते हैं।
साथ ही फसल का हरा रंग खत्म हो जाता है, पत्तियां खराब होकर मिट्टी जैसे रंग की हो जाती ,है और पौधों में सड़न के साथ-साथ बैक्टीरिया से संबंधित अन्य कीटों का प्रकोप देखने को मिल जाता है।
पौधे के फूल पत्तियां एवं फल पूर्ण तरीके से सूख जाते हैं, और फलों पर अलग-अलग प्रकार के धब्बे पड़ जाते हैं, साथ ही उनका स्वाद भी खराब हो जाता है, यदि हम फलदार पौधों में पपीते और आम की बात करें तो पाले का प्रभाव सबसे अधिक इनमें देखने को मिलता है।
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किसान भाइयों इस पोस्ट में हम जानेंगे कि फसलों को अधिक पाला पड़ने से कैसे बचाया जा सकता है, और इससे बचाव के लिए हम क्या क्या उपाय कर सकते हैं।
पाला पड़ने के कुछ संकेत
पाले से फसलों को बचाने के लिए इसका पूर्व अनुमान लगाना बहुत ही जरूरी होता है, पाला पड़ने से पहले इसके कुछ संकेत होते हैं, यदि यह संकेत आपको दिखाई दे तो आप सावधान हो जाइए।
- जिस दिन आकाश बिल्कुल साफ हो और दिन में अत्यधिक ठंड हो।
- भूमि का तापमान बहुत कम सोने के निकट हो या इससे कम हो।
- संध्या के समय हवा अचानक से रुक जाए और हवा में नमी की मात्रा बहुत ही कम हो।
पाला पढ़ने से फसलों को कैस बचाए ?
किसान भाइयों नीचे बताए गए तरीकों से आप पाले के प्रभाव को कम कर सकते हैं, और अपनी फसलों में होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं।
खेतों की सिंचाई करके
यदि आपको महसूस होता है की मौसम का मिजाज नरम है, और पाला पड़ने की अधिक संभावना है या फिर मौसम विभाग के द्वारा पाला पड़ने के अग्रिम चेतावनी जारी की गई हो।
इस स्थिति में फसलों की हल्की सी सिंचाई कर दें जिससे खेत का तापमान 0.5 से 2 डिग्री तक बढ़ जाएगा इससे फसलों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।
पौधों को चरो तरफ से ढके
पाला पड़ने से सबसे अधिक नुकसान छोटे नर्सरी वाले पौधों को होता है, इस स्थिति में उन्हें ठंड से बचाने के लिए उन पर प्लास्टिक की चादर से ढक देना चाहिए ताकि अंदर का तापमान बाहर के तापमान से अधिक रहे और ठंड अंदर प्रवेश ना कर पाए जिससे तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंचेगा और पौधे सुरक्षित रहेंगे।
खेत या नर्सरी के आसपास धुआं करें
अपने खेत के आसपास या फिर जहां पर नर्सरी लगाई गई है, उनके किनारों पर सूखे चारे को जलाकर आप वहां का तापमान बढ़ा सकते हैं। जिससे पाले से होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है, या कम किया जा सकता है।
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रस्सी की मदद से पाले से छुटकारा
पाले से निजात पाने के लिए रस्सी एक अच्छा माध्यम बन सकती है, इसके लिए आपको एक बड़ी रस्सी लेना होगा और दो व्यक्तियों को एक एक किनारे से पकड़ना होगा।
फिर इससे फसलों के ऊपर चलाना होगा जिससे कि फसल के ऊपर जमी हुई औस पौधों से नीचे गिर जाए और पौधे सुरक्षित रहें।
पाले मे अधिक समय तक काम करने वाला उपाय
पाली से बचने के लिए यह सब तो कुछ समय के लिए किए जाने वाले उपाय हैं, परंतु आप हमेशा के लिए पाले से निजात पाने के लिए भी कुछ उपाय कर सकते हैं।
खेत के उत्तर पश्चिम और खेत के बीच बीच में हवा को रोकने वाले पेड़ जैसे कि – शीशम, बबूल, शहतूत, आम, जामुन आदि के पेड़ लगा सकते हैं। जिनमें ठंडी हवाएं रुक जाती ,है और यह पेड़ आपको गर्मी में लू से भी बचाव करेंगे।
गुनगुने पानी का छिड़काव करना
आप नर्सरी या फिर फसलों को पाले से बचाने के लिए सुबह सुबह हल्के गुनगुने पानी का छिड़काव फसलों पर कर सकते हैं। यह उपाय नर्सरी या छोटी जगह की फसलों के लिए उपयुक्त है।
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वायु रोधी पटिया लगाकर
यदि आपने कोई नर्सरी तैयार की है, और पाले का खतरा है, तो आप नर्सरी के आसपास वायु रोधी पटिया लगा सकते हैं। जिनमें हवा सीधे प्रवेश करेगी और रुक जाएगी इन पट्टियों को दिन के समय हटा दें।
सरसों की फसल को पाले से कैसे बचाएं
सरसों की फसल के उत्पादन में काफी बदलाव देखने को मिले हैं, और सरसों का उत्पादन पहले के मुकाबले अब अधिक बढ़ गया है। अब सरसों की खेती और अधिक क्षेत्रफल में की जाती है, सरसों की फसल पर भी पाले का गहरा प्रभाव पड़ता है, और इसी के कारण फसल का कम उत्पादन होता है।
पाले का पौधे पर प्रभाव
सरसों की फसल में पाले का असर तने से ज्यादा फूलों, पत्तियों और जड़ों में देखने को मिलता है। फूलों में विशेष रूप से अंडाशय की अधिक हानि होती है, और पत्तियां झुलसने लग जाती है, इनका कलर बदल जाता है, फलियो के दाने काले पड़ जाते हैं या फिर पानी में परिवर्तित हो जाते हैं।
सारसो की बुआई का सही समय
प्राया किसान भाई सरसों की फसल की बहुत ही जल्दी सितंबर माह के पहले या दूसरे सप्ताह में बुवाई कर देते हैं, जिसके कारण दिसंबर के अंत और जनवरी के प्रारंभ में तापमान जमाव बिंदु तक पहुंच जाता है।
इसी समय पर सरसों में फूल एवं फलियां आना प्रारंभ होती है, और फसल को गहरा नुकसान उठाना पड़ता है, इसीलिए सरसों की फसल की बुवाई अक्टूबर माह के द्वितीय सप्ताह से लेकर अंतिम सप्ताह तक करनी चाहिए जिससे कि फूल के समय पाले से बचा जा सके।
पाले से बचाव के उपाय
- यदि पाला पड़ने की संभावना है, तो खेत में हल्की हल्की सिंचाई कर दें।
- खेत के किनारों एवं मेड पर सूखी घास जलाकर धुय करें जिससे तापमान में वृद्धि होगी और पाले का असर कम हो।
- पाला पड़ने से पहले 2% यूरिया का छिड़काव किया जाए तो पाले का प्रभाव कम हो जाता है, यूरिया की मदद से पोधों की कोशिकाओं में पानी आने जाने की क्षमता बढ़ जाती है।
- सरसों की RH30 किस्म पर पाले का असर कम होता ,है और इसकी पैदावार भी अधिक है।
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