आजकल सरकार किसानों के हित में बड़े-बड़े कदम उठा रही है। देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है, जिसके लिए कई कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाया गया है। कुछ कीटनाशक फसलों को कीटों से बचाव के लिए उपयोग होते हैं, लेकिन कुछ फसलों को नुकसान पहुँचा सकते हैं। ऐसे कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग के कारण केमिकल की मात्रा बढ़ती हुई थी जो फसलों को भी नुकसान पहुँचा रही थी। सरकार ने इससे नुकसान होने से बचने के लिए कुछ कीटनाशकों को भारत में बैन कर दिया है। जानिए इन कीटनाशकों के बारे में विस्तार से…
रजिस्ट्रेशन लिया गया वापस
कृषि मंत्रालय ने एक समिति का गठन करके 66 कीटनाशकों की समीक्षा की थी, जो दूसरे देशों में प्रतिबंधित होते हुए भारत में उपलब्ध हैं। समीक्षा के बाद भारत सरकार ने 46 कीटनाशकों के आयात, निर्माण और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अतिरिक्त, 8 कीटनाशकों का रजिस्ट्रेशन वापस ले लिया गया है। आइये जानें कि कौन-कौन से कीटनाशकों का उपयोग भारत में प्रतिबंधित किया गया है।
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इन कीटनाशक को किया गया बैन
हिंदी नाम | अंग्रेजी नाम | बैन तिथि |
---|---|---|
अलाक्लोर | Alachlor | – |
एल्डीकार्ब | Aldicarb | 17 जुलाई 2001 (S.O. 682 (E)) |
एल्ड्रिन | Aldrin | – |
बेंजीन हेक्साक्लोराइड | Benzene Hexachloride | – |
बेनोमिल | Benomyl | 8 अगस्त, 2018 (S.O. 3951(E)) |
कैल्शियम साइनाइड | Calcium Cyanide | – |
कार्बेरिल | Carbaryl | 8 अगस्त, 2018 (S.O. 3951(E)) |
क्लोरबेंजिलेट | Chlorbenzilate | 17 जुलाई 2001 (S.O. 682 (E)) |
क्लोरडेन | Chlordane | – |
क्लोरोफेनविनफॉस | Chlorofenvinphos | – |
कॉपर एसीटोअरसेनाइट | Copper Acetoarsenite | – |
डायजोनॉन | Diazinon | 8 अगस्त, 2018 (S.O. 3951(E)) |
डाइब्रोमोक्लोरोप्रोपेन (DBCP) | Dibromochloropropane | 25 जुलाई 1989 (S.O. 569 (E)) |
डिक्लोरवोस | Dichlorovos | 8 अगस्त, 2018 (S.O. 3951(E)) |
डिल्ड्रिन | Dieldrin | 17 जुलाई 2001 (S.O. 682 (E)) |
एंडोसल्फान | Endosulfan | – |
एंड्रिन | Endrin | – |
एथिल मर्करी क्लोराइड | Ethyl Mercury Chloride | – |
एथिल पैराथियान | Ethyl Parathion | – |
एथिलीन डाइब्रोमाइड (EDB) | Ethylene Dibromide | 17 जुलाई 2001 (S.O. 682 (E)) |
फेनारिमोल | Fenarimol | 8 अगस्त, 2018 (S.O 3951(E)) |
फेनथियोन | Fenthion | 8 अगस्त, 2018 (S.O 3951(E)) |
हेप्टाक्लोर | Heptachlor | – |
लिंडेन (Gamma-HCH) | Lindane (Gamma-HCH) | – |
लिनुरोन | Linuron | 8 अगस्त, 2018 (S.O 3951(E)) |
मैलिक हाइड्राज़ाइड | Maleic Hydrazide | 17 जुलाई, 2001 (S.O. 682(E)) |
मेनाजोन | Menazon | – |
मेथॉक्सी एथिल मरकरी क्लोराइड | Methoxy Ethyl Mercury Chloride | 8 अगस्त, 2018 (S.O 3951(E)) |
मिथाइल पैराथियान | Methyl Parathion | 8 अगस्त, 2018 (S.O 3951(E)) |
मेटोक्स्यूरॉन | Metoxuron | – |
नाइट्रोफेन | Nitrofen | – |
पैराक्वाट डाइमिथाइल सल्फेट | Paraquat Dimethyl Sulphate | – |
पेंटाक्लोरो नाइट्रोबेंजीन (PCNB) | Pentachloro Nitrobenzene (PCNB) | 25 जुलाई, 1989 (S.O. 569(E)) |
पेंटाक्लोरोफेनोल | Pentachlorophenol | – |
फेनिल मरकरी एसीटेट | Phenyl Mercury Acetate | – |
फोरेट | Phorate | 8 अगस्त, 2018 (S.O 3951(E)) |
फॉस्फैमिडॉन | Phosphamidon | 8 अगस्त, 2018 (S.O 3951(E)) |
सोडियम साइनाइड* | Sodium Cyanide* | 8 अगस्त, 2018 (S.O 3951(E)) (कीटनाशकीय उपयोग के लिए प्रतिबंधित है) |
सोडियम मीथेन अर्सोनेट | Sodium Methane Arsonate | – |
टेट्राडिफॉन | Tetradifon | – |
थियोमेटन | Thiometon | 8 अगस्त, 2018 |
टोक्साफीन (कैंफेक्लोर) | Toxaphene (Camphechlor) | 25 जुलाई, 1989 |
ट्रायजोफॉस | Triazophos | 8 अगस्त, 2018 |
ट्राइडेमॉर्फ | Tridemorph | 8 अगस्त, 2018 |
ट्राइक्लोरोएसिटिक एसिड (टीसीए) | Trichloro acetic acid (TCA) | 17 जुलाई, 2001 |
ट्राइक्लोरफॉन | Trichlorfon | 8 अगस्त, 2018 |
जैविक कीटनाशक का उपयोग करने की सलाह
सरकार द्वारा जैविक कीटनाशक का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है, जबकि केमिकल कीटनाशक का उपयोग कम होने की सलाह दी जा रही है।
जैविक कीटनाशक विभिन्न पौधों और खनिजों का उपयोग करके बनाए जाते हैं, ये कीटनाशक नॉन टॉक्सिक होते हैं और प्रकृति और मानव स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव नहीं डालते हैं।
इसलिए, ये पर्यावरण के लिए अधिक अनुकूल होते हैं, केमिकल कीटनाशक के मुकाबले जैविक कीटनाशक की महक भी अलग होती है, जो कि इसे और भी अधिक अच्छा बनाती है।
जैविक कीटनाशक के उपयोग से कई लाभ होते हैं।
जैविक कीटनाशक का उपयोग करने से कई लाभ होते हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण लाभ निम्नलिखित हैं:
- स्वास्थ्य के लिए अधिक सुरक्षित – जैविक कीटनाशक के उपयोग से निर्माता और उपभोक्ता दोनों के स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। इसके कारण यह केमिकल कीटनाशक से बहुत सुरक्षित होते हैं।
- पर्यावरण के लिए अधिक अनुकूल – जैविक कीटनाशक का उपयोग करने से पर्यावरण पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके कारण यह पर्यावरण के लिए अधिक अनुकूल होते हैं।
- लागत में कम – जैविक कीटनाशक के उपयोग से उत्पादन की लागत में कमी होती है। इसके कारण निर्माताओं को केमिकल कीटनाशकों से कम लागत में अधिक उत्पादन करने में सक्षम होने में मदद मिलती है।
- जलोधर पर अधिक असरकारी – जैविक कीटनाशक का उपयोग करने से जलोधर पर अधिक असरकारी होता है।
- जैविक कीटनाशक का उपयोग करने से पौधों की गुणवत्ता भी बढ़ती है। इससे उत्पादन की मात्रा में भी वृद्धि होती है।
- जैविक कीटनाशक का उपयोग करने से किसान अपनी फसल के लिए ज्यादा पैसे कमा सकते हैं। इससे उन्हें अधिक लाभ होता है जो कि उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारता है।
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