धान की आधुनिक खेती एवं उन्नत किस्मों के बारे में तो हम पहली पोस्ट में जान चुके हैं, अब हम जानेंगे कि धान की खेती में प्रमुख 12 रोग कौन कौन से हैं, उनकी पहचान कैसे की जाए एवं उनका प्रबंधन किस प्रकार से किया जाए तो आइए जानते हैं, धान के प्रमुख रोग के बारे में : –
1) बकानी रोग – धान के प्रमुख रोग
कैसे बचाव करे ?
कार्बेनिडाजिम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल में बीजों को 24 घंटे भिगोयें और अंकुरित करके नर्सरी में बिजाई करें । रोपाई के समय रोगग्रस्त पौधों को न रोपें और गीली पौधशाला में बुआई करें।
पौधों में रोग के लक्षण दिखाई देने पर उन्हें उखाड़ कर नष्ट कर दें । अत्यधिक नाइट्रोजन का प्रयोग न करें।
पहचान कैसे करें ?
धान की फसल का बकानी रोग फंगस के कारण होता है इस रोग में कुछ पौधे फसल से ऊंचे हो जाते है इसे झंडा रोग भी कहते है,
इसके बचाव के लिए रोगित पौधे को खेत से उखाड़कर बाहर किसी गढे में मिटटी से दवा दे।
रासायनिक नियंत्रण कैसे करे ?
इस रोग से फसल का बचाव करने के लिए 1 एकर खेत में 500 ग्राम कार्बोनडाज़िम + मेंकोजेब ( carbondazim + mencozeb ) ) 100 से 150 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करे।
या प्रोपीकोनाजोल 25 % ईसी 200 मिली प्रति एकर 200 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
2) नर्सरी पीली पड़ना – धान के प्रमुख रोग
रासायनिक नियंत्रण कैसे करे ?
धान की नर्सरी में पीलापन दूर करने के लिए यूरिया 5 ग्राम प्रति लीटर पानी + जिंक सलफेट 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
या
अगर 10 दिन बाद नर्सरी पीली पड़ती दिखाई देने लगे तो इसके लिए 166 ग्राम ferrus sulphate और 100 ग्राम यूरिया को 20 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करे।
3) धान का ब्लास्ट रोग (Paddy blast)
जैविक नियंत्रण
बीज की बुआई के पूर्व स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 0.5 % डब्ल्यूपी 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें।
पहचान
यह एक फफूंदजनित रोग है । इस रोग में पत्तियों पर भूरे रंग के मार्जिन और भूरे रंग के / राख केंद्र दोनों सिरों की तरफ झुकाव के साथ स्पिंडल के आकार के घाव ( 1.5 सेमी लंबाई और 0.5 सेमी चौड़ाई )।
ये घाव बड़े अनियमित पैच बनाने और अंतः पूरी पत्तियों को मारने के लिए बढ़ा सकते हैं।
रासायनिक नियंत्रण
धान में ब्लास्ट रोग की रोकथाम के लिए आइसोप्रोथियोलेन 40 % ईसी 300 मिली प्रति एकर 200-400 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें
या पिकोक्सिस्ट्रोबिन 22.52 % डब्ल्यू / डब्ल्यू एससी 240 मिली प्रति एकर 200 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
4) खैरा रोग – धान के प्रमुख रोग
पहचान
यह रोग जिंक की कमी के कारण होता है । इस रोग में पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं , जिस पर बाद में कत्थई रंग के धब्बे बन जाते हैं।
रासायनिक नियंत्रण
- जिंक सल्फेट 10 किलो ग्राम प्रति एकड़ बुवाई से पहले प्रयोग करना चाहिए।
- पौध रोपण से पहले पौध को 0.4 प्रतिशत जिंक सल्फेट के घोल में 12 घंटे तक डुबोकर रोपण करें।
- खड़ी फसल में यूरिया 2 किलोग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी + जिंक सलफेट 1 किलोग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी मे घोलकर छिडकाव करें।
5) काई ( नीले हरे शैवाल ) – धान के प्रमुख रोग
रासायनिक नियंत्रण
धान की फसल में काई का नियंत्रण करने के लिए 1 एकड़ खेत में 500 ग्राम कॉपर सल्फेट को बारीक पीसकर कपड़े में बांध कर 5 से 6 पोटली बनाकर खेत में जगह जगह डाल दे।
या 1 किलोग्राम कॉपर ऑक्सी क्लोराइड को 5 किलोग्राम रेत में मिलाकर खेत में छिटक दे।
6) धान की शीथ ब्लाइट ( Sheath blight )
पहचान
पौधे से लेकर दाने बनते तक की अवस्था तक इस रोग का आक्रमण ज्यादा होता है । इस रोग का प्रभाव मुख्य पत्तियों , तने की गाठे, बाली पर आँख के आकार के धब्बे बनते है बीच में राख के रंग के तथा किनारों पर गहरे भूरे या लालीमा लिये होते है।
कई धब्बे मिलकर कत्थई सफेद रंग के बडे धब्बे बना लेते हैं , जिससे पौधा झुलस जाता है । गाठो पर या बालियों के आधार पर प्रकोप होने पर पौधा हल्की हवा से ही गाठों पर से तथा बाली के आधर से टूट जाता है।
बचाव
बीजों को सूयडोमोनास फ्लोरेन्स 10 ग्राम प्रति किलो ग्राम बीज की दर से उपचारित करें। रोपाई के 30 दिनों के बाद सूयडोमोनास फ्लोरेन्स 1 किलो / एकर 20 किलो गोबर की खाद / रेत के साथ मिलाकर भुरकाव करें।
रासायनिक नियंत्रण (धान के प्रमुख रोग)
खड़ी फसल में रोग दिखने पर प्रोपीकोनाज़ोल 25 % ईसी 200 मिली प्रति एकर 300 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें या डायफेनोकोनाज़ोल 25 % ईसी 100 मिली प्रति एकर 200 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
7) नेक ब्लास्ट – Neck Blast (धान के प्रमुख रोग)
पहचान
नेक ब्लास्ट पिकुलेरिया ऑरिंजा फफूंदी से फैलने वाला रोग है । यह धान की फसल में आए साल बड़े स्तर पर तबाही मचाता है।
नेक ब्लास्ट बीमारी में बाली के पास काला धब्बा बनने से बाली एक तरफ झुक जाती है और फिर ऊपर का हिस्सा टूटकर गिरने लगता है।
बचाव
धान की फसल का इस रोग से बचाव करने के लिए रोग प्रतिरोधी किस्म का प्रयोग करे।
रासायनिक नियंत्रण
धान में नेक ब्लास्ट रोग की रोकथाम के लिए कसुगामाइसिन 5 % + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45 % डब्ल्यूपी 280 ग्राम प्रति एकर 150 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
8) पीलापन – धान के प्रमुख रोग
पहचान
धान की पत्तियां पीले रंग की दिखने लग जाती है । धान में पीलापन पोषक तत्व के कमी के कारण होता है।
रासायनिक नियंत्रण
इसके नियंत्रण के लिए धान की फसल में यूरिया 2 किलोग्राम + जिंक सल्फेट 1 किलोग्राम प्रति एकड 200 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
9) हल्दी गांठ रोग – False Smut
पहचान – धान के प्रमुख रोग
धान की फसल में इस रोग के कारण बाली में हल्दी जैसी छोटी छोटी गांठ बन जाती है । इस रोग से प्रभावित दाने आकार में काफी बड़े होते हैं।
रोगग्रस्त दानो को मिडने पर पीले रंग का फफूद सा निकलता है । कुछ दिनों बाद यह गांठ काली हो जाती है।
बचाव
रोग प्रतिरोधी किस्मो की बुवाई करे । स्वस्थ फसल से चुने गए रोग मुक्त बीज का उपयोग करें । बीज की बुआई के पूर्व स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 0.5 % डब्ल्यूपी 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें।
रासायनिक नियंत्रण
- इस रोग का नियंत्रण करने के लिए 500 ग्राम कॉपर ऑक्सी क्लोराइड 50 % wp को 200 लीटर पानी के हिसाब से घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करे।
- या फिर 400 ग्राम Chlorothalonil 75 % WP को 200 लीटर पानी के हिसाब से घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करे।
10) जीवाणुज पत्ती अंगमारी / जीवाणुज पर्ण झुलसा रोग (Bacterial leaf blight)
पहचान – धान के प्रमुख रोग
धान की फसल में इस रोग के कारण पत्तियों पर पीली या पुआल के रंग कबी लहरदार धारियां एक या दोनों किनारों के सिरे से शुरू होकर नीचे की ओर बढ़ती है और पत्तियां सूख जाती हैं । ये धब्बे पत्तियों के किनारे के समानान्तर धारी के रूप में बढ़ते हैं । धीरे – धीरे पूरी पत्ती पुआल के रंग में बदल जाती है।
बचाव
स्वस्थ प्रमाणित बीजों का व्यवहार करें । बीजों को सूयडोमोनास फ्लोरेन्स 10 ग्राम प्रति किलो ग्राम बीज की दर से उपचारित करें।
रासायनिक नियंत्रण
धान में जीवाणु पत्ती झुलसा रोग की रोकथाम के लिए स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट 90 % + टेट्रासाइक्लीन हाइड्रोक्लोराइड 10 % एसपी 20-30 ग्राम प्रति एकर 200 लीटर पानी में घोलकर अगेती जड़ विकास अवस्था एवं आवश्यकता पड़ने पर दाने भरने के पूर्व छिडकाव करें।
जैविक नियंत्रण ( धान के प्रमुख रोग )
बीजों को सूयडोमोनास फ्लोरेन्स 10 ग्राम प्रति किलो ग्राम बीज की दर से उपचारित करें।
11) भूरा धब्बा या पर्णचित्ती रोग – Brown Leaf Spot
बचाव – धान के प्रमुख रोग
गर्मी में गहरी जुताई एवं मेड़ो तथा खेत के आस – पास के क्षेत्र को खरपतवार से यथा सम्भव मुक्त रखना चाहिए । उर्वरकों का संतुलित प्रयोग करना चाहिए । समय से बुवाई एवं फसल चक्र अपनाना चाहिए।
रासायनिक नियंत्रण
एडिफेनफोस 50 % ईसी 200 मिली प्रति एकर 300 लीटर पानी मे घोलकर छिडकाव करें।
पहचान
धान की फसल में इस रोग का आक्रमण फसल में पौध अवस्था से दाने बनने तक की अवस्था में होता है । पत्तियों पर गोल अंडाकर , आयताकार छोटे भूरे धब्बे बनते है जिससे पत्तिया झुलस जाती है।
तथा पूरा का पूरा पौधा सूखकर मर जाता है । दाने पर भूरे रंग के धब्बे बनते है तथा दाने हल्के रह जाते है।
12) बैक्टेरियल पेनिकल ब्लाइट –
पहचान कैसे करे ?
धान की फसल में इस रोग के कारण बालियो पर काले धब्बे बन जाते हैं।
रासायनिक नियंत्रण कैसे करे ?
इसके लिए 1 एकड़ खेत में 15 ग्राम streptocycline और 400 ग्राम कॉपर ऑक्सी क्लोराइड को 200 लीटर पानी में घोलकर 15 दिन के अंतराल पर 2 बार छिड़काव करे।
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