कपास की फसल खतरनाक कीट किसान ऐसे करें बचाव

कपास की फसल को हानि पहुंचाने वाले कीटों की विभिन्न प्रजातियों में कुल चार कीट आर्थिक क्षति की दृष्टि प्रमुख माने जाते हैं। इनके बारे में जानिए।
कपास खरीफ मौसम में खेती की जाने वाली प्रमुख फसलों में से एक है। इन दिनों इसकी खेती में कई तरह के रोग लगते हैं। इन्हीं में से एक है गुलाबी सुंडी।

इसकी चपेट में कपास की फसल हरियाणा, पंजाब एवं राजस्थान के कई हिस्सों में है। इसकी सबसे अधिक खेती महाराष्ट्र और गुजरात में होती है। इनमें गुलाबी सुंडी के बलावा भी कुछ कीटों (Pest) ऐसे हैं जिनके आक्रमण से फसल की पैदावार में 60-70 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।

कपास की फसल (crop) को हानि पहुंचाने वाले कीटों की विभिन्न प्रजातियों में कुल चार कीट आर्थिक क्षति की दृष्टि प्रमुख माने जाते हैं। इसे सफेद मक्खी, अमेरीकन सुंडी, चेपा एवं मीली बग आदि कीटों से बचा कर आप उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त कर सकते हैं।

सफेद मक्खी

यह मक्खियां पत्तियों की निचली सतह पर रहकर रस चूस कर पौधों कमजोर बना देती हैं। यह मक्खियां पौधों पर चिपचिपा पदार्थ छोड़ती हैं, जिससे फफूंद निकलने लगते हैं।

इससे बचने के लिए फसल चक्र अपनाएं तथा प्रति एकड़ 2-3 पीले ट्रेप का प्रयोग करें। यदि फसल मे सफेद मक्खी का हमला दिखे तो एसिटामाइप्रिड 40 ग्राम या एसिफेट 75% डबल्यूपी 800 ग्राम 200 लीटर पानी में या थाइमेथोक्ज़म 40 ग्राम या इमिडाक्लोरपीड़ 40 मिलीलीटर को 200 लीटर पानी मे मिला कर प्रति एकड़ मे छिड़काव करें।


अमेरिकन सुंडी

इस सुंडी के हमले से कपास में गोल छेद हो जाते हैं। इन छेदों के बाहरी ओर सुंडी का मल दिखाई देता है। अकेला लार्वा 30-40 कपास को नुकसान पहुंचा सकता है।

इन हमलों की जांच के लिए रोशनी वाले कार्डों या फेरोमोन कार्ड का प्रयोग करें। कपास की फसल लगातार एक खेत में न लगाएं, बल्कि बदल बदल कर फसल उगाएं।

कपास की बुवाई से पहले पहली फसल के बचे हुए खरपतवार को अच्छी तरह निकाल दें। पानी का सही मात्रा में प्रयोग करें और नाइट्रोजन खाद का ज्यादा प्रयोग न करें।

मीली बग

यह कीट पौधों के तने, शाखाओं, पत्तियों का रस चूस कर पौधों को कमजोर बना देती हैं। इसके नियंत्रण के लिए शुरुआती समय पर नीम के तेल के छिड़काव से इस कीट से निजात पा सकते हैं।

यदि इसका हमला गंभीर हो तो प्रोफैनोफोस 500 मि। ली। को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें।

माहू कीट

यह कीट हरे या हल्के पीले रंग का होता है। यह पत्तियों की नीचली सतह का रस चूस कर पौधों को कमजोर बना देते हैं। इससे फसल को बहुत नुकसान होता है। इसके नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ जमीन में 3 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड मिला कर छिड़काव करने से इस कीट से निजात पाया जा सकता है।


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