मध्य प्रदेश के कई जिलों मे अरबी की खेती की जाती है, पर खरगोन जिले मे अरबी की खेती बहुत अधिक की जाती है।
यह स्टार्च का प्रमुख तत्व है, इसमें प्रोटीन,पोटेशियम, थियामिन,कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट,आयरन समेत कई खनिज तत्व पाए जाते हैं।
बुआई का समय
खरीफ में
बुआई का समय- 1 मई से 30 जून के बीच
फसल अवधि- 150 से 220 दिन
जायद में
बुआई का समय- 1 फ़रवरी से 30 अप्रैल के बीच
फसल अवधि- 150 से 220 दिन
तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई
- अरबी की फसल के लिए दोमट , बलुई दोमट और चिकनी दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती हैं।
- जिस खेत का चयन करें उसमें जल निकास की उचित व्यवस्था हों।
- फसल के लिए चयन की गई भूमि का पी.एच मान 5.5 से 7 के बीच का होना चाहिए।
- फसल बुवाई के 15 दिन पहले मिट्टी पलटने वाले हल से 1 बार जुताई कर दें जिससे खेत में मौजूद खरपतवार और हो जाए।
- इसके बाद प्रति हैक्टेयर खेत में 18 से 20 टन सड़ी हुई गोबर की खाद और 4.5 किलो ट्राईकोडर्मा डालें।
- खाद डालने के बाद खेत की 1 बार जुताई करके पाटा लगाकर पलेवा कर दें।
- पलेवा के 6 से 8 दिन बाद 1 बार गहरी जुताई कर दें।
- इसके बाद खेत में कल्टीवेटर द्वारा 2 बार आडी – तिरछी गहरी जुताई करके खेत पर पाटा लगा दें जिससे खेत समतल हो जाए।
- अब खेत बुवाई के लिए तैयार हैं।
अरबी की उन्नत किस्म (Varieties)
इंदिरा अरबी 1- अवधि 210 से 220 दिन इस किस्म के पत्ते मध्यम आकार और हरे रंग के होते हैं । तने ( पर्णवृन्त ) का रंग ऊपर नीचे बैंगनी तथा बीच में हरा होता हैं ।
इस किस्म में 9 से 10 मुख्य पुत्री धनकंद पाये जाते है । इसके कंद स्वादिष्ट खाने योग्य होते हैं और पकाने पर शीघ्र पकते हैं , यह किस्म 210 से 220 दिन में खुदाई योग्य हो जाती हैं । इसकी औसत पैदावार 22 से 33 टन प्रति हेक्टेयर हैं ।
नरेन्द्र अरबी- अवधि 170 से 180 दिन इस किस्म के पत्ते मध्यम आकार के तथा हरे रंगते हैं । पर्णवृन्त का ऊपरी और मध्य भाग हरा निचला भाग हरा होता हैं । यह 170 से 180 दिनों में तैयार हो जाती हैं।
इसकी औसत पैदावार 12 से 15 टन प्रति हेक्टेयर हैं । इस किस्म की पत्तियॉ , पर्णवृन्त एवं कंद सभी पकाकर खाने योग्य होते हैं ।
बिलासपुर अरूम- अवधि 180 से 190 दिन यह किस्म 190 दिन में तैयार हो जाती है और इसकी औसत पैदावार 30 टन प्रति हेक्टेयर है ।
आजाद अरबी- अवधि 130 से 135 दिन यह किस्म 135 दिन में तैयार हो जाती है और इसकी औसत पैदावार 28 से 30 टन प्रति हेक्टेयर है।
अरबी की खेती मे बीज की मात्रा
अरबी की बुवाई के लिए 1 एकड़ खेत के लिए अंकुरित कंद 4 से 5 क्विंटल की जरूरत पड़ती है ।
बीज उपचार
- बुवाई से 24 घंटे पहले कंद उपचारित करना चाहिए ।
- इसके कंदों को 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम 12 % + मेन्कोजेब 63 % डब्ल्यूपी की मात्रा को 1 लीटर पानी के घोल के हिसाब से मिलाकर 10 मिनट डुबोकर उपचारित कर बुवाई करें।
- कन्दों को 2.5 ग्राम कार्बोक्सिन 37.5 % + थायरम 37.5 % WS से 1 किलो के हिसाब से उपचारित करें।
- जैविक तरीके से उपचार में 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी से प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें।
बुआई का तरीका
अरबी की फसल समतल क्यारियों में कतारों से कतारों दूरी 60 सेमी . तथा पौधे से पौधे की दूरी 45 सेमी . और कंदों की 5 से 7 सेमी . की गहराई पर बुवाई करें।
मेड़ बनाकर- 45 सेमी . की दूरी पर मेड़ बनाकर दोनों किनारों पर 30 सेमी . की दूरी पर कंदों की बुवाई करें । बुवाई के बाद लंगो मिट्टी से अच्छी तरह ढंक दें ।
अरबी की खेती मे उर्वरक व खाद प्रबंधन
मृदा जांच के उपरांत ही उर्वरकों का प्रयोग करें। अधिक उपज प्राप्त करने के लिए नाइट्रोजन 80 किलोग्राम, फॉस्फोरस 60 किलोग्राम तथा पोटाश 80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रयोग करें और नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फॉस्फोरस व पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा बुवाई के पूर्व खेत में मिला दें।
शेष नाइट्रोजन को दो बराबर भागों मे बांटकर बुवाई के 35-40 दिन और 70 दिनों बाद खड़ी फसल में टॉप – ड्रेसिंग के रूप में दें।
अरबी की खेती मे सिंचाई
अरबी की फसल में नमी के अनुसार 4 से 7 दिन पर सिचाई करे।
फसल की खुदाई
अरबी की खुदाई कंद के आकार , तथा किस्मों पर निर्भर करती है। अरबी बुवाई के 120 से 140 दिन बाद जब पत्तियां सूख जाती हैं, तब खुदाई के लिए तैयार हो जाती है।
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