हर गाँव मे नमो चौपाल से कृषि वैज्ञानिक देंगे खेती-किसानी की जानकारी

नमो चौपाल : – देश में किसानों की सहायता के लिए सरकार ने कृषि क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कृषि मेले आयोजित करने का निर्णय लिया है। इसी क्रम में, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के विभिन्न जिलों में कृषि मेले का आयोजन किया जा रहा है। किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने उज्जैन में आयोजित हुए एग्री एक्सपो (कृषि मेले) का शुभारंभ किया।

ग्राम पंचायत मुख्यालय पर नमो चौपाल बनाई जाएगी

इस अवसर पर, किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री ने बताया कि हर ग्राम पंचायत मुख्यालय पर नमो चौपाल बनाई जाएगी। इस चौपाल पर किसान, ग्रामीण और कृषि वैज्ञानिक सभी मिलकर खेती-किसानी पर आपस में चर्चा करेंगे। इसके साथ ही, कृषि मंत्री ने एग्री एक्सपो में स्थापित किए गए विभिन्न स्टालों का भी दौरा किया।

नमो चौपाल क्या है ?

नमो चौपाल (Namo Chaupal) एक प्रशासनिक और सामाजिक पहल है जो ग्राम पंचायतों में अपनाई जाएगी । इसका मुख्य उद्देश्य है किसानों, ग्रामीणों और कृषि वैज्ञानिकों को एक साथ आकर खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और चर्चा करना। यहां पर किसानों को नवीनतम खेती तकनीक (latest farming techniques), उन्नत खेती के तरीके, जैविक खेती, बीज और उर्वरकों (seeds and fertilizers) के बारे में जानकारी मिलती है।

नमो चौपाल का निर्माण ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर किया जाएगा जहां सभी किसान अपनी समस्याओं का समाधान और विकास करने की योजना बनाएंगे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में खेती-किसानी सुधार के लिए बेहतर माहौल और संरचना प्राप्त होती है।

कृषि मेलों का आयोजन किया जा रहा

विश्वविद्यालयों में अब किसानों को जैविक और प्राकृतिक खेती के बारे में पढ़ाया जाएगा। कृषि मंत्री ने बताया कि किसानों के लिए आधुनिक खेती, उन्नत खेती, और जैविक खेती आदि पर चर्चा करने के लिए कृषि मेलों का आयोजन किया जा रहा है। किसानों के हित में, मंडियों को मजबूत बनाया गया है। उन्होंने कृषि संबंधित योजनाओं के विस्तार के साथ किसानों को आह्वान किया है कि वे अधिक से अधिक योजनाओं का लाभ उठाएं।

जैविक खेती संबंधित विषयों को पढ़ाया जाएगा

उन्होंने बताया कि पहले कृषि विश्वविद्यालयों में प्राकृतिक खेती और जैविक खेती संबंधित विषयों को पढ़ाने की प्रथा नहीं थी, लेकिन अब उन्हें निर्देशित किया गया है कि वे इस मामले में पठन-पाठन का कार्य करें, जिससे हमारे किसान अधिक से अधिक प्राकृतिक और जैविक खेती कर सकें।

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