खेती मे नीम के उपयोग अलग अलग फसलों मे

नीम भारत समेत कई देशों में पाया जाने वाला एक पेड़ है, जिससे प्राप्त होने वाले अनेक स्वास्थ्य लाभों के कारण इसे एक शक्तिशाली जड़ी-बूटियों में गिना जाता है। नीम के पेड़ से प्राप्त होने वाले फल, फूल, पत्ते, छाल व टहनियां आदि सभी में अलग-अलग प्रकार के स्वास्थ्यवर्धक गुण पाए जाते हैं।

कृषि के दृष्टिकोण से देखा जाय तो खेती-बाड़ी, भण्डारण, पशुपालन आदि में नीम का व्यापक उपयोग है, फसल सुरक्षा के दृष्टिकोण से कीटों में वृद्धि नियंत्रकों को नियंत्रित करने के लिए नीम का प्रयोग किया जाता है। जैसे खाद्य अवरोधक के रूप में और अण्ड अवरोधक के रूप में।

नीम के कारण हानिकारक कीटों में प्रजनन क्षमता अवरुद्ध हो जाती है। नीम के प्रभाव से कीटों के लार्वा एवं वयस्क प्रतिकर्षित होकर भाग जाते हैं। नीम के प्रभाव से वयस्क कीट बंध्य यानि नपुंसक हो जाते हैं। अत: उनमें वंशवृद्धि की क्षमता में कमी आ सकती है।

सामान्यतया एक पूर्ण विकसित नीम से 37 से 100 किग्रातक बीज प्राप्त हो जाता है। नीम के 100 किग्रा पके फल में त्वचा 23.8 प्रतिशत, गूदा 47.5 प्रतिशत होता है। तथा गिरी से 45 प्रतिशत तेल और 55 प्रतिशत खली प्राप्त होती है।

नीम में एजाडिरैक्टीन नामक रसायन पाया जाता है, इस रसायन में कीटनाशक व कवकनाशक गुण होते हैं। इसी का प्रयोग करके बाज़ार में अनेक कीटनाशी दवाईयाँ उपलब्ध हैं।

आलू की फसल में नीम का उपयोग

आलू की फसल में नीम की खली के प्रयोग से ब्लैक स्कार्फ रोग का नियंत्रण होता है। उर्वरक के रूप में खली का प्रयोग करने से भूमि के अंदर पाये जाने वाले सभी प्रकार के कीट जैसे दीमक, कटुआ, सफेद गिडार, आम की गुजिया, टिड्डे आदि नष्ट हो जाते हैं।

इससे फसल स्वस्थ रहती है, कीटों से फसलं की सुरक्षा भी होती है, इस प्रकार हम देखते हैं कि – नीम की खली का प्रयोग अनेक फसलों के रोग-नियंत्रण में भी प्रभावी पाया गया है।

use-of-neem

मध्य प्रदेश के किसान ने खेत में उगाए नीले आलू

धान की फसल मे नीम के उपयोग

  • नीम की पत्ती 5 किग्रा 10 लीटर पानी में तब तक उबालें जब तक यह 2.5 लीटर न रह जाय।
  • अब इस ढाई लीटर नीम युक्त पानी में 100 लीटर पानी मिलाकर प्रति एकड़ धान की फसल पर छिड़काव करें।
  • इस छिड़काव से धान की गंधी कीट, हरा फुदका, भूरा फुदका, रस चूसने वाले कीटों से धान की फसल को बचाया जा सकता है।

टमाटर में फल छेदक कीट का भी नियंत्रण

नीम से टमाटर में फल छेदक कीट का भी नियंत्रण किया जाता है, नीम की पत्तियोंके अर्क से कपास, सब्जी तथा दलहनी बीजों का उपचार करने से बीज जनित रोगों का नियंत्रण होता है।
नीम का तेल दुर्गंध युक्त एवं उसमें कड़वापन होने के कारण सभी फसलों एवं पौधों के पत्ते, फूल अथवा फल पर कीड़ों को नियंत्रित करता है।

नीम का तेल 1 से 2 लीटर की मात्रा प्रति एकड़ छिड़काव करने से काटने, चबाने एवं रस चूसने वाले कीड़े नष्ट हो जाते हैं तथा कीड़ों के अण्डों से बच्चे भी नहीं निकल पाते हैं।

कद्दूवर्गीय फसलों मे नीम का उपयोग

नीम तेल के 2 प्रतिशत घोल का प्रयोग कर चूर्णित आसिता यानि पाउडरी मिल्ड्यू रोग का नियंत्रण कुछ हद तक किया जा सकता है। नीम के 0.5 प्रतिशत घोल का प्रयोग कद्दूवर्गीय फसलों पर 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें।

गेंहूँ की फसल पर नीम का छिड़काव

ढाई किग्रा नीम का बुरादा, तीन किग्रा लहसुन तथा 250 से 300 ग्राम खाने वाला तम्बाकू, इन तीनों का घोल कर पेस्ट बना लें, इस पेस्ट में दो लीटर गोमूत्र ता मिट्टी का तेल मिलाकर धान या गेंहूँ की फसल पर छिड़काव करें।

इस छिड़काव से सभी हाँइकारक कीट व रोगों का प्रभावी ढंग से नियंत्रण किया जा सकता है।

सब्जी तथा बागों के कीट नियंत्रण के लिए

पाँच किग्रा निम्बौली (नीम के बीज) रातभर के लिए शाम को भिगो दें, इन निम्बौलियों को सुबह उबाल कर गाढ़ा पेस्टबना लें।

इस पेस्ट में 100 लीटर पानी मिलाकर घोल बना लें और प्रति एकड़ की दर से फसलों पर छिड़काव करें, सभी फसल, सब्जी तथा बागों के कीट नियंत्रण के लिए यह एक उपयुक्त कीटनाशी है।

फसल में छिड़काव के लिए

  • पाँच किग्रा नीम के सूखे बीजों को साफ करके तथा छिलके हटाकर नीम की गिरी निकाल लें।
  • इस गिरी को पीस कर पाउडर बना लें, इस पाउडर को 10 लीटर पानी में डालकर रात भर रखें।
  • इस घोल को सुबह किसी लकड़ी के डण्डे से हिलाकर मिलायें तथा महीन कपड़े में छान लें।
  • इस घोल में 100 ग्राम कपड़ा धोने वाला पाउडर मिलाकर फिर 150 से 200 लीटर पानी में मिलायें।
  • अब यह एक उपयुक्त कीटनाशी है जो कि – एक एकड़ की फसल में छिड़काव के लिए पर्याप्त है।
neem-khad-price

फसल के लिए नीम के अन्य उपयोग

25 से 30 किग्रा नीम की ताजी पत्तियाँ ले लें, इन पत्तियों को रातभर पानी में भिगो दें, सुबह इन्हें पीसकर पत्तियों का सत बना लें।

अब इसमें 100 ग्राम कपड़ा धोने वाला पाउडर मिलाकर 150 लीटर पानी मिलाकर प्रति एकड़ फसल पर छिड़काव करें। यह भी एक उपयुक्त कीटनाशी है ।

10 किग्रा नीम की खली ले लें, इसे रातभर पानी में भिगो दें। सुबह इस घोल में 100 लीटर पानी और 100 ग्राम कपड़ा धोने वाला पाउडर मिलाकर फसलों पर छिड़काव करें। एक एकड़ क्षेत्रफल की फसल के लिए यह एक उपयुक्त कीटनाशी है।

एक लीटर नीम का तेल लें, इसमें 100 ग्राम कपड़ा धोने वाला पाउडर मिलायें तथा 100 लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें। एक एकड़ क्षेत्रफल की फसल के लिए यह पर्याप्त कीटनाशी है।

अन्न भण्डारण मे नीम का उपयोग

अन्न के भण्डारण के लिए प्रयोग किये जाने वाले जूट के बोरों को 10 प्रतिशत नीम के घोल में 15 मिनट तक बोरों को डुबोयें और इन्हें छायादार स्थान पर अच्छी तरह सुखाकर अन्न भण्डारण करें, तथा बचे हुए घोल को अन्न भंडारण वाले स्थान पर छिड़काव करें, इससे भंडारित अनाज कीड़ों से सुरक्षित रहेगा।

पादप विषाणु, सूत्रकृमि एवं कवक के दुष्प्रभाव से फसल को बचाया जा सकता है, नीम के प्रयोग से गंधी, तना छेदक, जेसिडस, फुदके, हेलियोथिस, सफेद मक्खी, मांहू, फली वेधक, तम्बाकू की सुण्डी आदि कीटों का नियंत्रण किया जा सकता है।

एकीकृत जीव प्रबंधन (IPM) में नीम का उपयोग

एकीकृत जीव प्रबंधन (आई.पी.एम.) में यह एक वरदान है, क्योंकि इसमें इसका प्रयोग सर्वथा निरापद एवं अत्यंत प्रभावी है। नीम की खली में 5 से 8 प्रतिशत तक नत्रजन तथा अधिक मात्रा में पोटेशियम पाया जाता है। जिसका प्रयोग मृदा सुधारक के रूप में किया जाता है। इससे नत्रजन का सुक्ष्मीकरण होता है। फलस्वरूप नत्रजन गैस के रूप में नष्ट नेहीं होती है।

नीम की खली का प्रयोग करने से मृदा में उपस्थित रोगजनित जीवाणु, कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। तथा कार्बनिक तत्वों की बढ़ोतरी के कारण मृदा शोधक सूक्ष्म जीवाणुओं में सक्रियताआ जाती है।

नीम उत्पाद के प्रयोग में सावधानियाँ

नीम उत्पाद के प्रयोग में किसान भाइयो को निम्न सावधानियाँ रखनी चाहिए, इससे आपको अधिक बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे –

  • नीमयुक्त कीटनाशी के छिड़काव में सावधानी बरतनी चाहिए।
  • छिड़काव प्रात:काल या देर शाम को करने से अच्छे परिणाम मिलते हैं।
  • सर्दियों में 10 दिन बाद तथा वर्षा ऋतु में दो या तीन दिनों बाद छिड़काव की सलाह दी जाती है।
  • छिड़काव इस प्रकार करें कि पत्तियों के निचले सिरों पर भी कीटनाशी पहुँचे।
  • अधिक गाढ़े घोल की अपेक्षा हल्के घोल का कम दिनों के अंतराल पर छिड़काव करें।
  • नीमयुक्त कीटनाशी का प्रयोग यथाशीघ्र कर लेना चाहिए।

इस प्रकार देखा जाय तो नीम वास्तव में औषधीय दृष्टिकोण से, व्यापारिक दृष्टिकोण से, वतावरण के परिदृष्टि से, फसलों को रोग व कीटों से बचाने के लिए आदि हर प्रकार से मानव जीवन के हितार्थ सर्वथा लाभकारी है।

आज आवश्यकता इस बात की है, कि – अधिक से अधिक नीम के वृक्षों का रोपड़ करके नीम के गुणों का अधि से अधिक लाभ उठाकर, पर्यावरण को सुरक्षित रखकर फसलों को रोगों व कीटों से बचाया जाय।

नीम वृक्ष उत्पाद का रासायनिक संगठन

नीम वृक्ष उत्पाद का रासायनिक संगठन इस प्रकार है –

  • निम्बान 0.04 प्रतिशत,
  • निम्बीनीन 0.001 प्रतिशत,
  • एजोडिरेक्टीन 0.4 प्रतिशत,
  • निम्बोसिटेरोल 0.03 प्रतिशत,
  • उड़नशील तेल 0.02 प्रतिशत तथा
  • टैनिन 6.00 प्रतिशत।
join-mkisan-mandi-bhav-whatsapp-group
how-to-make-organic-pesticide-from-neem

ट्रैक्टर सब्सिडी के लिए आवेदन करें किसान


"हम एक टीम हैं, जो आपके लिए अलग-अलग स्रोतों से मंडी भाव और कृषि समाचार एकत्रित कर आप सभी किसान भाइयों तक पहुँचाती है...."

Leave a Comment

Enter Your Mobile Number

We'll send you a 6-digit code to verify

+91

Verify Your Phone

Enter code sent to . Change

One Last Step!

Please tell us your name

Welcome, !

Let's set up your profile.

Tell us about yourself