आज हम इस पोस्ट मे जानेंगे की कद्दू की आधुनिक तरीके से खेती कैसे और कब की जाती है, साथ ही कद्दू की खेती में किन बातों का विशेष ध्यान जिससे आपको और ज्यादा मुनाफा हो :-
बुआई का समय
खरीफ में
बुआई का समय- 1 जून से 31 जुलाई के बीच
फसल अवधि- 90 से 130 दिन
जायद में
बुआई का समय- 1 जनवरी से 15 अप्रैल के बीच
फसल अवधि- 90 से 130 दिन
तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई
- कद्दू की खेती के लिए 25 से 30 डिग्री तापमान अच्छा रहता है ।
- कद्दू की खेती के लिए दोमट और बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है ।
- फसल के लिए चयन की गई भूमि का पी.एच मान 5.5 से 6.8 के बीच का होना चाहिए ।
- फसल की बुवाई 20 दिन पहले मिट्टी पलटने वाले हल से 1 बार जुताई कर दें जिससे खेत में मौजूद खरपतवार और हो जाए ।
- इसके बाद प्रति एकड़ खेत में 10 से 12 टन सड़ी हुई गोबर की खाद और 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा डालें ।
- खाद डालने के बाद खेत की 1 बार जुताई करके पाटा लगाकर पलेवा कर दें ।
- पलेवा के 6 से 8 दिन बाद 1 बार गहरी जुताई कर दें ।
- इसके बाद खेत में कल्टीवेटर द्वारा 2 बार आडी- तिरछी गहरी जुताई करके खेत पर पाटा लगा दें जिससे खेत समतल हो जाए ।
- अब खेत बुवाई के लिए तैयार है
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उन्नत किस्मे (Varieties) – कद्दू की खेती
- श्रीराम किंगकांग- अवधि 100 से 110 दिन यह 100 से 110 दिन में तैयार होने वाली किस्म है । इसके फल का वजन 8 से 9 किलोग्राम होता है । इसके फल हरे और पीले रंग के होते है ।
- PPH 2- अवधि 90 से 100 दिन यह ज्यादा जल्दी पकने वाली किस्म है । इसकी बेलें छोटे कद की , छोटे पोर वाली और गहरे हरे रंग के पत्ते होते हैं। इसके फल छोटे और गोल आकार में होते हैं। अपरिपक्व अवस्था में इसके फल हल्के हरे रंग के और पकने की अवस्था में नर्म भूरे रंग के हो जाते हैं । फल का गुद्दा सुनहरे पीले रंग का होता इसकी औसतन पैदावार 222 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
- पूसा विश्वास- अवधि 120 से 125 दिन इस किस्म के फल हल्के भूरे रंग के और गोल आकार के होते हैं । गूदा मोटा एवं पीले रंग का होता है । इसके फलों को पकने में 120-125 दिन का समय लगता है । इसकी औसत उपज 120 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
कद्दू की खेती मे बीज की मात्रा
कद्दू की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए 700 से 800 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है ।
बीज उपचार
हाइब्रिड बीज पहले से उपचारित आते है इनकी सीधी बुवाई की जा सकती है । अगर घर पर तैयार किया हुआ या देसी बीज की बुवाई करते है तो इसे कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम + थिरम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित कर ले ।
बुआई का तरीका
कद्दू की बुवाई के समय पौधे से पौधे की दूरी 60 सेमी और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 150 से 180 सेमी रखे । बीज को 1 इंच की गहराई पर लगाए।
उर्वरक व खाद प्रबंधन – कद्दू की खेती
बुवाई से 5 से 10 दिन पहले फसल बुवाई के 10 दिन पहले प्रति एकड़ खेत में 10 से 12 टन सड़ी हुई गोबर की खाद और 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा डालें।
बुवाई के समय फसल बुवाई के समय प्रति एकड़ खेत में 50 किलो डीएपी , 50 किलो पोटाश , 25 किलो यूरिया , 10 किलो कार्बोफुरान का इस्तेमाल करें।
बुवाई के 10 से 15 दिन बाद फसल बुवाई के 10-15 दिन बाद पौधों के अच्छे विकास के लिए 1 किलो एनपीके 19:19:19 और 250 मिली इफको सागरिका को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
बुवाई के 35 से 40 दिन बाद फसल बुवाई के 35 से 40 दिन पर प्रति एकड़ खेत में 25 किलो यूरिया , 5 किलो जायम का इस्तेमाल करें।
बुवाई के 50 से 55 दिन बाद फसल बुवाई के 50 से 55 दिनों के बाद प्रति एकड़ खेत में 1 किलो एन.पी.के. 13:00:45 और 400-500 ग्राम बोरोन B – 20 को 150 से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
बुवाई के 60 से 70 दिन बाद फसल बुवाई के 60 से 70 दिन बाद 400 मिली हयूमिक एसिड और 1 किलो 12:61:00 एनपीके को 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
सिंचाई
- फसल बुवाई से 7-8 दिन पहले खेत का पलेवा कर दें।
- खेत में बीज की बुवाई करने के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।
- इसके बाद बीज का अंकुरण अच्छी तरह होने पर करें।
- पौधो की वनस्पति वृद्धि और मिट्टी में नमी के आधार पर 7-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहें।
- मौसम के आधार पर मार्च महीने में 8-10 दिन , अप्रैल में 7-8 दिन , मई – जून में 4-5 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहें।
- फसल में फल बनने के दौरान भूमि में नमी कम नही होना चाहिये । फल के विकास में विपरीत प्रभाव पड़ता हैं।
- फसल से फलों की तुड़ाई के 2-3 दिन पहले सिंचाई करनी चाहिये जिससे फल ताजे , चमकदार और आकर्षित रहेंगे।
- भूमि की ऊपरी सतह से 50 से.मी. तक नमी बनाये रखना चाहिये । क्योंकि इस क्षेत्र में जडे अधिक संख्या में होती है।
फसल की कटाई
कद्दू की फसल में तुड़ाई किस्मो के अनुसार 90 से 100 दिन पर शुरू हो जाती है फल को आकार के अनुसार तुड़ाई करते रहे ।
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