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हल्दी की खेती की उन्नत तकनीक ओर किस्म - mkisan

हल्दी की खेती की उन्नत तकनीक ओर किस्म

इस पोस्ट मे हम जानेंगे हल्दी की खेती की उन्नत तकनीक ओर किस्म के बारे मे पूरी जानकारी –

यदि आप तगड़ा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो हल्दी की खेती आपका ये सपना पूरा कर देगी। हल्दी की खेती से आपको बहुत अच्छा फायदा हो सकता है।

हल्दी का उपयोग लगभग सभी के घर में होता है, ऐसे में हल्दी मांग कम होने का कोई चांस ही नहीं होता। साथ ही साथ इसका इस्तेमाल बहुत सी दवाएं बनाने में भी होता है। हल्दी से स्वास्थ्य को भी फायदा होता है।

जिससे हल्दी की मांग और भी बढ़ जाती है। तो आइए जानते हैं हल्दी की खेती और उस की उन्नत किस्में।

बुआई का समय

खरीफ में

बुआई का समय- 10 अप्रैल से 15 जून के बीच

फसल अवधि- 210 से 255 दिन


तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई

हल्दी की फसल बलुई दोमट या चिकनी मिट्टी में करने पर अधिक उत्पादन मिल जाता है। वैसे इसकी खेती सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है।जिस खेत का चयन करें उसमें जल निकास की उचित व्यवस्था हों।

फसल के लिए चयन की गई भूमि का पी.एच मान 5 से 7.5 के बीच का होना चाहिए। पहली जुताई मिट्टी पलट हल से करने के बाद 2-3 जुताई हैरों से करके पाटा चलाकर खेत समतल कर ले।


हल्दी की उन्नत किस्में (Best Varieties of Turmeric)

सुगंधम- अवधि 200 से 210 दिन यह 210 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस हल्दी की किस्म के कन्द लाली लिये हुए पीले रंग के लम्बे होते हैं। ताजे कन्दों की औसत उपज 200 से 250 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है।

सोरमा- अवधि 200 से 210 दिन यह हल्दी की किस्म 210 दिन में तैयार हो जाती है। इस किस्म के कंद के अन्दर का रंग नारंगी होता हैं। ताजे कन्दों की औसत उपज 200 से 250 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है।

रोमा- अवधि 250 से 255 दिन यह हल्दी की किस्म 255 दिन में तैयार हो जाती है। इस किस्म की अधिकतम उपज 250-270 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है।

सोनिया- अवधि हल्दी की यह किस्म 200 से 220 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। यह हल्दी की पर्ण धब्बा रोग रोधी किस्म है। इसके ताजे कंदों की औसत उपज 110 से 115 क्विंटल प्रति एकड़ होती है और सूखे कंदों की औसत उपज 18 से 20 क्विंटल प्रति एकड़। हल्दी की इस किस्म में कुरकुमिन की मात्रा 8.4 प्रतिशत होती है।

सगुना- अवधि इस किस्म के कंद मोटे एवं गूदेयुक्त होते हैं। यह किस्म 200 से 220 दिनों में तैयार हो जाती है। इसके ताजे कंदों की औसत उपज 110 से 120 क्विंटल प्रति एकड़ और सूखे कंदों की औसत उपज 25 से 30 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। इसमें 6 % सुगंधित तेल प्राप्त होता है।


हल्दी की खेती मे कंद की मात्रा

हल्दी की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए 6-8 क्विंटल कंद की आवश्यकता होती है।

बीज उपचार

कंदों को 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम 12 % + मेन्कोजेब 63 % डब्ल्यूपी की मात्रा को 1 लीटर पानी के घोल के हिसाब से मिलाकर 10 मिनट डुबोकर उपचारित कर बुवाई करें।

बुआई का तरीका

फसल बुवाई के समय पौधे से पौधे की दूरी 20 सेमी , पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेमी और प्रकंदो को 3 सेमी की गहराई पर बुवाई करें।


उर्वरक व खाद प्रबंधन – हल्दी की खेती

हल्दी की अच्छी उपज के लिए खाद एवं उर्वरको का उपयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करना चाहिए। खेत में 100 क्विंटल प्रति एकर अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद का उपयोग करना चाहिए क्योंकि गोबर की खाद डालने से जमीन अच्छी तरह से भुरभुरी बन जायेगी।

और जो भी रासायनिक उर्वरक दी जायेगी उसका समुचित उपयोग हो सकेगा। बुवाई के समय फसल बुवाई के समय 30 किलोग्राम यूरिया ,200 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट एवं 50 किलोग्राम मयूरेट ऑफ पोटाश प्रति एकर बुआई के समय डाले।

बुवाई के 45 से 50 दिन बाद 40 से 50 दिन की फसल होने पर 1 एकड़ खेत में 35 किलोग्राम यूरिया खाद का इस्तेमाल करे।

बुवाई के 90 से 95 दिन बाद 90 से 100 दिन की फसल होने पर 1 एकड़ खेत में 35 किलोग्राम यूरिया खाद का इस्तेमाल करे।


हल्दी की खेती मे सिंचाई का समय

हल्दी की फसल में 20-25 हल्की सिंचाई की जरूरत पड़ती हैं। गर्मी में 7 दिन के अन्तर पर तथा शीतकाल में 15 दिन के अन्तर पर सिंचाई करनी चाहिए।

फसल की कटाई

हल्दी की खुदाई बीज बुवाई के 9 महीने बाद करे जब पत्तियाँ पीली पड़कर सूखने लगे तब फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। फसल खुदाई के समय खेत में नमी होना जरूरी है।


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