आज हम इस पोस्ट मे जानेंगे की गेहू की मुनाफे वाली खेती कैसे की जाती है। गेहू की खेती सबसे प्रमुख खेती है भारत मे क्योंकि गेहू को मुख्य भोजन के रूप मे प्रयोग किया जाता है, आइए आज जानते है गेहू की खेती के बारे मे विस्तार से –
बुआई का समय
रबी में
बुआई का समय – 1 अक्टूबर से 15 दिसंबर के बीच
फसल अवधि – 150 से 160 दिन
तापमान, मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई
गेहूँ की फसल बुवाई के समय तापमान 18 से 22 डिग्री सेल्सियस और फसल कटाई के समय तापमान 20 से 26 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए । गेंहू की फसल के लिए बलुई दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी वाली मिट्टी का चयन करे।
जिस खेत का चयन करे उसमें जल निकास की उचित व्यवस्था हो । फसल के लिए चयन की गई मिट्टी का पी.एच मान 6 से 8 के बीच का होना चाहिए।
गेहूँ की फसल बुवाई से 15 दिन पहले 1 एकड़ खेत 8 टन सड़ी हुए गोबर की खाद डालकर खेत की 1 जुताई करके सिचाई कर दे । इसके बाद खेत की 3 से 4 जुताई के बाद बीज बुआई करके पट्टा फेर दे ।
उन्नत किस्में ( Varieties )
Shriram Super 111 – अवधि 80 से 85 दिन यह 85 दिन की किस्म है । इसके पौधे की लम्बाई 107 सेमी तक होती है। यह किस्म Brown rust की प्रतिरोधी है।
Shriram Super – 152 अवधि 95 से 97 दिन यह 95 से 97 दिन की किस्म है। इसके पौधे की लम्बाई 102 सेमी होती है।
HD 2967- अवधि 155 से 157 दिन यह लम्बे कद की किस्म है। इसके पौधे की लम्बाई 1 सैंमी होती है । इसके दाने सुनहरे , मध्यम, सख्त और चमकदार होते हैं । यह लगभग 157 दिनों में पक जाती है। यह पत्तों के पीलेपन और भूरेपन से रहित है। इसकी औसत पैदावर 21.5 क्विंटल प्रति एकड़ है ।
HD 2851 – अवधि 125 से 130 दिन यह 130 दिन की किस्म है। इसके पौधे की लम्बाई 80 से 90 सेमी तक होती है। इसके दानो में 11 से 12 % प्रोटीन की मात्रा होती है।
HD 3086 ( PusaGautam ) – अवधि 125 से 130 दिन इस किस्म की औसत पैदावार 23 क्विंटल प्रति एकड़ है । यह पीली और भूरी जंग के प्रतिरोधी है । अच्छे किस्म के बरैड बनाने के सभी गुण / तत्व इस किस्म में मौजूद हैं।
UNNAT PBW 343 – अवधि 150 से 155 दिन यह किस्म सिंचित क्षेत्रों और समय पर रोपाई के लिए उपयुक्त है । पकने के लिए 155 दिनों का समय लेती है । इसकी औसत पैदावार 23.2 क्विंटल प्रति एकड़ है।
करण वंदना ( DBW 187 ) – अवधि अवधि 110 से 120 दिन करण वंदना ( DBW 187 ) पूर्वी उत्तर प्रदेश , बिहार , झारखंड , असम और पश्चिम बंगाल के उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों की सिंचित समय पर बुवाई की जाने वाली नवीनतम गेहूँ की किस्म है।यह पत्तों के झुलसने और उनके अस्वस्थ दशा जैसी महत्त्वपूर्ण बीमारियों के खिलाफ बेहतर प्रतिरोध करता है। बुवाई के 77 दिनों बाद करण वंदना फूल देती है और 120 दिनों बाद परिपक्व होती है । इसकी औसत ऊँचाई 100 सेमी है पैदावार 25 से 27 क्विंटल प्रति एकड़ है
श्रीराम सुपर 303 – अवधि 99 से 100 दिन इस किस्म की पैदावार 28 कुंटल प्रति एकड़ होती है।पोधा की लंबाई 88 सेंटी मीटर तक होती है।
HW – 5207 – अवधि 120 से 130 दिन गेहूं की यह किस्म कम सिचाई में भी भरपूर उत्पादन देती है । यह औसतन 40.76 क्विन्टल प्रति हेक्टेयर उपज देने वाली किस्म है यह लीफ रस्ट व स्टेम रस्ट के प्रतिरोधी किस्म है।
सुजाता – अवधि 120 से 130 दिन गेहूं की यह किस्म काला व भूरा गेरुआ रोग सहनशील है व असिंचित अवस्था के लिये उपयुक्त है यह 130 दिन में पकती है व इसका उत्पादन 13-17 क्विन्टल प्रति हेक्टेयर की दर से होता है।
सोनालिका – अवधि 110 से 120 दिन इस किस्म की अधिकतर देर से बुवाई की जाती है। इसके दाने मोटे होते है और गेरूआ से प्रतिरोधक है । यह 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है । इससे प्रति हेक्टेयर 30 से 35 क्विंटल उपज मिल जाती है।
पूसा तेजस ( HI 8759 ) – अवधि 115 से 125 दिन इस किस्म की बुवाई 10 नवम्बर से 25 नवम्बर तक की जाती है । यह गेरूआ , करनाल बंट और खिरने की समस्या के प्रति अवरोधी किस्म है । इसमें 3 से 5 सिंचाई करनी होती है। यह 115 से 125 दिनों में पककर प्रति हेक्टेयर 65 से 75 क्विंटल पैदावार देती है।
पूसा मंगल ( HI 8713 ) – अवधि 120 से 125 दिन इस किस्म की बुवाई 15 नवम्बर से 25 नवंबर तक की जाती है । इसका दाना हल्का होता है । इसके पौधे की लंबाई 80 से 85 सेंटीमीटर होती है । इसमें 3-4 सिंचाई की जाती है । यह 120 से 125 दिन में पककर 50 से 60 क्विंटल तक पैदावार देती हैं।
पूसा यशस्वी ( HD -3226 ) – अवधि 120 से 130 दिन इस किस्म की बुवाई 5 नवंबर से 25 नवंबर तक कर सकते है । इसकी खेती जम्मू कश्मीर , हिमाचल और उत्तराखंड के लिए उपयुक्त है । यह करनाल बंट , फफूंदी और गलन रोग से प्रतिरोधक हैं । इससे प्रात हेक्टेयर 60 से 80 क्विंटल की उपज ले सकते है।
पूसा अनमोल ( HI 8737 ) – अवधि 125 से 130 दिन यह कठिया गेहूं की किस्म है । इसका दाना आकार में होता है । इसमें पौधा गिरने और खिरने की समस्या नहीं आती है। यह 125 से 130 दिनों में पककर 60-70 क्विंटल तक पैदावार देती है।
बीज की मात्रा
गेहूँ की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए 36 से 40 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
बीज उपचार
गेहूँ की फसल को मृदा और बीज जनित रोगों से बचाव हेतु बीज को कार्बोक्सिन 37.5 % + थाइरम 27.5 % @ 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें।
यदि खेत में दीमक हो तो बचाव हेतु क्लोरपाइरीफॉस 20 % ईसी 4 मिली प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें।
इसके बाद बीज को एजोटोबेक्टर कल्चर 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज एवं पीएसबी कल्चर 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें। बीज को उपचारित करने के बाद छाया में सुखाकर तुरंत बुआई करें।
बुआई का तरीका
गेहूँ की बुवाई 2 तरीके से होती है छिटका विधि से और कतारों में। कतार में बुवाई के समय पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 22 सेमी रखे।
उर्वरक व खाद प्रबंधन – गेहू की खेती
बुवाई के समय
फसल बुवाई के समय खाद की मात्रा मिटटी की जांच के अनुसार डाले । 3 साल में 1 बार मिट्टी की जांच जरूर करवाए । फसल बुवाई के समय 1 एकर खेत में 10 किलोग्राम कार्बोफुरान , 50 किलोग्राम डी ए पी , 50 किलोग्राम पोटाश , 25 किलोग्राम यूरिया , 8 किलोग्राम जायम , का इस्तेमाल करे।
बुवाई के 20 से 25 दिन बाद फसल बुवाई के 20 से 25 दिन बाद 1 एकर खेत में 25 किलोग्राम यूरिया , 8 किलोग्राम जायम 3 किलोग्राम सल्फर का प्रयोग करे।
बुवाई के 45 से 50 दिन बाद फसल बुवाई के 45 से 50 दिन बाद 1 एकर खेत में 25 किलोग्राम यूरिया , 8 किलोग्राम जायम प्रयोग करे।
बुवाई के 60 से 70 दिन बाद फसल बुवाई के 60 से 65 दिन बाद 1 एकर खेत में 1 किलोग्राम NPK 19:19:19 को 100 से 150 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करे।
सिंचाई – गेहू की खेती
गेहूँ की फसल में 6 सिचाई की आवश्कता होती है –
- बुवाई के 20 से 25 दिन बाद गेहूँ की फसल में 20 से 25 दिन पर पहली सिचाई की आवश्कता होती है।
- बुवाई के 45 से 50 दिन बाद गेहूँ की फसल में 45 से 50 दिन पर दूसरी सिचाई की आवश्कता होती है।
- बुवाई के 60 से 70 दिन बाद गेहूँ की फसल में 60 से 65 दिन पर तीसरी सिचाई की आवश्कता होती है।
- बुवाई के 80 से 85 दिन बाद गेहूँ की फसल में 80 से 85 दिन पर चौथी सिचाई की आवश्कता होती है।
- बुवाई के 100 से 110 दिन बाद गेहूँ की फसल में 100 से 105 दिन पर पांचवी सिचाई की आवश्कता होती है।
- बुवाई के 100 से 120 दिन बाद गेहूँ की फसल में 110 से 120 दिन पर छटी सिचाई की आवश्कता होती है।
फसल की कटाई – गेहू की खेती
गेहूं की कटाई का कोई निश्चित समय नहीं है , क्योंकि यह बीज और बुवाई के तरीके पर निर्भर करता है । फिर भी जानते हैं गेंहू की कटाई के सही समय और सावधानियों के बारे में –
- गेंहू की कटाई से पहले बाली को हाथ से मसलकर देखें कि बाली पूरी तरह से पकी है या नहीं।
- गेंहू की कटाई आमतौर पर 15 मार्च से 15 अप्रैल के बीच शुरू हो जाती हैं।
- फसल पकने पर पत्तियां सूखने लगती हैं और बालियां सुनहरी व पीली पड़ जाती हैं।
- किसान भाइयों हाथ से कटाई करने पर दाने में नमी 25 से 30 प्रतिशत होनी चाहिए।
- हाथ से कटाई अच्छी दरातियों से या रीपर बाइंडर मशीन द्वारा करें । गेंहू की कंबाइन हार्वेस्टर से कटाई के समय नमी 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- कटाई के बाद फसल को अच्छी तरह सुखाकर एकत्रित करें।
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