हमारे देश भारत मे रंगीन मक्के की खेती भी की जाती है, इस मक्का को ना सिर्फ खाने के लिए उगाया जाता है बल्कि घरों की सजावट के लिए भी इनका उपयोग किया जाता है। भारत के मिजोरम राज्य में यह खेती की जाती है, इस मक्के को अनाज की रानी भी कहा जाता है।
इस रंगीन मक्के का उपयोग हमारे खाने के लिए तो किया ही जाता है, साथ ही साथ पशुओं के आहार के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। इसमें मैग्नीशियम, पोटेशियम और स्टारच भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो कि हमारे शरीर को स्वस्थ बनाने के साथ-साथ हमारे हृदय को भी स्वस्थ बनाए रखता है।
लाल, नीले, बैगनी और काले रंगों मे मक्का उगाई जाती है
यह खेती हमारे देश में हजारों वर्ष पहले से की जा रही है, रंगीन मक्के की खेती मिजोरम राज्य में एक बड़े तौर पर की जाने वाली खेती है। यह खेती यहां के स्थानीय लोगों द्वारा बहुत लंबे समय से की जाने वाली खेती है, इसमें मक्का लाल, नीले, बैगनी और काले रंगों में उगाया जाता है।
अब क्या आपको पता है कि यह रंग इसमें किन कारणों से होता है, तो हम आपको बता दें कि इस प्रकार की रंगीन मक्का में फेनोलिक और एंथोसाइएनिन तत्व पाए जाते हैं ,जिनकी मौजूदगी के कारण यह अलग-अलग रंगों में उगती है।
इसे पढे – खेती में कुछ नया करने वाले किसानों को मिलेगा सम्मान
रंगीन मक्के की खेती कैसे की जाती है ?
आइए अब आपको हम इस पोस्ट के माध्यम से इस रंगीन मक्के की खेती किस प्रकार करते हैं, उसका पूरा तरीका आपको बात देते हैं।
मक्के की खेती मे तापमान कितना हो
रंगीन मक्के की खेती करने के लिए आपके क्षेत्र का तापमान 20 से 50 डिग्री सेल्सियस तक का होना चाहिए। इन फसलों की पैदावार उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में काफी अच्छी होती है तथा जब भी इनके पौधों की रोपाई की जाती है तब हमें हल्की नमी की जरूरत होती है।
मिट्टी में पानी की निकासी हो
यह फसल किसी भी मिट्टी में उगाई जा सकती है, बस उस मिट्टी में पानी की निकासी होती रहनी चाहिए परंतु यदि आपको इसकी अच्छी पैदावार चाहिए तो इसके लिए सामान्य तौर पर बालू या दोमट मिट्टी बहुत ही अच्छी मानी जाती है। साथ ही साथ उस मिट्टी में लवणों और क्षारीय गुणों कि संतुलित मात्रा भी उपस्थित होनी चाहिए।
रंगीन मक्के की खेती मे रोपाई
जैसा कि आप जानते हैं किसी भी फसल को लगाने से पहले खेतों की जुताई की जाती है, ठीक ऐसे ही इन मक्के के बीजों को बोने से पहले खेतों की अच्छी तरीके से जुताई कर लेनी चाहिए और फिर कुछ समय तक उस खेत को वैसा ही छोड़ देना चाहिए।
साथ ही साथ इसमें आप जैविक गोबर से बनी खाद का इस्तेमाल भी कर सकते हैं, फिर इस खाद के बाद आपको फिर से अपने खेत की जुताई करनी होती है।
उसके बाद आपको मक्के के बीजों को हाथ से या सीडड्रिल के द्वारा अपने खेतों में बो देना है। इसमें प्रत्येक बीज के बीच में 75 सेंटीमीटर तक की दूरी रखनी चाहिए। अगर इसका हिसाब लगाएं तो आप 1 एकड़ में लगभग 22000 पौधों को रोपित कर सकते हैं।
सल्फेट और नाइट्रोजन का छिड़काव
इसके बाद यदि हम छिड़काव कि बात करें तो मक्के में सूक्ष्म पोषक तत्व की कमी हो जाती है, इससे बचाने के लिए आपको समय-समय पर अपनी मक्का में जिंक सल्फेट और नाइट्रोजन का छिड़काव करना होता है।
रंगीन मक्के की खेती मे सिंचाई
जैसा कि हमने आपको उपर बताया कि इसके लिए मिट्टी में नमी होना आवश्यक होता है, इसलिए आप बीजों को बोने से पहले मक्के की फसल के लिए 450 से 660 मिमी पानी की सिंचाई करनी होती है।
अब जैसे ही आप अपने खेतों में सिंचाई का काम खत्म कर देते हैं, उसके कुछ दिनों के बाद आपको बीजों को सीड ड्रिल की सहायता से अपने खेतों में बो देना है।
अब जब आपके पौधे उग जाए और उनमें दाने लगने लगे तब आपको एक बार और अपने खेतों में सिंचाई कर देनी है।
इसके अलावा आप अपनी फसलों मैं उगने वाले खरपतवारों को समय-समय पर निराई – गुड़ाई कि विधि द्वारा साफ करवाते रहना चाहिए, जिससे कि आपकी फसल की पैदावार अच्छी हो सके।
रंगीन मक्के की पैदावार कितनी होती है?
जैसा कि आपने ऊपर देखा कि पौधों में अब दाने आ चुके हैं, इसके बाद अब बारी आती है, कटाई की ।
तो मक्के की कटाई करने के बाद इसे अच्छी तरह से धूप में सुखाया जाता है, उसके बाद इसके दानों को सेलर मशीन द्वारा निकाला जाता है, इसे गुड़ाई करना कहते हैं, इसमें थ्रेसर का इस्तेमाल भी किया जाता है।
अब बारी है पैदावार की तो आप प्रति हेक्टेयर खेत में मक्के की लगभग 35 से 55 क्विंटल की उपज प्राप्त कर सकते हैं, जिनकी बाजारों में 3000 से 4000 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत होती है।
अतः आप इस प्रकार रंगीन मक्के की खेती करके बहुत लाभ कमा सकते हैं।
पढे – टॉप 5 सरकारी ऐप – Top 5 Government Apps
रंगीन मक्के का बाजार मे क्या भाव है ?
रंगीन मक्का की बाजारों में कीमत 3000 से 4000 रुपये प्रति क्विंटल है।
रंगीन मक्का की पैदावार कितनी है ?
रंगीन मक्का की प्रति हेक्टेयर लगभग 35 से 55 क्विंटल उपज है।