WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

गाजर की खेती हो सकती है लाभदायक जाने कैसे ?

गाजर की खेती अगस्त से लेकर अक्टूबर के महीने तक की जा सकती है, गाजर बहुत विटामिन और मिनरल से परीपूर्ण होता है, गाजर का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक है, यहीं कारण से मार्केट मे इस की अच्छी मांग है।

गाजर एक बहुत ही उपयोगी फसल है, यह किसानों के लिए अतिरिक्त आय का जरिया बन जाएगी हालांकि गाजर की बहुत अलग-अलग प्रकार की किस्में भी हैं, जिनकी खेती अगस्त से लेकर नवंबर के माह तक की जा सकती है।


बुआई का समय

रबी में

बुआई का समय – 1 अगस्त से 31 अक्टूबर के बीच

फसल अवधि – 90 से 120 दिन

खरीफ में

बुआई का समय – 1 मार्च से 30 जुलाई के बीच

फसल अवधि- 90 से 120 दिन


तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई

गाजर की फसल के लिए दोमट मिटटी अच्छी मानी जाती है। मिटटी का पी.एच. मान 6.5 के बीच होना चाहिए। खेत की 1 बार जुताई करके 15 दिन पहले 1 एकड़ खेत में 10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद , और 10 किलोग्राम कार्बोफुरान का इस्तेमाल करे। खेत की पलेवा के बाद खेत की 3 से 4 बार गहरी जुताई करके पट्टा फेर दे।


गाजर की उन्नत किस्में ( Varieties )

  • Pusa Yamdagni- अवधि 80 से 120 दिन इसकी जड़ें लम्बी और कम तीखी , नोक दरमियानी , संतरी रंग का गुद्दा होता है, और यह किस्म 80-120 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 80-105 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
  • नैनटिस- अवधि 110 से 120 दिन यह किस्म 110 से 120 दिन में तैयार हो जाती है। इस किस्म की गाजर मुलायम , मीठी होती है। इस किस्म की प्रति एकड़ पैदावार 100 क्विंटल तक होती है।
  • गाजर नं 29- अवधि 90 से 110 दिन इस किस्म की जड़े लम्बी हल्की लाल रंग में होती है। इससे प्रति हेक्टेयर 200 से 250 क्विंटल गाजर की उपज मिल जाती है।
  • पूसा रुधिरा– अवधि QUT 90 से 110 दिन इस किस्म की बुवाई सितंबर – अक्टूबर माह में कर सकते है। इस किस्म की प्रति एकड़ पैदावार 100 क्विंटल तक होती है।
  • हिसार मधुर- अवधि 90 से 120 दिन इस किस्म की गाजर की लम्बाई 25 से 30 सेंटीमीटर तक होती है । यह किस्म गहरे लाल रंग की होती है । इस किस्म में शाखाएँ नही निकलती है। इस किस्म की प्रति पैदावार 100 से 120 क्विंटल तक होती है।
  • Pusa Kesar- अवधि 80 से 100 दिन यह देशी किस्म की गाजर है । यह किस्म 80-100 दिनों में तैयार हो जाती है। इस किस्म की प्रति एकड़ पैदावार 100 क्विंटल तक हो जाती है।
  • पूसा वसुधा- अवधि 80 से 90 दिन यह किस्म 80 से 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है यह मीठी स्वाद वाली दिखने में लाल रंग की संकर किस्म है । इस किस्म की प्रति एकड़ पैदावार 150 से 180 क्विंटल तक होती है।
  • पूसा आंसिता- अवधि 90 से 110 दिन यह काले रंग वाली किस्म तथा मैदानी क्षेत्रों में इसकी बुवाई 10 सितम्बर से कर सकते है । इस किस्म की प्रति एकड़ पैदावार 100 क्विंटल तक होती है।
  • Pusa Meghalil- अवधि गुण 90 से 100 दिन यह किस्म नारंगी रंग के गूदे वाली होती है । इस किस्म में कैरोटीन की अधिक मात्रा पाई जाती है । इस किस्म की प्रति एकड़ पैदावार 80 से 100 क्विंटल तक होती है।
  • श्रीराम देसी रेड- अवधि गुण 90 से 100 दिन यह 90 से 100 दिन में तैयार होने वाली किस्म है । इसकी लम्बाई 20 से 25 सेमी होती है। इस किस्म की प्रति एकड़ पैदावार 80 से 100 क्विंटल तक होती है।
  • चैंटनी- अवधि गुण 75 से 90 दिन यह किस्म 75 से 90 दिन में तैयार हो जाती है यह किस्म दिखने में गहरे लाल नारंगी रंग की होती है। इस किस्म की प्रति एकड़ पैदावार 80 से 100 क्विंटल तक होती है।
  • पूसा वृष्टि- अवधि गुण 85 से 90 दिन यह किस्म 85 से 90 दिन में तैयार हो जाती है। इस किस्म के फल का वजन 150 से 200 ग्राम तक होता है । इस किस्म की प्रति एकड़ पैदावार 100 से 120 क्विंटल तक हो जाती है। इस किस्म की बुवाई जुलाई के आखिरी सप्ताह तक की जा सकती है। यह किस्म अधिक गर्मी और उमस सहने शक्षम है।

गाजर की खेती मे बीज की मात्रा

गाजर की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए देसी बीज की मात्रा 2.5 से 3 किलोग्राम और हाइब्रिड बीज 800 से 1000 ग्राम की आवश्यकता होती है।

बीज उपचार

हाइब्रिड बीज पहले से उपचारित आते है । इनकी सीधी बुवाई की जा सकती है। अगर घर पर तैयार किया हुआ बीज की बुवाई करते है तो इसे कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम + थिरम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित कर ले। इसके साथ ही बुवाई से पहले बीजों को 12 से 24 घंटे पानी में भिगोकर रखें , इससे बीजों की अंकुरण क्षमता बढ़ती है।

बुआई का तरीका

गाजर की बुवाई मेड बनाकर बुवाई करे। मेड़ों पर गाजर की बुवाई करने से जड़ अधिक लम्बी होती व साथ ही खुदाई के समय आसानी से निकाली जा सकती है ।

फसल बुवाई के समय लाइन से लाइन की दूरी 25-30 सेमी रखें और बीज से बीज की दूरी 6-8 सेमी रखें। बीज को 1.5 सेमी की गहराई पर लगाए। बीज लगाते समय बीजों को 4 गुना रेत में मिलाकर बोए।


गाजर की खेती मे उर्वरक व खाद प्रबंधन

गाजर की फसल में देसी खाद सबसे ज़्यादा फायदा देते हैं। इनसे न ही केवल मिटटी की गुणवत्ता बढ़ती है, बल्कि नेमाटोड का भी असर कम होता है।


बुवाई के समय

गाजर में खाद एवं उर्वरकों का उपयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करना चाहिए । सामान्तया खेत की तैयारी के समय 100 क्विंटल / एकड़ की दर से पूर्ण रूप से सड़ी गोबर की खाद खेत में मिला देना चाहिए।

गाजर की सामान्य उर्वरकता वाली मृदाओं में पैदावार लेने के लिए डीएपी 50 किलोग्राम एवं म्यूरेट ऑफ पोटाश 30 किलोग्राम प्रति एकड़ बुआई के पूर्व खेत मे मिलाएं। यूरिया 25 किलोग्राम प्रति एकड़ बुआई के 20 दिन और यूरिया 25 किलोग्राम प्रति एकड़।

बुआई के 35-40 दिन बाद फसल विरलीकरण व निराई गुड़ाई के बाद छिटक कर सिंचाई कर देनी चाहिए। यदि मृदा में ज़िंक की कमी हो तो 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति एकड़ बुआई के पूर्व खेत की तैयारी के समय देवें।

बुवाई के 45 से 50 दिन बाद- गाजर की फसल बुवाई के 45 से 50 दिन बाद 1 एकड़ खेत में 1 किलोग्राम एन.पी.के. ( 19:19:19 ) , और 30 किलोग्राम यूरिया खाद का इस्तेमाल करे।


गाजर की खेती मे सिंचाई

गाजर की फसल में अगर बुवाई के समय नमी की कमी है तो बुवाई के तुरंत बाद सिंचाई करे। फसल में नमी के अनुसार 10 से 15 दिन पर सिंचाई करते रहे।

फसल की खुदाई

गाजर की खुदाई तब करे जब जड़ो का ऊपर का भाग 25 से 30 सेमी मोटा हो जाए । वैसे गाजर की खुदाई 100 से 120 दिन पर शुरू हो जाती है । गाजर खुदाई से पहले खेत की हलकी सिंचाई जरूर करे।


इन्हे भी पढे : –


"हम एक टीम हैं, जो आपके लिए अलग-अलग स्रोतों से मंडी भाव और कृषि समाचार एकत्रित कर आप सभी किसान भाइयों तक पहुँचाती है...."

Leave a Comment