इस पोस्ट मे हम जिमिकंद ( सुरन ) की खेती के बारे मे जानेंगे की कैसे कम लागत मे हम सूरन की खेती कर सकते है, ओर अधिक मुनाफा कमा सकते है –
बुआई का समय
खरीफ में
बुआई का समय – 10 मार्च से 31 जुलाई के बीच
फसल अवधि – 200 से 250 दिन
तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई
जिमीकंद की फसल के लिए बलुए दोमट मिटटी अच्छी मानी जाती है। खेत में जल निकास की अच्छी व्यवस्था रखे। इस फसल के लिए मिटटी का पी.एच. मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए।
खेत की 2 जुताई गहरी करे उसके बाद 1 एकड़ खेत में 8 से 10 टन गोबर की खाद डालकर खेत की 3 से 4 बार रोटावेटर से अच्छे से जुताई करके पाटा लगाकर खेत को समतल कर दे।
जिमिकंद की उन्नत किस्में ( Varieties )
सूरन की उन्नत किस्मे – अवधि 200 से 250 दिन गजेन्द्र , श्री पद्मा ( एम 15 ) , संतरागाछी , कोववयूर
बीज की मात्रा – जिमिकंद की खेती
सूरन की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए यदि 250 ग्राम का कंद बोए तो 40 से 50 क्विंटल कंद लग जाएगा अगर 500 ग्राम का कंद बोए तो 70 से 80 क्विंटल बीज लग जाएगा और प्रत्येक कटे हुए कंद में कम से कम दो आंखे होनी चाहिए।
बीज उपचार
सूरन के बीज को बुवाई से पहले उपचारित जरूर करे। बीज उपचार करने के लिए 1 लीटर पानी में 2 ग्राम Ridomil Gold (Metalaxy | 4 % + Mancozeb 64 %) और 2 मिली क्लोरपाइरीफॉस 20 ई सी के घोल में कंदो को 20 से 25 मिनट के लिए डुबोकर रखे। इसके बाद बुवाई करे।
बुआई का तरीका
सूरन की बुवाई के समय पौधे से पौधे की दूरी 75 सैमी रखे। बीज की रोपाई नालियों में करे प्रत्येक नालियों के बीच दो से ढाई फिट की दूरी होनी चाहिए।
उर्वरक व खाद प्रबंधन – जिमिकंद की खेती
बुवाई के समय सूरन की बुवाई से पहले 1 एकड़ खेत में 8 से 10 टन गोबर की खाद का इस्तेमाल करे। फसल बुवाई के समय 1 एकड़ खेत में 50 किलोग्राम DAP , और 50 किलोग्राम पोटास , 10 किलोग्राम सल्फर , 25 किलोग्राम मैग्नीसियम , 5 किलोग्राम बोरोन का इस्तेमाल करे।
बुवाई के 30 से 35 दिन बाद 30 से 35 दिन की फसल में 1 एकड़ खेत में 30 किलोग्राम यूरिया खाद का इस्तेमाल करे।
बुवाई के 60 से 70 दिन बाद 60 से 70 दिन की फसल में 1 एकड़ खेत में 30 किलोग्राम यूरिया खाद का इस्तेमाल करे।
बुवाई के 100 से 120 दिन बाद 100 से 120 दिन की फसल में 1 एकड़ खेत में 40 किलोग्राम यूरिया खाद का इस्तेमाल करे।
जिमिकंद की खेती मे सिंचाई
फसल बुवाई के समय अगर खेत में नमी की कमी है तो बुवाई के तुरंत बाद सिचाई करे। इस फसल को ज्यादा सिचाई की जरुरत होती है। फसल में 4 से 5 दिन के अंतराल पर ड्रिप से सिचाई करते रहे।
फसल की खुदाई
सूरन की फसल की खुदाई बीज रोपाई के लगभग 6 से 8 महीने बाद शुरू हो जाती है। इसके फल पकने पर पौधों के नीचे पत्तियां सूखकर गिरने लगती हैं। इसी समय कंदो की खुद लेनी चाहिए।
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