मुली की खेती कर कमा सकते है कम समय मे लाखों

मूली एक खाद्य जड़ों वाली सब्जी है, यह एक जल्दी उगने वाली और सदाबहार फसल है। इसकी खाद्य जड़ें विभिन्न रंगो जैसे सफेद से लाल रंग की होती हैं। मुली की खेती पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, कर्नाटका, पंजाब और आसाम राज्य मे ज्यादातर की जाती हैं।

मूली विटामिन B6, कैल्शियम, कॉपर, मैग्नीश्यिम और रिबोफलेविन का मुख्य स्त्रोत है। इसमें एसकॉर्बिक एसिड, फॉलिक एसिड और पोटाश्यिम भी भरपूर मात्रा में होता है।

बुआई का समय

खरीफ में

बुआई का समय – 1 मई से 31 अगस्त के बीच

फसल अवधि – 45 से 60 दिन

रबी में

बुआई का समय – 1 सितंबर से 30 दिसंबर के बीच

फसल अवधि – 45 से 60 दिन

जायद में

बुआई का समय – 1 फ़रवरी से 30 अप्रैल के बीच

फसल अवधि – 45 से 60 दिन


तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई

मूली की फसल के लिए रेतीली दोमट मिट्टी जिसका पी.एच स्तर 5.5 से 6.8 तक हो अच्छी रहती है । जिस खेत का चयन करे उसमें जल निकास की उचित व्यवस्था हो ।

सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से 1 बार जुताई कर दे जिससे खेत में मौजूद खरपतवार और कीट नष्ट हो जाए । अब देशी हल या कल्टीवेटर से 1 या 2 बार गहरी जुताई कर दे । इसके बाद खेत में प्रति एकड़ 5 टन सड़ी हुई गोबर की खाद और 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा डाले ।

खाद डालने के बाद खेत की 1 बार मिटटी पलटने वाले हल से जुताई करके पाटा लगा दे । इसके बाद खेत में कल्टीवेटर द्वारा 2 बार आडी – तिरछी गहरी जुताई करके खेत पर पाटा लगा दे जिससे खेत समतल हो जाए ।


मुली की उन्नत किस्में ( Varieties )

  • Pusa chetki – अवधि 45 से 50 दिन यह किस्म अप्रैल – अगस्त में बिजाई के लिए अनुकूल है । यह जल्दी पकने वाली किस्म पंजाब में बीज उत्पादन के लिए खेती करने के लिए अनुकूल है । इसकी जड़ें नर्म , बर्फ जैसी सफेद और मध्यम लंबी होती है । इसकी औसतन पैदावार 105 क्विंटल प्रति एकड़ और बीजों की उपज 4.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है ।
  • White Icicle – अवधि 35 से 45 दिन यह दरमियाने कद की यूरोपियन किस्म है । यह 35-45 दिनों में पुटाई के लिए तैयार हो जाती है । इसका गुद्दा सफेद , रसीला , करारा और सौम्य होता है ।
  • Ivory White – अवधि 45 से 50 दिन यह 45 से 50 दिन में तैयार होने वाली किस्म है इसके फल का वजन 250 से 400 ग्राम होता है । इसकी लम्बाई 10 से 12 इंच होती है । इसकी बुवाई रबी और खरीफ दोनों मौसम में की जा सकती है ।
  • Shriram Sweta – अवधि 45 से 50 दिन यह 45 से 50 दिन में तैयार होने वाली किस्म है इसके फल का वजन 250 से 300 ग्राम होता है । इसकी लम्बाई 30 से 40 सेमी होती है । इसकी बुवाई का सही समय मार्च से जुलाई तक है .
  • जापानी वाइट मूली – अवधि यह किस्म जापान से ताल्लुक रखती है , जिसे भारत में मैदानी क्षेत्रों में नवंबर और दिसंबर महीने में उगाया जा सकता है । यह किस्म प्रति एकड़ जमीन में लगभग 160 क्विंटल की पैदावार देती है ।
  • आर्का निशांत – अवधि 50 से 55 दिन 50 से 55 दिनों में तैयार होने वाली मूली की यह किस्म दिखने में गुलाबी और लंबी होती है ।
  • कल्याणपुर 1 – अवधि 40 से 45 दिन मूली की यह किस्म बुवाई के 40 से 45 दिनों बाद तैयार हो जाती है । इसकी जड़ें सफेद , चिकनी मुलायम और मध्यम लंबी होती हैं । इसकी औसतन पैदावार 200 से 215 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है ।
  • सा रेशमी 1 – अवधि 40 से 50 दिन इसकी जड़ें 30 से 35 सेंटीमीटर लंबी , मध्यम मोटाई वाली और हल्की तीखी होती हैं । यह किस्म बुवाई के 40 से 50 दिनों में तैयार हो जाती है । इसकी औसतन उपज 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है ।

मुली की खेती मे बीज की मात्रा

मूली की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए 2 से 2.5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है ।

बीज उपचार

हाइब्रिड बीज पहले से उपचारित आते है । इनकी सीधी बुवाई की जा सकती है । अगर घर पर तैयार किया हुआ बीज की बुवाई करते है तो इसे कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम + थिरम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित कर ले ।

बुआई का तरीका

मूली की फसल बुवाई के समय पौधे से पौधे की दूरी 5 सेमी और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 35 से 45 सेमी रखे । अच्छी पैदावार के लिए बीज को 1.5 सेमी की गहराई पर लगाए ।


मुली की खेती मे उर्वरक व खाद प्रबंधन

मूली की फसल बुवाई से पहले 1 एकड़ खेत में 30 किलोग्राम डी ऐ पी , 50 किलोग्राम पोटाश , 25 किलोग्राम यूरिया , 25 किलोग्राम कैल्शियम नाइट्रेट , 10 किलोग्राम कार्बोफुरान का इस्तेमाल करे ।

फसल 25 से 30 दिन की होने पर 1 एकड़ खेत में 30 किलोग्राम यूरिया खाद का इस्तेमाल करे ।


मुली की खेती मे सिंचाई

बरसात में सिंचाई की जरुरत नहीं होती है । फसल में नमी के अनुसार 8 से 10 दिन पर सिंचाई करे । यदि खेत में बुवाई के समय नमी कम हो तो बुवाई के तुरंत बाद सिंचाई करे ।

फसल की कटाई

मूली की फसल में खुदाई किस्मो के आधार पर 35 से 40 दिन पर शुरू हो जाती है । कंद के आकार के अनुसार खुदाई करे ।



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