मध्यप्रदेश में 300 किलो प्याज बिका सिर्फ 2 रुपए में

मध्यप्रदेश में प्याज के दाम इतना कम मिल रहा है, कि खेती की लागत तो दूर ट्रांसपोर्ट का खर्च तक नहीं निकल रहा कम रेट किसानों की आंखों में आंसू ला रहे हैं। शाजापुर की मंडी में तो किसान से 300 किलो प्याज सिर्फ 2 रुपए में खरीदा गया । आइये जानते है, इसके बारे मे पूरी जानकारी……

कैसे बचे किसान के पास सिर्फ 2 रुपए

देवास जिले के ग्राम भुदानी का किसान जयराम 22 सितंबर 2022 को 6 कट्‌टे प्याज बेचने पाहुचे थे। इन कट्‌टों में 300 किलो प्याज था।

इन प्याज के कट्टो को 80 पैसे से सवा रुपए प्रति किलो तक खरीदा गया। इस तरह कुल कीमत 330 रुपए बनी, लेकिन ट्रांसपोर्ट और हम्माली/तुलाई का खर्च निकालने के बाद किसान जयराम को सिर्फ 2 रुपए का ही भुगतान किया गया।

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कांग्रेस के विधायक ने क्या कहा –

खरगोन से कांग्रेस के विधायक रवि जोशी ने भी सरकार को घेरा है, उन्होंने कहा कि – मध्यप्रदेश का किसान प्याज लेकर मंडी में बेचने गया।

सारा खर्चा काटने के बाद उसके पास बचे केवल 2 रुपए शिवराज जी, किसानों के बारे में सोचिए ।

भुगतान के पीछे व्यापारी का तर्क क्या है ?

शाजापुर के प्याज व्यापारी से बात की गई, उसने बताया, किसान जयराम जो प्याज लेकर आया, उसकी क्वॉलिटी ठीक नहीं थी। बावजूद उसे 80 पैसे से सवा रुपए किलो तक खरीदा।

अगर प्याज अच्छी क्वालिटी का होता तो 11 रुपए किलो तक खरीदा जाता। जयराम छह कट्‌टों में 300 किलो प्याज लेकर आया था।

उसने एडवांस में 280 रुपए भाड़े के ले लिए थे, हम्माली और तुलाई का खर्च निकालकर बाकी पेमेंट जयराम को दिया है।

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प्याज के दाम बाजार मे इतने अधिक क्यो है ?

मध्यप्रदेश की मंडियों में किसानों को अच्छी क्वॉलिटी के प्याज के अधिकतम रेट 11 से 12 रुपए मिल रहे हैं, जबकि मीडियम क्वॉलिटी का प्याज 5 से 10 और सबसे खराब क्वॉलिटी का प्याज 4 रुपए किलो से कम में खरीदा जा रहा है।

दूसरी ओर, आम लोगों को प्याज 20 से 25 रुपए प्रतिकिलो तक खाने को मिल रहा है। इसे लेकर भारतीय किसान संघ के नेता मुकेश पाटीदार ने बताया, मंडियों में मनमाने रेट दिए जा रहे हैं।

व्यापारी मंडी टैक्स, कमीशन, हम्माली और तुलाई का खर्च किसान से लेते हैं। वहीं, बिचौलिये भी मंडियों में सक्रिय हैं।

इस कारण किसानों को रेट कम मिलते हैं, और आम लोगों को महंगा खाने को मिल रहा है। इस पर लगाम लगाई जानी चाहिए।

किसान की लागत तक नहीं निकल रही

मंडियों में प्याज के दाम नहीं मिलने से मुनाफा तो दूर की बात है, किसानों की लागत तक नहीं निकल पा रही है।

किसान को प्याज को उगाने में कम से कम 4- 5 महीने का समय लगता है, वही किसानों की मेहनत को हटा भी दें तो इस पर कई तरह के खर्च आते हैं।

बीज, खाद, सिंचाई के खर्च को जोड़ लिया जाए तो उस हिसाब से किसानों की आमदनी ना के बराबर है, आमदनी क्या कहे वो नुकसान उठा रहा है।

जाने कृषि मंत्री क्या बोले थे

इसी महीने 8 सितंबर को शिवराज सरकार में कृषि मंत्री कमल पटेल और धार जिले के सुनील पाटीदार नाम किसान का ऑडियो वायरल हो चुका है।

जिसमें कृषि मंत्री बोले थे कि – ऐसी फसल उगाई क्यों, जिसके रेट कम मिलें। 

इसके अलावा भी मध्यप्रदेश के कई जिलों में प्याज और लहसुन के रेट कम मिलने के कारण किसान प्रदर्शन कर चुके हैं।

कैसे होगी किसानों की आय दोगुनी ?

किसान हताश हैं, प्याज के सही दाम नहीं मिल रहे किसानों पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है।

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि – जब किसानों को उनकी फसल का सही दाम नहीं मिलेगा तो उनकी आय दोगुनी कैसे होगी।

सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन शाजापुर से आए इस मामले ने सरकार के दावों की पोल खोल दी है।

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