देश में पौष्टिक तत्वों से भरपूर मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि कुपोषण की समस्या से निपटा जा सके। इसलिए सरकार द्वारा किसानों को मोटे अनाज की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। किसानों को इन फसलों की खेती के लिए सरकार द्वारा अनुदान सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इस श्रृंखला में मध्य प्रदेश सरकार राज्य के किसानों को रागी (मढिया) के बीजों का निःशुल्क वितरण कर रही है।
किसानों को फ्री में दिये रहे यह बीज
मध्यप्रदेश कृषि विभाग द्वारा आदिवासी बाहुल्य दूरस्थ ग्रामों के किसानों को मिलेट मिशन के अंतर्गत मोटे अनाजों के बीज मिनीकिट वितरित किया जा रहा है। इसी सरगर्मी में बालाघाट जिले के विकासखंड परसवाड़ा के ग्रामों कोरजा, गरारीरबहेरा, सांडा, मजगांव आदि ग्रामों में बसे कृषकों और अनुसूचित जनजाति के किसानों को नि:शुल्क रागी (मढिया) के बीज मिनीकिट प्रदान किए गए हैं।
किसानों को बीज मिनीकिट के साथ-साथ रागी के अधिक उत्पादन के लिए मार्गदर्शन भी प्रदान किया जा रहा है।
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पोषक तत्वों से भरपूर है रागी के बीज
रागी एक सुपर फूड है, क्योंकि यह जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसमे कई प्रकार के अच्छे गुण होते है, आइए जानते है, इसके फायदे….
- यह एक होल ग्रेन अनाज है, जिसमें ग्लूटेन नहीं होता है।
- रागी में कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है।
- इसमें विटामिन-डी भी पाया जाता है, जो कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाता है।
- रागी में पॉलीफेनोल्स और डाइटरी फाइबर होते हैं, और इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होने के कारण यह डायबिटीज के मरीजों के लिए भी अच्छा विकल्प है।
- रागी में आयरन की अच्छी मात्रा होने के कारण यह हीमोग्लोबिन को बढ़ाती है।
- यह एंटी-एजिंग भी है।
- रागी श्री अन्न के रूप में एक ऊर्जा-दायक, पोषण से भरपूर और स्वास्थ्य के लिए सहायक खाद्य है।
रागी की नई और उन्नत विकसित किस्में
रागी की नई और उन्नत विकसित किस्में कौन सी हैं यह जानते है, फसलों की उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा विभिन्न फसलों की नई-नई किस्में विकसित की जा रही हैं, जिससे किसानों की आय बढ़ सके। इस श्रृंखला में देश में स्थित विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों ने रागी के कई विशेष किस्में विकसित की हैं, जो नीचे दी गई है….
- फुले कसारी (KOPAN 942),
- गोसाईगाँव मारुआ धन,
- बिरसा मारुआ-3,
- दापोली-3, एटीएल-1,
- छत्तीसगढ़ी -3, सीएफ़एमवी-3 (एक विजय),
- गौतमी, वीएल-382, वीएल-378,
- सीएफएमवी-1, सीएफएमवी-1 (इंद्रावती),
- वीएल-379, दापोली-2,
- वीएल-376,
- इंदिरा रागी-1, ओईबी 532 आदि।
रागी के बारे मे अन्य जानकारी
यह फिंगर बाजरा, अफ्रीकन रागी, लाल बाजरा आदि नामों से भी पुकारी जाती है। यह सबसे पुरानी अनाज की फसल है, जो घरेलू स्तर पर उपयोग होती है। इसकी मूल उत्पत्ति इथियोपिया के ऊचे भूमि में हुई थी और इसे भारत में लगभग 4000 साल पहले लाए गए थे।
सूखे मौसम के लिए भी बेस्ट
इसे सूखे मौसम में उगाया जा सकता है, यह तीव्र सूखे को भी सहन कर सकती है और ऊची भूमि वाले क्षेत्रों में भी उगाई जा सकती है। यह तेजी से पकने वाली फसल है और इसे 65 दिनों में काटा जा सकता है। इसे आसानी से पूरे साल उगाया जा सकता है।
प्रोटीन और खनिजों की अधिक मात्रा
इसमें सभी बाजरे वाली फसलों की तुलना में प्रोटीन और खनिजों की अधिक मात्रा होती है। इसमें महत्वपूर्ण अमिनो एसिड्स भी पाए जाते हैं। इसमें कैल्शियम (344 मिलीग्राम) और पोटाशियम (408 मिलीग्राम) की अच्छी मात्रा होती है। हीमोग्लोबिन की कमी वाले व्यक्ति के लिए यह बहुत लाभदायक है, क्योंकि इसमें लोह तत्वों की प्रचुरता होती है।
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