आलू के खेती में भारत का विश्व भर में तीसरा स्थान है, आलू एक जमीन के अंदर उगाई जानी वाली सब्जी है, जिसको भारत के काफी लोग पसंद करते हैं, क्योंकि आलू को लगभग सभी प्रकार की सब्जियों के साथ बनाया जा सकता है, आलू का उपयोग सब्जी के रूप में सबसे ज्यादा होता है।
आलू के अंदर पानी की मात्रा सबसे ज्यादा पाई जाती है. इसके अलावा विटामिन सी, बी, फास्फोरस और आयरन, कैल्शियम, मैंगनीज, जैसे तत्व भी पाए जाते हैं। आलू का उपयोग चिप्स, पापड़, फ्रेंच फ्राइज, वड़ापाव, चाट, आलू भरी कचौड़ी, समोसा, टिक्की और चोखा बनाने मे भी किया जाता है।
बुआई का समय
रबी में
बुआई का समय- 1 सितंबर से 30 नवंबर के बीच
फसल अवधि- 80 से 140 दिन
तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई
आलू की फसल बुवाई के समय तापमान 15 से 25 डिग्री सेल्सियस और फसल खुदाई के समय 14 से 20 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए।
आलू की फसल बुवाई के 25 दिन पहले 1 एकर खेत में 2.5 किलोग्राम ट्रिकोडेर्मा, 8 से 10 किलोग्राम कार्बोफुरान (carbofuron) और 8 से 10 टन गोबर की खाद डालकर खेत की 1 जुताई करे।
इसके बाद पलेवा कर दे। पलेवा के बाद 3 से 4 बाद खेत की अच्छी से जुताई करके पट्टा फेर दे। इस जुताई से के समय 1 एकड़ खेत में 100 किलोग्राम पोटाश का इस्तेमाल करे।
आलू की उन्नत किस्में ( Varieties )
कुफरी चन्द्र मुखी- अवधि 80 से 90 दिन यह किस्म 80-90 दिन में तैयार हो जाती है। फसल उपज 200-250 प्रति हैक्टेयर प्राप्त होती है ।
कुफरी सिंदूरी- अवधि 120 से 140 दिन यह किस्म 120 से 140 दिन में तैयार हो जाती है । 300-400 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उपज प्राप्त होती है।
कुफरी अशोक P 376J- अवधि 70 से 75 दिन इस किस्म की फसल 75 दिनों की अवधि की होती है। उपज 23-28 टन प्रति हैक्टेयर है।
कुफरी पुखराज- अवधि 70 से 90 दिन इसके पौधे लंबे और तने संख्या में कम और दरमियाने मोटे होते हैं। आलू सफेद , बड़े , गोलाकार और नर्म छिल्के वाले होते है, यह किस्म 70-90 दिनों में पकती है। इसकी औसतन पैदावार 130 क्विंटल प्रति एकड़ है। यह अगेती झुलस रोग की रोधक किस्म है और नए उत्पाद बनाने के लिए उचित नहीं है।
कुफरी चिप्सोना 2- अवधि 90 से 100 दिन इस किस्म का आलू सफेद , दरमियाने आकार के , गोलाकार , अंडाकार और नर्म होते हैं। इसकी औसतन पैदावार 140 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह पिछेती झुलस रोग की रोधक किस्म है। यह किस्म चिपस और फरेंच फ्राइज़ बनाने के लिए उचित है।
कुफरी कंचन- अवधि इस किस्म की बुवाई उत्तर – बंगाल की पहाड़ियों और सिक्किम में अधिक होती है। इससे प्रति हेक्टेयर 250 से 300 क्विंटल उपज मिल जाती है।
कुफरी गिरधारी- अवधि यह किस्म भारत के पहाड़ी क्षेत्रों के लिए विकसित की गई है। ये पछेती झुलसा रोग से प्रतिरोधी किस्म है। इससे प्रति हेक्टेयर 300 से 350 क्विंटल उपज मिल जाती है।
कुफरी गरिमा- अवधि इस किस्म की बुवाई उत्तर प्रदेश , बिहार , पश्चिम बंगाल में अधिक होती है। ये लम्बे समय तक स्टोर की जा सकती है इससे प्रति हेक्टेयर 300 से 350 क्विंटल उपज मिल जाती है।
कुफरी बादशाह- अवधि ये किस्म उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों के लिए विकसित की गई है। यह अगेती और पछेती झुलसा रोग से प्रतिरोधी है। प्रति हैक्टेयर 300 से 350 क्विंटल उपज मिल जाती है।
आलू की खेती मे बीज की मात्रा
आलू की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए मध्यम ( 40 से 50 ग्राम ) आकार के बीज लगाने से 1 एकड़ खेत में में 13 से 15 क्विंटल और छोटे आकार के लिए 6 से 8 क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है।
बीज उपचार
आलू की बुवाई के लिए सेहतमंद आलू का चयन करे । निसार पहले आलुओं को कोल्ड स्टोर से निकालकर 1-2 सप्ताह के लिए छांव वाले स्थान पर रखें ताकि वे अंकुरित हो जायें।
आलू में काली रूसी रोग की रोकथाम के लिए आलू की बुआई के पूर्व बीज को थाईफलूजामाइड़ 24 % एससी 2.5 मिली प्रति 10 किलोग्राम बीज या कार्बोक्सिन 37.5 % + थाइरम 37.5 % डब्ल्यूएस 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम आलू बीज की दर से बीजोपचार करें।
बुआई का तरीका
आलू की बुवाई के समय पौधे से पौधे की दूरी 20 सेमी और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 55 – 60 सेमी रखे। बीज को 8 से 10 सेमी की गहराई पर बोए।
आलू की खेती मे उर्वरक व खाद प्रबंधन
बुवाई के समय आलू की फसल बुवाई के समय 1 एकड़ खेत में 100 किलोग्राम डी ऐ पी ( DAP ) , 50 किलोग्राम यूरिया ( Urea ) , 100 किलोग्राम पोटाश ( Potash ) , 10 किलोग्राम जिंक सलफेट ( Zinc Sulphate ) , 200 किलोग्राम एसएसपी , का इस्तेमाल करे।
बुआई से 10 से 15 दिन बाद आलू की फसल बुवाई के 10 से 15 बाद 1 एकड़ खेत में 25 किलोग्राम कैल्शियम नाइट्रेट और 8 किलोग्राम जायम का इस्तेमाल करे।
बुवाई के 21 से 25 दिन बाद आलू की फसल बुवाई के 21 से 25 दिन बाद 1 एकड़ खेत में 50 किलोग्राम यूरिया का इस्तेमाल करे।
बुवाई के 25 से 30 दिन बाद आलू की फसल बुवाई के 25 से 30 दिन बाद 1 एकड़ खेत में 1 किलोग्राम NPK 20:20:20 को 100 से 150 लीटर पानी में मिलाकर पोधो पर स्प्रे करे।
बुवाई के 50 से 55 दिन बाद आलू की फसल बुवाई के 50 से 55 दिन बाद 1 एकड़ खेत में 1 किलोग्राम NPK 0:52:34 और 250 ग्राम बोरोन , 250 मिली Dhanzayam Gold को 100 से 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करे।
आलू की खेती मे सिंचाई
आलू में पहली सिंचाई बुवाई के एक सप्ताह बाद करनी चाहिये और उसके बाद प्रत्येक 8 से 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिये । ध्यान यह रखा जाना चाहिये , कि प्रत्येक सिंचाई में पानी आधी मेड़ तक ही देना चाहिये।
फसल की खुदाई
आलू की खुदाई का सही समय और खुदाई के समय ध्यान में रखने योग्य टिप्स …..
- आलू की बुवाई के 70 से 80 दिनों बाद आलू की खुदाई की जा सकती है।
- फसल से अधिक पैदावार लेने के लिए आलू खुदाई का कार्य पौधो के पीले होने के बाद शुरू करें।
- आलू की खुदाई करने के 15 से 20 खेत में सिंचाई का कार्य बंद कर दें।
- खुदाई के बाद आलू के कंदों को 1 से 2 दिनों तक खुली हवा में रखे इससे कंदों के छिलके कड़े हो जाएंगे।
- कंदों को आकार के अनुसार अलग – अलग करके कट्टो में भरकर शीतगृह में भंडारण करें ।
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