जैविक पीड़कनाशक: आपकी फसलों की सुरक्षा का रास्ता

भारत में वर्तमान में खरीफ़ फसलों की बुआई का समय चल रहा है और जैविक पीड़कनाशक (organic pesticides) दवाओं का उपयोग इस संदर्भ में महत्वपूर्ण हो रहा है। ख़रीफ़ फसलों में आमतौर पर कई प्रकार के कीट और रोग पाए जाते हैं जिनके कारण फसलों को हानि होती है।

इसके साथ ही, विभिन्न रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग से फसलों की खर्च में वृद्धि होती है। इस परिस्थिति में, किसान जैविक पीड़कनाशकों का उपयोग करके अपनी फसलों को विभिन्न बीमारियों से सुरक्षित रख सकते हैं।

इसे पढे –मोबाइल सोलर प्लांट: से फसलों की सिंचाई करें

जैविक पीड़कनाशक जैसे

  • ट्राईकोडर्मा
  • मेटाराइजियम
  • बैवेरिया
  • ट्राईकोकार्ड और एनपीवी दलहनी
  • तिलहनी

सब्ज़ी और नक़दी फसलों को मृदा जनित रोगों से बचाने में मदद करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, फसलों में रोगों का प्रकोप कम होता है। इस विषय पर, अजमेर के ताबीजी फार्म के उप निदेशक कृषि (कीट) डॉ. भवानी सिंह ने विस्तृत जानकारी प्रदान की है।

किसानों को मृदा जनित रोगों से मुक्ति का सर्वोत्तम उपाय

जैविक पीड़कनाशक (organic pesticides) से किसान मृदा जनित रोगों से मुक्ति पा सकते हैं। इस संबंध में डॉ. भवानी सिंह ने बताया है कि ट्राइकोडर्मा एक मित्र फफूंद है, जो मृदा में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के हानिकारक फफूंदों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान देती है।

  • कपास
  • मूंगफली
  • ग्वार
  • दलहनी
  • तिलहनी

आदि जैसी सब्जियों और नकदी फसलों में मृदा जनित कवकों द्वारा उत्पन्न होने वाले जड़ गलन, तना गलन, कॉलर रॉट और उकठा रोग के निदान के लिए ट्राइकोडर्मा का उपयोग किया जाता है।

ट्राईकोडर्मा एक जीवाणु है, जो मृदा में रोग उत्पन्न करने वाले हानिकारक कवकों की वृद्धि को रोकता है और उन्हें धीरे-धीरे नष्ट कर देता है। इससे, ये हानिकारक कवक फसलों की जड़ों के आस-पास नहीं पनपते हैं और रोग उत्पन्न करने में असमर्थ हो जाते हैं।

इसे पढे –गोबर से जुड़े ये बिजनेस आइडियाज जो करेंगे आपको मालामाल

किसानों के लिए सरल और अधिकारी तरीका

किसान अब जैविक पीड़कनाशी (organic pesticides) का उपयोग कर सकते हैं, जो कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौध व्याधि) श्री सुरेंद्र सिंह ताकर ने बताया है। यह जीवाणु – राईजोबियम, एजोटोबैक्टर, एजोस्पाईरिलम और पीएसबी के संवर्धनों (कल्वर) के साथ भी उपचार योग्य है।

ट्राईकोडर्मा संवर्धन 6-10 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार के लिए किया जा सकता है। इसके साथ ही, बुवाई से पहले भूमि का उपचार के लिए ट्राईकोडर्मा की 2-2.5 किग्रा मात्रा को 100 किग्रा गोबर की खाद में मिलाकर उपयोग किया जा सकता है।

जैविक पीड़कनाशी खरीदें: किसानों के लिए सर्वोत्तम विकल्प

किसान अब आसानी से जैविक पीड़कनाशी (organic pesticides) प्राप्त कर सकते हैं, जो अजमेर में स्थित ग्राहक परीक्षण केन्द्र तबीजी फार्म द्वारा उत्पादित किया जाता है। यहाँ पर विभिन्न जैविक पीड़कनाशक जैसे ट्राईकोडर्मा, मेटाराइजियम, बैवेरिया, ट्राईकोकार्ड और एनपीवी उत्पादित किए जाते हैं। आईपीएम प्रयोगशाला अजमेर में समन्वित कीट-व्याधि प्रबंधन प्रयोगशाला 1997-98 से सक्रिय रूप से कार्यरत है।

वर्तमान में ट्राईकोडर्मा ट्राईकोडर्मा तबीजी फार्म की आईपीएम प्रयोगशाला पर सरकारी सशुल्क दर पर उपलब्ध हैं। इससे इच्छुक किसान ट्राईकोडर्मा खरीदने के लिए कार्यालय उपनिदेशक कृषि (शस्य) एटीसी तबीजी फार्म से संपर्क कर सकते हैं।

इसे पढे –मध्यप्रदेश के किसानों को फ्री में दिये रहे यह बीज

प्लास्टिक की बोतल का जादू: अपनी बालकनी में उगाएं स्वादिष्ट सब्जियां


Leave a Comment