क्लोनिंग तकनीक से पैदा होंगी सबसे ज्यादा दूध देने वाली मुर्रा भैंस

वैज्ञानिकों ने भी पशुओं की नस्ल के सुधार के लिए कई तकनीकें विकसित की हैं, जो उत्पादकता को बढ़ाने में मदद करेंगी। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI Karnal) ने आईवीएफ क्लोनिंग तकनीक के द्वारा सबसे ज्यादा दूध उत्पादन वाली मुर्रा भैंस के दो क्लोन पैदा किए हैं, जो दूध उत्पादन में सुधार लाने में मदद करेंगे।

नस्ल सुधार कार्यक्रम चलाए जा रहे

देश में दूध उत्पादन के बढ़ते मांग को ध्यान में रखते हुए, पशुपालन योजनाएं (Animal Husbandry Schemes) शुरू की जा रही हैं, जिससे किसानों को और उनके पशुओं को तकनीकी और आर्थिक सहायता मिल रही है। नस्ल सुधार कार्यक्रमों द्वारा पशुओं की बेहतर नस्ल उत्पन्न करने के लिए राज्यों में ऐसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जो देश के दूध उत्पादन में सुधार करने में मदद करेंगे।

इस पढे – 28 लीटर दूध देने वाली खास भैंस, जानिए उसकी खुराक

दूध उत्पादन क्षमता बड़ाई जा सकेगी

NDRI करनाल ने आईवीएफ क्लोनिंग तकनीक (IVF Cloning Technique) का उपयोग कर मुर्रा भैंस के उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के प्रयास में सफलता हासिल की है। मध्य प्रदेश का पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम भी इस तकनीक को लागू करके पशु उत्पादकता को बढ़ाने की योजना बना रहा है।

इस प्रोजेक्ट को भोपाल के मदरबुल फार्म की आईवीएफ लैब (IVF Lab) से संचालित किया जाएगा। इस तकनीक का उपयोग करके गाय-भैंस की नस्ल सुधार किया जाएगा और इससे पशु उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है।

क्लोनिंग तकनीक से पैदा हुआ गाय का बछड़ा

मध्य प्रदेश में एक आईवीएफ लैब में गाय का बच्चा जन्म हुआ है, यह पहली बार हुआ है जब पशुओं की नस्ल सुधार के लिए आईवीएफ क्लोनिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसके पहले होल्सटीन फ्रीजियन प्रजाति (Holstein Friesian breed) की गाय के बच्चे को एंब्रियो के जरिए जन्म दिया गया था।

अब भोपाल के मदरबुल फार्म में क्लोन तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, इसके क्लोन हाइजेनिक मटेरियल (hygienic material) वाले बताए जा रहे हैं, इस तकनीक से पशु की नस्ल सुधार, गुणवत्ता और दूध उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी हो सकती है।

क्लोनिंग तकनीक क्या है ?

पशु वैज्ञानिकों की मेहनत का फल है, जिससे पशुपालन के क्षेत्र में आ रही मुश्किलों को आधुनिक तकनीकों से दूर किया जा सकता है, और क्लोनिंग तकनीक (cloning technique) उसमें शामिल है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल होता है, कि क्लोनिंग तकनीक क्या होती है, आइए जानते है ..

क्लोनिंग तकनीक में एक विशेष पशु की कोशिकाओं का आईवीएफ लैब में संवर्धित किया जाता है।

इस तकनीक में नई प्रजाति के पशु बनाए जाते हैं, जो अपने मूल पशु से एक जैसे होते हैं, इसके माध्यम से पशुपालन क्षेत्र में विकास के साथ-साथ चुनौतियों को भी दूर किया जा सकता है।

क्लोन बच्चे का जन्म कैसे होता है ?

पशु की कोशिकाओं को एक ओवरी केंद्रक से मिलाया जाता है, इस प्रक्रिया के 8 वें दिन भ्रूण बन जाता है, जो कि भैंस के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है, इस प्रकार क्लोन बच्चे का जन्म होता है। इन बच्चों की देखभाल उन्हीं तरीकों से की जाती है, जैसे साधारण भैंसों की देखभाल की जाती है।

मुर्रा भैंस का दूध उत्पादन दुनिया भर में लोकप्रिय

मुर्रा भैंस का दूध उत्पादन दुनिया भर में लोकप्रिय है, ब्राजील जैसे देश भी मुर्रा भैंसों के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

एक साधारण मुर्रा भैंस रोजाना 15-16 लीटर दूध देती है इसलिए भारत में उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के डेयरी किसानों की ये पसंदीदा नस्ल हैं।

इसे पढे –30 सेकंड मे मिलावटी दूध की पहचान करेगा यह डिवाइस


"हम एक टीम हैं, जो आपके लिए अलग-अलग स्रोतों से मंडी भाव और कृषि समाचार एकत्रित कर आप सभी किसान भाइयों तक पहुँचाती है...."

Leave a Comment

Home Google News Mandi Bhav Join Group Web Stories