मध्य प्रदेश के किसान ने खेत में उगाए नीले आलू, सेहत के लिए है काफी फायदेमंद और मिलती है अधिक कीमत
इस नीले आलू की प्रजाति का नाम नीलकंठ है, जिसकी एंटीऑक्सीडेंट क्षमता सामान्य आलू से 3 से 4 गुना ज्यादा है, वहीं, इसका उत्पादन सामान्य आलू के उत्पादन से 15 से 20 प्रतिशत ज्यादा होता है।
कृषि के क्षेत्र (Agriculture Sector) में देश में तरह-तरह के प्रयोग चलते रहते हैं, संस्थानों में वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे होते हैं, तो खेतों में सामान्य किसान फसल से लेकर खेती के तौर-तरीकों पर प्रयोग करते रहते हैं।
इन रिसर्च और प्रयोग का मकसद खेती को बेहतर, उत्पादन में इजाफा और लागत में कमी लाकर किसानों की आय (Farmers Income) में बढ़ोतरी करना होता है, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में रहने वाले किसान ने भी आलू की फसल (Potato Crops) के साथ एक ऐसा ही प्रयोग किया है और वे सफल भी हुए हैं।
किसान मिश्रीलाल राजपूत सामान्य आलू से अलग आलू उगा रहे हैं, जिसकी उन्हें बेहतर कीमत मिल रही है, सबसे खास बात है कि – इस आलू की किस्म की खेती में लागत सामान्य आलू इतना ही है, लेकिन इसके भाव काफी ज्यादा हैं। यहीं कारण है कि उनकी कमाई बढ़ गई है, राजपूत को देखकर अन्य किसान भी आलू की किस्म की तरफ आकर्षित हो रहे हैं, और इसे अपनी कमाई का जरिया बना रहे हैं।
सामान्य आलू से अधिक मिलता है भाव, लेकिन लागत समान
दरअसल, मिश्रीलाल राजपूत नीले रंग के आलू उगा रहे हैं, इस आलू की प्रजाति का नाम नीलकंठ है, जिसकी एंटीऑक्सीडेंट क्षमता सामान्य आलू से 3 से 4 गुना ज्यादा है, किसान का दावा है, कि सामान्य आलू में प्रति 100 ग्राम 15 मिली लीटर एंटी ऑक्सीडेंट होता है, जबकि नीले नीलकंठ आलू में यह 100 एमएल प्रति 100 ग्राम पाया जाता है, इसके अलावा इस आलू का उत्पादन सामान्य आलू के उत्पादन से 15 से 20 प्रतिशत ज्यादा होता है।
राजपूत बताते हैं कि आलू अनुसंधान केंद्र शिमला की इस तकनीक के जरिए उन्होंने कई एकड़ खेत में आलू की खेती की थी।पहली बार में इसकी लागत थोड़ी ज्यादा आती है क्योंकि बीज उपलब्ध नहीं होते, लेकिन एक बार फसल आने के बाद बीज आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।
बाजार में यह आलू 30 से 40 रुपए किलो के भाव पर बिकते हैं, यहीं कारण है कि किसानों को मुनाफा ज्यादा होता है जबकि इसकी लागत सामान्य आलू के बराबर ही आती है। मिश्रीलाल राजपूत के मुताबिक यह आलू सामान्य आलू से जल्दी पकता है, इसलिए ईंधन की खपत भी कम होती है, साथ ही इसका स्वाद सामान्य सफेद आलू से बेहतर है।
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