मटर की खेती सर्दियों के मौसम में किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प है, लेकिन इस समय फसलों पर रोग और कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है। यदि समय पर उचित उपाय न किए जाएं, तो इससे फसल बर्बाद हो सकती है और किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। यहां हम मटर की फसल को रोग और कीटों से बचाने के लिए उपयोगी जानकारी साझा कर रहे हैं।
मटर की फसल में होने वाले प्रमुख रोग और उनके उपचार
- चूर्णिल आसिता रोग का उपचार
यह एक कवकजनित रोग है, जो मटर की पत्तियों और तनों पर सफेद चूर्ण जैसे धब्बे उत्पन्न करता है।
उपचार के तरीके:- सल्फेक्स (2.5 कि.ग्रा./हेक्टेयर) को 800-1000 लीटर पानी में घोलकर 15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करें।
- गंधक युक्त कवकनाशी (0.2-0.3%) का उपयोग करें।
- कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम/लीटर पानी) या केराथेन 48 ई.सी. (0.5 मि.ली./लीटर पानी) का छिड़काव करें।
- रतुआ रोग की रोकथाम
रतुआ रोग फसल की गुणवत्ता और उपज दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
उपचार के तरीके:- मैन्कोजेब या डाइथेन एम-45 (2 कि.ग्रा./हेक्टेयर) का छिड़काव करें।
- हेक्साकोनाजोटा या प्रोपीकोना (1 लीटर/600-800 लीटर पानी) का उपयोग करें।
- रोगग्रस्त पौधों को तुरंत उखाड़कर नष्ट करें।
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मटर के कीटों से बचाव के उपाय
- तनाछेदक कीट
- डाइमिथोएट 30 ई.सी. (1 लीटर/800 लीटर पानी) का छिड़काव करें।
- खेत में नियमित निगरानी रखें और प्रभावित पौधों को तुरंत हटाएं।
- फलीछेदक कीट
- मोनोक्रोटोफॉस 36 ई.सी. (750 मि.ली./800 लीटर पानी) का छिड़काव करें।
- इंडोक्साकार्ब (1 मि.ली./लीटर पानी) का उपयोग करें।
मटर की फसल के लिए सावधानियां
- फसलचक्र अपनाएं: मटर के बाद दूसरी फसल लगाएं ताकि मिट्टी में रोगाणु न पनपें।
- रोगनिरोधक दवाओं का समय पर छिड़काव करें।
- मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और पौधों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए जैविक खाद का उपयोग करें।
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