मध्यप्रदेश में पराली जलाने की समस्या और कम उपजाऊ जमीनों पर किसानों की आय बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट पर जोर दिया है। इस परियोजना के तहत, पराली और अन्य कच्चे माल से बिजली, जैविक खाद और बायोगैस का उत्पादन किया जाएगा।
पराली से बनेगी बिजली और जैविक खाद
रीवा, सतना और मऊगंज जिलों में ग्रीन एनर्जी प्लांट स्थापित करने की योजना है। उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने रीवा के कमिश्नर कार्यालय में आयोजित समीक्षा बैठक में इस परियोजना के महत्व पर प्रकाश डाला। इस प्रोजेक्ट से किसानों को अपनी कम उपजाऊ जमीन और पराली का बेहतर उपयोग करने का मौका मिलेगा।
ग्रीन एनर्जी प्लांट: कैसे काम करेगा?
ग्रीन एनर्जी प्लांट में धान के पैरे (पराली) और नेपियर घास जैसे कच्चे माल से बिजली, जैविक खाद, और बायोगैस का उत्पादन किया जाएगा। खासकर, रीवा जिले के गुढ़ क्षेत्र में इस प्लांट की स्थापना के लिए कार्य शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं।
मऊगंज में एक हजार हेक्टेयर जमीन पर यह प्लांट स्थापित किया जाएगा, जिसमें 95% निजी भूमि शामिल है।
इस जमीन पर किसानों के साथ अनुबंध करके नेपियर घास की खेती भी की जाएगी। इससे कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी और कृषि भूमि का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा।
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रोजगार के अवसर और पर्यावरणीय लाभ
ग्रीन एनर्जी प्लांट का एक और बड़ा लाभ यह है कि इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजित होंगे। प्रशिक्षित युवाओं को पराली कंप्रेस करने और इसे कच्चे माल के रूप में तैयार करने का कार्य सौंपा जाएगा, जिससे रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
साथ ही, यह परियोजना पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद साबित होगी, क्योंकि इससे पराली जलाने की समस्या हल होगी और जैविक खाद का उत्पादन होगा।
किसानों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत
यह परियोजना किसानों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत बनेगी। परती और कम उपजाऊ जमीनों का उपयोग बेहतर तरीके से किया जाएगा। इस प्लांट से कम्प्रेस, बायोगैस, हाइड्रोजन, मैथेनॉल और जैविक खाद जैसे उत्पाद भी बनाए जाएंगे, जो किसानों को आय का नया जरिया प्रदान करेंगे।
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