यूरिया ब्रिकेट्स के उपयोग से फसलों में कमाये अधिक लाभ

देश में लगभग 354 लाख टन यूरिया को उपयोग मे लाया जाता है, इसमें यूरिया का सबसे अधिक उपयोग धान की खेती में लगभग 40 प्रतिशत तक होता है। धान की नमी वाली जमीन में, नाईट्रोजन का केवल 30–40 प्रतिशत ही उपयोग हो पाता है, एवं लगभग दो–तिहाई भाग अपवाह, वाष्पीकरण और लिंचिंग के माध्यम से खो जाता है, वह उपयोग मे नहीं आता है।

यूरिया की इस हानि को रोकने के लिए यूरिया ब्रिकेट्स (Urea Briquettes) बनाकर उपयोग किया जाता है।

धान के चार पौधों के बीच में एक यूरिया ब्रिकेट्स के 7–10 से.मी. की मृदा की गहराई पर प्रत्यारोपण द्वारा नाईट्रोजन के ह्रास को कम कर उर्वरक उपयोग दक्षता को 60 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।

कैसे बनाया जाता है यूरिया ब्रिकेट्स

वाणिज्यिक ग्रेड यूरिया उर्वरक को जब ब्रिकेट्स मशीन में दबाव देकर संघनित किया जाता है, तो 1–3 ग्राम भार के बड़े यूरिया ब्रिकेट्स का निर्माण होता है।

मूल रूप से यूरिया ब्रिकेट्स (Urea Briquettes) समान्य यूरिया उर्वरक का एक सरल भौतिक रूपांतरण है।| इसमें भी नाईट्रोजन की मात्रा वाणिज्यिक ग्रेड यूरिया उर्वरक की भाँती 46 प्रतिशत ही होती है।

आजकल यूरिया ब्रिकेट्स के निर्माण के लिए ब्रिकेटिंग मशीन (Briquetting Machine) बाजार में भी उपलब्ध है, इसके माध्यम से किसान आय के एक स्रोत का सृजन कर सकते हैं, यूरिया ब्रिकेट्स को उपकरणों का उपयोग कर आसानी से रोपण किया जा सकता है।

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कैसे करे यूरिया ब्रिकेट्स का रोपण

  • धान के प्रत्येक चार पौधों के बीच में एक यूरिया ब्रिकेट की दर से 7–10 से.मी. की गहराई पर मृदा में धान की रोपाई के 1–10 दिनों के बीच इसे रोपण किया जाता है।
  • इसके फलस्वरूप यूरिया में उपस्थित नाईट्रोजन धीरे–धीरे मृदा में जाती है, और इसके ह्रास को नियंत्रित कर इसकी उर्वरक दक्षता को बढ़ा देती है।
  • इससे पौधों को सतत पोषक तत्व मिलते रहते हैं ।
  • धान के रोपण के लिए निर्धारित दुरी को वर्गाकार दुरी (20×20, 25×25 से.मी.) में रूपांतरित कर यूरिया ब्रिकेट्स को यांत्रिक साधनों का प्रयोग कर रोपण किया जा सकता है।
  • यांत्रिक साधित्र, यूरिया ब्रिकेट्स को 7–10 से.मी. की गहराई पर आसानी से रोपण कर सकता है |
  • इससे इसके ह्स्तरोपन में लगने वाले मानव बल को कम किया जा सकता है, इससे ज्यादा क्षेत्र क्षमता भी प्राप्त की जा सकती है।

यूरिया ब्रिकेट्स के गहराई पर प्रत्यरोपण के लाभ

  • यूरिया ब्रिकेट्स का गहराई पर रोपण, यूरिया के हस्त छिड़काव की तुलना में 15–25 प्रतिशत तक पैदावार बढ़ता है।
  • यह धान की फसल में यूरिया के ह्रास को एक तिहाई तक कम कर सकता है।
  • यूरिया के हाथ से छिड़काव में, जहाँ 125 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर नाईट्रोजन उर्वरक की खपत होती है, तो वहीं यूरिया ब्रिकेट्स की गहराई पर रोपण द्वारा नाईट्रोजन उर्वरक (Nitrogen fertilizer) की खपत 77 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर ही होती है।
  • इससे चावल की गुणवत्ता में भी सुधार होता है और उच्च बाजार मूल्य हासिल किया जा सकता है।
  • फसल में नाईट्रोजन उर्वरक के यूरिया ब्रिकेट्स (Urea Briquettes) के रूप में गहराई पर रोपण करने से इसकी खपत कम होती है, परिणाम स्वरूप बाजार में इसकी उपलब्धता लंबे समय तक बनी रह सकती है।
  • यह बेहतर जल प्रबंधन और पंक्ति में रोपाई को प्रोत्साहित करता है, इस प्रकार निराई करना आसान और सुलभ हो जाता है।
  • इसमें लगने वाले श्रम की भी बचत होती है, निराई में लगने वाले श्रम की लागत में भी लगभग 25–25 प्रतिशत तक की कमी हो जाती है।
  • नाईट्रोजन और अनाईट्रिकरण (ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन) इत्यादि द्वारा नाईट्रोजन के नुकसान को कम कर पानी में नाईट्रोजन की मात्रा की नियंत्रित कर जल प्रदूषण से बचाता है।
  • इस प्रकार के उत्पादित चावल के भूसे में अधिक नाईट्रोजन होती है और यह एक बेहतर पशुधन चारा भी होता है ।
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