बैंगन की फसल के बारे में जानकारी सम्पूर्ण जानकारी इसकी सभी उन्नत किस्म मध्यप्रदेश में बैंगन की खेती कैसे करे और किस समय पर करें जो की आपको जयद मुनाफा प्रदान करे आइए जानते है –
बुआई का समय
जायद में
बुआई का समय- 1 जनवरी से 31 मार्च के बीच
फसल अवधि- 50 से 90 दिन
रबी में
बुआई का समय- 1 सितंबर से 30 नवंबर के बीच
फसल अवधि- 50 से 90 दिन
खरीफ में
बुआई का समय-1 मई से 31 अगस्त के बीच
फसल अवधि- 50 से 90 दिन
तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई
- इसकी खेती के लिए रेतीली दोमट और चिकनी मिट्टी अच्छी मानी जाती है ।
- जिस खेत का चयन करें उसकी मिट्टी में कार्बन की मात्रा अधिक और जल निकास की उचित व्यवस्था हो ।
- फसल के लिए चयन की गई भूमि का पी.एच मान 5.5 से 7 के बीच का होना चाहिए ।
- फसल रोपाई के 20 दिन पहले मिट्टी पलटने वाले हल से 1 बार जुताई कर दें जिससे खेत में मौजूद खरपतवार और कीट नष्ट हो जाए ।
- इसके बाद प्रति एकड़ खेत में 10 से 12 टन सड़ी हुई गोबर की खाद और 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा डालें ।
- खाद डालने के बाद खेत की 1 बार जुताई करके पाटा लगाकर पलेवा कर दें ।
- पलेवा के 6 से 8 दिन बाद 1 बार गहरी जुताई कर दें ।
- इसके बाद खेत में कल्टीवेटर द्वारा 2 बार आडी – तिरछी गहरी जुताई करके खेत पर पाटा लगा दें जिससे खेत समतल हो जाए ।
- अब खेत रोपाई के लिए तैयार हैं ।
बैंगन की खेती मे नर्सरी प्रबंधन
1 एकर खेत के लिए नर्सरी का आकार लम्बाई 3 से 6 मीटर और चौड़ाई 0.6 से 0.7 मीटर , ऊंचाई 0.1 से 0.15 मीटर रखे ।
नर्सरी बनाते समय मिटटी में डाले जाने वाले तत्व गोबर की खाद 5 किलो प्रति मीटर वर्ग कार्बोफुरान 10 ग्राम प्रति मीटर वर्ग और 2.5 ग्राम कॉपर ऑक्सी क्लोराइड को 1 लीटर पानी के हिसाब से नर्सरी बेड की मिटटी को गिला करे ।
नर्सरी बुवाई के 15 दिन बाद नर्सरी में अच्छी बढ़वार के लिए 5 ग्राम NPK 19:19:19 को 1 लीटर पानी में घोलकर पौध पर स्प्रे करे ।
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बैंगन की उन्नत किस्में ( Varieties )
- Shriram Kush- अवधि 60 से 65 दिन इस किस्म की पहली तुड़ाई 60 से 65 दिन पर हो जाती है । इसके फल का वजन 200 से 250 ग्राम तक होता है । यह किस्म लंबे समय तक परिवहन के लिए उपयुक्त है ।
- Seminis Manjari- अवधि 50 से 55 दिन इस किस्म की पहली तुड़ाई 50 से 55 दिन पर हो जाती है । इसके फल का वजन 90 से 100 ग्राम तक होता है । यह किस्म का फल अंडाकार – गोल होता है ।
- Sungro 704- अवधि 60 से 70 दिन इस किस्म की पहली तुड़ाई 60 से 70 दिन पर हो जाती है । इसके फल का वजन 100 से 125 ग्राम तक होता है । इस किस्म पर गुलाबी रंग का फल आता है । इस किस्म में उच्च तापमान पर रंग प्रतिधारण की क्षमता है ।
- प्राइवेट कंपनी की संकर किस्मे….
रवैया MEBH -39
MHB 80 ( महिको )
SV0801EG ( सेमनिस )
- पंजाब सदाबहार- अवधि इस किस्म के पौधे सीधे खड़े होते हैं। इनकी ऊंचाई 50 से 60 सेंटीमीटर तथा पत्तियां हरी होती हैं। इसके फल लंबे , गहरे बैगनी रंग के होते हैं। फलों की लंबाई 18 से 22 सेंटीमीटर और मोटाई 3.5 से 4.0 सेंटीमीटर होती है। इसकी औसत पैदावार 30 से 40 टन प्रति हेक्टेयर होती है।
- पूसा बिंदु- अवधि 85 से 90 दिन इस किस्म के बैंगन छोटे , गोल तथा चमकदार होते हैं। इसका रंग गहरा बैगनी , डंठल चित्तीदार होता है। यह किस्म 90 दिन में तैयार हो जाती है । इसकी औसत पैदावार 30 टन प्रति हेक्टेयर होती है।
- पूसा हाइब्रिड 6- अवधि 85 से 90 दिन इसके फल गोल , चमकदार और आकर्षक बैगनी रंग के होते हैं। इसके फल का वजन 200 ग्राम होता है । यह 90 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी औसत पैदावार 50 से 60 टन प्रति हेक्टेयर होती है।
- पूसा हाईब्रिड 9- अवधि 85 से 90 दिन इस किस्म के पौधे सीधे खड़े रहने वाले होते हैं। इसका फल अंडाकार , गोल और चमकदार बैगनी रंग के होते हैं। इसके फल का वजन लगभग 300 ग्राम होता है। यह 90 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी औसत पैदावार 50 टन प्रति हेक्टेयर होती है।
- पूसा उपकार- अवधि 80 से 85 दिन इसके फल गोल चमकदार गहरे बैगनी रंग तथा मझोले आकार के होते हैं। फल का औसत वजन 200 ग्राम होता है। यह 85 दिन बाद तैयार हो जाती है । इसकी औसत पैदावार 40 टन प्रति हैक्टेयर होती है।
- पूसा सफेद बैंगन- अवधि 50 से 55 दिन ‘
- यह किस्म सफेद और अंडाकार होती है।
- इसकी खेती उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड , बिहार , सिक्किम , मेघालय , पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में मुख्य रूप से की जाती है।
- इसके फल का वजन लगभग 50 से 60 ग्राम तक होता है।
- पैदावार 40 से 50 टन प्रति हेक्टेयर तक होती है।
- इसमें 50 से 55 दिन में फल लगने लग जाते हैं।
- इसकी बुवाई 15 जनवरी से 30 मार्च के मध्य की जा सकती है।
- पूसा हरा बैंगन- अवधि 50 से 55 दिन
- यह किस्म आकार में गोल एवं हरी होती है।
- अरुणाचल प्रदेश , मेघालय , बिहार , झारखंड , सिक्किम तथा उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में इसकी खेती मुख्य रूप से की जाती है ।
- इसमें रोपाई के 50 से 55 दिन बाद फल आ जाते हैं।
- इसकी औसतन पैदावार 40 से 50 टन प्रति हेक्टेयर तक होती है।
- डॉक्टर बैंगन- अवधि 55 से 60 दिन
- यह एंटीऑक्सीडेंट बनाने वाले पोषक तत्वों से भरपूर है।
- बिहार , पश्चिम बंगाल , उत्तर प्रदेश , ओडिशा , महाराष्ट्र , कर्नाटक , हिमाचल प्रदेश , आंध्र प्रदेश , सिक्किम आदि राज्यों में इसकी खेती मुख्य तौर पर की जाती है।
- इसमें रोपाई के 55 से 60 दिन बाद फल लगने लग जाते हैं।
- फल का वजन लगभग 220 ग्राम तक होता है।
- औसतन पैदावार 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है।
बीज की मात्रा
बैगन की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए 70 से 80 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
बीज उपचार – बैंगन की खेती
हाइब्रिड बीज पहले से उपचारित आते है। इनकी सीधी बुवाई की जा सकती है। अगर घर पर तैयार किया हुआ बीज की बुवाई करते है तो इसे कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम + थिरम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित कर ले।
बुआई का तरीका
बैगन की पौध बुवाई के 25 से 30 दिन बाद खेत में रोपाई कर दे। पौध रोपाई के समय पौधे से पौधे की दूरी 45 सेमी और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 90 सेमी रखे। पौध की रोपाई साम के समय में करे।
उर्वरक व खाद प्रबंधन – बैंगन की खेती
बुवाई के समय
बैगन की फसल रोपाई के समय 1 एकड़ खेत में 50 किलोग्राम डी ऐ पी ( DAP ) , 50 किलोग्राम पोटाश ( Potash ) , 25 किलोग्राम यूरिया ( Urea ) , 25 किलोग्राम कैल्शियम नाइट्रेट ( Calcium Nitrate ) 10 किलोग्राम जिंक सलफेट ( Zinc Sulphate ) , 5 किलोग्राम जायम ( Zayam ) , 10 किलोग्राम कार्बोफुरान का इस्तेमाल करे।
बुवाई के 20 से 25 दिन बाद – फसल रोपाई के 20 से 25 दिन बाद 1 एकड़ खेत में 25 किलोग्राम यूरिया , 8 किलोग्राम जायम का इस्तेमाल करे।
बुवाई के 45 से 50 दिन बाद- फसल बुवाई के 45 से 50 दिन बाद 10 ग्राम NPK 0:52:34 और 2 ग्राम बोरोन , 5 मिली टाटा बहार को 1 लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर पौधे पर स्प्रे करे।
बैंगन की खेती मे सिंचाई
बैगन की फसल में पहली सिंचाई पौध रोपाई के तुरंत बाद करे। गर्मी में 4 से 6 दिन पर और सर्दी में 12 से 15 दिन पर सिंचाई करे। जिन दिनों पाला पड़ने की रहती है शाम के समय हलकी सिंचाई करे।
फसल की तुड़ाई
बैगन की तुड़ाई किस्मो के आधार पर 45 दिन से 90 दिन पर शुरू हो जाती है। आकार के अनुसार फल की तुड़ाई करते रहे।
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